झारखंड के स्कूलों में ड्रॉप आउट दर में भारी गिरावट, पूरे देश में सबसे कम छात्र छोड़ रहे पढ़ाई
झारखंड के स्कूलों ने बच्चों के ड्रॉप आउट को कम करने में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार माध्यमिक स्तर पर स्कूल छोड़ने की दर सिर्फ 3.5% है जो देश में सबसे कम है। झारखंड उन नौ राज्यों में शामिल है जहाँ प्राथमिक स्तर पर ड्रॉप आउट दर शून्य है।

नीरज अम्बष्ठ, रांची। झारखंड के स्कूलों ने बच्चों के ड्रॉप आउट को कम करने में काफी बेहतर काम किया है। पूरे देश में झारखंड ऐसा राज्य है जहां माध्यमिक स्तर (कक्षा आठ से 10) पर बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर सबसे कम है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा 28 अगस्त को जारी यूडायस प्लस-2024-25 की रिपोर्ट के अनुसार, माध्यमिक स्तर पर बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर महज 3.5 प्रतिशत है, जो अन्य राज्यों की तुलना में सबसे कम है।
रिपोर्ट में माध्यमिक स्तर पर बच्चों के स्कूल छोड़ने के मामले में तीन राज्यों को ग्रीन जोन में रखा है। इनमें झारखंड के बाद उत्तराखंड और केरल का स्थान है, जहां यह दर क्रमश: 4.6 तथा 4.8 प्रतिशत है। कोई भी राज्य डीप ग्रीन जोन में नहीं है।
झारखंड ने यह उपलब्धि माध्यमिक स्तर पर ड्रॉप आउट की दर को कम करने के कारण पाई है। झारखंड में एक वर्ष पहले माध्यमिक स्तर पर बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर 15.16 प्रतिशत थी, जो वर्ष 2024-25 में घटकर 3.5 प्रतिशत हो गई।
हालांकि सभी स्तरों पर ड्रॉप आउट की दर में कमी आई है। रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड उन नौ राज्यों में सम्मिलित, जहां प्राथमिक स्तर (कक्षा एक से पांच) पर ड्रॉप आउट की दर घटकर शून्य हो गई है।
अन्य राज्यों में हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना तथा कर्नाटक सम्मिलित हैं। रिपोर्ट में इन राज्यों को डीप ग्रीन जोन में रखा गया है। उच्च प्राथमिक (कक्षा छह से आठ) स्तर की बात करें तो झारखंड में ड्रॉप आउट की दर 1.7 प्रतिशत है।
झारखंड सहित 11 राज्य ऐसे हैं, जहां इस स्तर पर ड्रॉप आउट की दर शून्य से तीन प्रतिशत के बीच है। रिपोर्ट में इन राज्यों को डीप ग्रीन जोन में रखा गया है।
बताते चलें कि झारखंड के स्कूलों में बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर सभी स्तरों पर घटी है। उच्च प्राथमिक स्कूलों में यह दर नौ प्रतिशत से घटकर 1.70 प्रतिशत हो गई है।
झारखंड में तीनों स्तरों पर बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर राष्ट्रीय औसत से कम है। पूरे देश में प्राथमिक स्तर में ड्रॉप आउट की दर 0.3 प्रतिशत, उच्च प्राथमिक स्तर पर 3.5 प्रतिशत तथा माध्यमिक स्तर पर 11.5 प्रतिशत है।
ऐसे किया गया जोन का निर्धारण
ड्रॉप आउट (%) | जोन |
---|---|
0 से 3 | डीप ग्रीन |
3 से 6 | ग्रीन |
6 से 9 | लाइट ग्रीन |
9 से 12 | यलो |
12 से 15 | आरेंज |
15 से अधिक | रेड |
सरकार द्वारा किए गए प्रयास
- स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने रूआर अभियान चलाया, जिसके तहत स्कूल छोड़नेवाले बच्चों की पहचान कर उन्हें वापस स्कूल लाया गया।
- इस अभियान के तहत अभिभावकों से संपर्क साधकर बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित किया गया। इसकी आगे भी निगरानी की गई है।
- शिक्षु पंजी को शैक्षणिक सत्र की शुरुआत में अपडेट कराया गया, जिससे पता चला कि कौन बच्चे स्कूल छोड़ चुके हैं। इससे नामांकन में भी वृद्धि हुई।
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