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    Jharkhand Liquor: झारखंड की 1255 शराब दुकानों में हैंडओवर-टेकओवर की प्रक्रिया पूरी, खुली 285 दुकानें

    राज्य में 1255 शराब दुकानों में से अधिकांश का हैंडओवर-टेकओवर पूरा हो गया है। 285 दुकानों को जेएसबीसीएल ने नियंत्रण में ले लिया है और कर्मचारियों के वेतन का भुगतान अब वही करेगा। उत्पाद विभाग का दावा है कि इस सप्ताह के अंत तक शराब की बिक्री सामान्य हो जाएगी। हैंडओवर के दौरान दुकानों का ऑडिट भी हो रहा है जिससे अनियमितताओं का पता चलेगा।

    By Dilip Kumar Edited By: Rajat Mourya Updated: Thu, 10 Jul 2025 07:00 AM (IST)
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    राज्य की 1255 शराब दुकानों में हैंडओवर-टेकओवर की प्रक्रिया पूरी, खुली 285 दुकानें

    राज्य ब्यूरो, रांची। राज्य की 1255 शराब दुकानों में हैंडओवर-टेकओवर की प्रक्रिया पूरी हो गई है। अब करीब 200 दुकानें शेष हैं, जहां हैंडओवर-टेकओवर की कार्रवाई चल रही है। जहां हैंडओवर-टेकओवर का काम पूरा हो गया है, उनमें से 285 दुकानों को झारखंड राज्य बेवरेजेज कारपोरेशन लिमिटेड (जेएसबीसीएल) ने अपने नियंत्रण में शुरू कर दिया है।

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    इन दुकानों के कर्मियों के मानदेय, वेतन आदि का भुगतान जेएसबीसीएल के माध्यम से होगा। उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग ने यह दावा किया है कि इस सप्ताह के अंत तक राज्य में शराब बिक्री की स्थिति सामान्य हो जाएगी। शराब की उपलब्धता भी सामान्य हो जाएगी। सभी शराब आपूर्ति कंपनियों को शराब आपूर्ति सामान्य करने संबंधित विभाग ने आदेश जारी कर रखा है।

    अगले हफ्ते स्पष्ट होगा अनियमितता का आंकड़ा

    हैंडओवर-टेकओवर की प्रक्रिया के दौरान सभी खुदरा शराब दुकानों की आडिट भी चल रही है। शराब दुकानों में जेएसबीसीएल के गोदाम से कितनी शराब पहुंची, कितनी बिकी, कितनी बची है। बिक्री मद में आई राशि में कितना जमा हुआ, कितना बकाया है, यह आंकड़ा भी स्पष्ट होगा।

    विभाग का दावा है कि अगले हफ्ते यानी 15 जुलाई के बाद यह स्पष्ट होगा कि राज्य में शराब की बिक्री में कितने की अनियमितता हुई है।

    राज्य में खुदरा शराब दुकानों में मैनपावर की आपूर्ति करने वाली प्लेसमेंट एजेंसियां 30 जून तक ही र्कायरत रहीं। सिर्फ पूर्वी सिंहभूम जिले में एक महीने पहले यानी 30 मई तक प्लेसमेंट एजेंसी कार्यरत थीं।

    इन प्लेसमेंट एजेंसियों से उत्पाद विभाग ने सभी शराब दुकानों का हिसाब लेने के लिए ही एक जुलाई से हैंडओवर-टेकओवर की प्रक्रिया शुरू की थी, जो अब तक जारी है। हैंडओवर-टेकओवर की यह प्रक्रिया दंडाधिकारी की मौजूदगी में हो रही है, जिसकी वीडियोग्राफी भी कराई जा रही है।