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    Jharkhand IAS Suspend: आईएएस अफसर सहित जेल भेजे गए चारों अधिकारी सस्पेंड, हाई कोर्ट पहुंचे विनय कुमार

    Updated: Thu, 29 May 2025 09:00 PM (IST)

    रांची में भ्रष्टाचार के आरोप में जेल भेजे गए आईएएस विनय कुमार चौबे सहित चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। इन अधिकारियों पर पद का दुरुपयोग कर नियमों को ताक पर रखकर पसंदीदा एजेंसियों को ठेका देने का आरोप है जिससे राज्य सरकार को 38 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। एसीबी ने पूछताछ के बाद चारों को गिरफ्तार किया था।

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    आईएएस विनय कुमार चौबे सहित जेल भेजे गए चारों अधिकारी निलंबित

    राज्य ब्यूरो, रांची। भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत जेल भेजे गए आईएएस विनय कुमार चौबे सहित चारों ही अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। जेल भेजे जाने के नौवें दिन विभाग ने यह कार्रवाई की है।

    इन अधिकारियों में उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के पूर्व प्रधान सचिव सह झारखंड राज्य बिवरेजेज कॉरपोरेशन लिमिटेड के पूर्व महाप्रबंधक विनय कुमार चौबे, संयुक्त आयुक्त उत्पाद गजेंद्र सिंह, महाप्रबंधक वित्त सुधीर कुमार दास, पूर्व महाप्रबंधक वित्त सह अभियान सुधीर कुमार शामिल हैं।

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    चारों ही आरोपितों को एसीबी ने 20 व 21 मई को पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था। इसके बाद उन्हें एसीबी की रांची स्थित विशेष अदालत में प्रस्तुत किया गया था, जहां से वे न्यायिक हिरासत में भेजे गए थे। गिरफ्तारी के वक्त आईएएस विनय कुमार चौबे पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव थे।

    संबंधित विभाग ने गिरफ्तारी की तिथि से ही चारों ही आरोपितों को निलंबित किया है। सभी आरोपितों पर पद का दुरुपयोग कर नियमों को ताक पर रखकर अपने पसंदीदा प्लेसमेंट एजेंसियों को फर्जी बैंक गारंटी देने के बावजूद ठेका देने का आरोप है। इससे राज्य सरकार को 38 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा है।

    रिमांड के खिलाफ विनय चौबे पहुंचे हाई कोर्ट

    शराब घोटाला मामले में आरोपित आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे ने एसीबी कोर्ट के दो दिनों के रिमांड पर दिए जाने के खिलाफ झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। उनकी ओर से रिमांड पर दिए जाने के आदेश को चुनौती दी गई है।

    याचिका में कहा गया है कि एसीबी ने जिस दिन प्राथमिकी दर्ज की, उसी दिन उनसे पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया। इसके बाद एसीबी ने कोर्ट में रिमांड में लेने क आवेदन दिया। एसीबी के इस आवेदन का विरोध किया गया।

    एसीबी ने पूछताछ के बाद ही उन्हें गिरफ्तार किया था इसके बाद उन्हें रिमांड पर लेने की जरूरत नहीं थी। प्राथमिकी दर्ज करने के दिन ही कोर्ट में पेश किए जाने से यह प्रतीत होता है कि एसीबी की पूछताछ पूरी हो गई थी। ऐसे में उन्हें रिमांड पर लेने का आदेश देना उचित नहीं है।