Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Jharkhand Jail: झारखंड की जेलों में जेलरों की कमी, सिपाहियों के हाथ में कमान

    Updated: Thu, 25 Sep 2025 09:29 PM (IST)

    रांची झारखंड की जेलों में सहायक जेलर और जेलर के पदों की कमी के कारण जेल प्रशासन ने जेलों का नियंत्रण सिपाहियों को सौंप दिया है। नई नियमावली के अनुसार कक्षपालों को अस्थायी रूप से जेलर बनाया गया है क्योंकि जेलों में बल की कमी है। पहले क्लर्क जेलर का काम संभालते थे लेकिन अब कक्षपालों को यह जिम्मेदारी दी गई है।

    Hero Image
    जेलों में सहायक और जेलर की कमी। सांकेतिक तस्वीर

    दिलीप कुमार, रांची। राज्य में न सहायक जेलर हैं, न जेलर। राज्य की जेलों में क्लर्क राज चलने संबंधित दैनिक जागरण में खबर छपने के बाद जेल प्रशासन ने सक्रियता तो दिखाई, लेकिन सिपाहियों के हाथों में जेलों की कमान थमा दी है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मई 2025 में झारखंड की जेलों के लिए लागू नई नियमावली में किसी वर्दीधारी को ही जेलर बनाने की बाध्यता है। ऐसी स्थिति में अब क्लर्क (लिपिक) संवर्ग से हटाकर जेलर की कमान कक्षपाल संवर्ग को दे दी गई है।

    लगभग सभी जेलों में उच्च कक्षपाल को अस्थाई रूप से जेलर बना दिया गया है। जेल के वरीय अधिकारियों का तर्क है कि जेलों में बल की भारी कमी के चलते ऐसा किया जा रहा है, ताकि काम बाधित न हो।

    राज्य में जेलर का पद प्रोन्नति से भरा जाता है। इस पद पर सीधी बहाली का प्रवधान नहीं है। इस पद पर सहायक जेलर ही प्रोन्नत होकर जेलर बनते हैं। सीधी बहाली सहायक जेलर के पद पर होता है। पांच जेलों में सहायक कारापाल के पास जेलर का प्रभार है।

    लंबे समय से सहायक जेलर के पद पर बहाली नहीं होने से बड़ी संख्या में यह पद रिक्त है। इसका फायदा बहुत ही कम समय में कक्षपाल से उच्च कक्षपाल में प्रोन्नत जवानों को मिला है। जेलर के पद के लिए बिना उचित प्रशिक्षण लिए ही ये कक्षपाल जेलर के पद पर अस्थाई प्रभार में हैं।

    पहले राज्य की 20 जेलों में निम्नवर्गीय लिपिक जेलर की कमान संभाल रहे थे और तीन कंप्यूटर आपरेटर जेलर थे। जो क्लर्क पहले जेलर का पदभार संभाल रहे थे वे अब जेल में लिपिकीय कार्य संभाल रहे हैं।

    कम से कम 25 साल में एक कक्षपाल जेलर के पद पर पहुंचेगा

    नियमत: एक कक्षपाल कम से कम 25 साल में जेलर के पद के योग्य होगा। कक्षपाल पांच साल की नौकरी के बाद उच्च कक्षपाल बनता है। उच्च कक्षपाल पांच साल में मुख्य उच्च कक्षपाल और मुख्य उच्च कक्षपाल पांच साल में सहायक जेलर बनता है। सहायक जेलर को भी इतनी ही अवधि के बाद जेलर के पद पर प्रोन्नति मिलती है।

    राज्य की जेलें: एक नजर

    सेंट्रल जेलें: रांची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा, जमशेदपुर के घाघीडीह स्थित केंद्रीय कारा, हजारीबाग में लोकनायक जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा, केंद्रीय कारा पलामू व केंद्रीय कारा दुमका।

    मंडल कारा: गिरिडीह, देवघर, गुमला, लोहरदगा, लातेहार, चाईबासा, पाकुड़, सरायकेला, चास बोकारो, तेनुघाट, सिमडेगा, गढ़वा, कोडरमा, चतरा, धनबाद, जामताड़ा, गोड्डा व साकची।

    उपकारा: घाटशिला, खूंटी, रामगढ़, बरही, राजमहल व मधुपुर।

    ओपेन जेल: हजारीबाग।