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    रांची सीओ का आदेश रद, हाई कोर्ट ने कहा- एक बार पारित आदेश को वापस नहीं ले सकते अधिकारी

    Updated: Fri, 20 Jun 2025 07:58 AM (IST)

    रांची हाई कोर्ट ने सदर सीओ द्वारा जारी पारिवारिक सदस्यता प्रमाणपत्र के आदेश को बहाल किया। कोर्ट ने कहा कि एक बार आदेश पारित होने के बाद अधिकारी को इसे ...और पढ़ें

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    झारखडं हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला। (जागरण फोटो)

    राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस गौतम कुमार चौधरी की अदालत ने रांची सदर सीओ की ओर से जारी किए गए परिवारिक सदस्यता प्रमाणपत्र से संबंधित आदेश को बहाल कर दिया है।

    अदालत ने यह माना कि एक बार आदेश पारित हो जाने के बाद अधिकारी के पास उसे वापस लेने का अधिकार नहीं होता है।

    अदालत ने अपने आदेश में कहा कि एक बार आदेश पारित हो जाने के बाद सीओ के पास उसे वापस लेने का कोई अधिकार नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि ऐसा करने की अनुमति दी जाए तो कार्यकारी और अर्ध न्यायिक आदेशों का कोई अंत नहीं होगा और लोगों के मामले अधिकारियों की मनमर्जी पर लटके रहेंगे।

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    कोर्ट ने सीओ के बदलाव के आदेश को अवैध घोषित करते हुए 24 जनवरी 2025 के आदेश को बहाल कर दिया। इस संबंध में अभिजीत बोस ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

    जिसमें कहा गया था कि अभिजीत बोस ने 18 जून 2024 को सीओ के यहां एक आवेदन किया था, जिसमें उन्होंने परिवार सदस्यता प्रमाणपत्र जारी करने की मांग की थी। इससे पहले उन्होंने आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी कि किन आधारों पर यह प्रमाणपत्र जारी किया गया था।

    सीओ ने 24 जनवरी 2025 को एक आदेश पारित किया, जिसमें परिवार की सदस्यता को मान्यता दी गई थी। लेकिन बाद में इस आदेश को वापस ले लिया गया।

    प्रार्थी की ओर से अदालत को बताया कि सीओ ने एक बार आदेश पारित कर दिया था। इसलिए वह उसे वापस नहीं ले सकता था।

    राज्य के वकील ने कहा कि आदेश वापस लेना इसलिए जरूरी था क्योंकि सभी तथ्यों पर विचार नहीं किया गया था। लेकिन अदालत ने प्रार्थी की दलीलों को स्वीकार करते हुए सीओ के बदलाव के आदेश को निरस्त करते हुए पूर्व के आदेश को बहाल करने का आदेश दिया है।