Jharkhand News: बच्चों के प्री एजुकेशन के लिए तैयार होंगे शिक्षक, शुरू होगी ECCE डिप्लोमा की पढ़ाई
झारखंड में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (ईसीसीई) के लिए शिक्षक तैयार किए जाएंगे। जेसीईआरटी ने डिप्लोमा पाठ्यक्रम का मसौदा तैयार कर लिया है जो 12वीं के बाद दो वर्ष का होगा। इस पाठ्यक्रम को पूरा करने वाले युवा प्री नर्सरी से दूसरी कक्षा तक के शिक्षक बन सकेंगे। सरकारी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में नियुक्ति के अवसर मिलेंगे।

नीरज अम्बष्ठ, रांची। झारखंड में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (ईसीसीई) के लिए शिक्षक तैयार किए जाएंगे।
इसे लेकर राज्य के शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों में प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (ईसीसीई) में डिप्लोमा पाठ्यक्रम की पढ़ाई शुरू कराई जाएगी।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के निर्देश पर झारखंड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (जेसीईआरटी) ने इसके पाठ्यक्रम का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। जेसीईआरटी ने इसपर संबंधित सभी स्टेक होल्डर्स से सुझाव मांगे हैं। राज्य सरकार की स्वीकृति के बाद यह लागू हो जाएगा।
यह डिप्लोमा पाठ्यक्रम दो वर्ष का होगा, जिसमें नामांकन 12वीं कक्षा के बाद होगा। इसमें नेशनल क्रेडिट फ्रेवमर्क के अनुसार कई क्रेडिट होंगे, जिनका उल्लेख भी करिकुलम में किया गया है।
यह पाठ्यक्रम उन युवाओं के लिए तैयार किया गया है जो तीन से आठ वर्ष के बच्चों की शिक्षा के क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं।
पाठ्यक्रम तैयार करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभानेवाले जेसीईआरटी के स्टेट रिसोर्स पर्सन मणिलाल साहू के अनुसार, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा पर जोर दिया गया है।
यह बच्चों के समग्र विकास, जैसे कि सामाजिक, भावनात्मक, संज्ञानात्मक और शारीरिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है। यह करिकुलम दिल्ली एवं कुछ अन्य राज्यों में लागू करिकुलम तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति का अध्ययन कर तैयार किया गया है।
50 सीटों पर होगा नामांकन, तैयार होंगे प्री नर्सरी से दूसरी कक्षा के शिक्षक
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) से मान्यता प्राप्त किसी भी संस्थान में इस डिप्लोमा पाठ्यक्रम में अधिकतम 50 सीटों पर नामांकन होगा।
सरकारी संस्थानों की बात करें तो जिला शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों (डायट) में इस पाठ्यक्रम की पढ़ाई शुरू होगी। इस पाठ्यक्रम को पूरा करने वाले युवा प्री नर्सरी के साथ-साथ पहली एवं दूसरी कक्षा के शिक्षक बन सकेंगे।
अंतिम 90 दिनों स्कूलों में लेनी होगी कक्षाएं
दो वर्ष के पाठ्यक्रम के दौरान अंतिम 90 दिन स्कूलों में कक्षाएं लेनी होगी। कुल 40 क्रेडिट में थ्योरी और प्रैक्टिकल का अनुपात पांच अनुपात तीन का होगा। 20 क्रेडिट थ्योरी तथा 12 क्रेडिट प्रैक्टिकल अर्थात आंतरिक मूल्यांकन का होगा।
आठ अंक स्कूल एक्सपीरिएंस प्रोग्राम का होगा। थ्योरी में न्यूनतम 40 प्रतिशत तथा प्रैक्टिकल में 50 प्रतिशत अंक लाना अनिवार्य होगा।
बालवाटिका और आंगनबाड़ी केंद्रों में हो सकेगी नियुक्ति
प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (ईसीसीई) में डिप्लोमा की पढ़ाई शुरू होने से सरकारी स्कूलों में संचालित बालवाटिका (कक्षा एक से पहले) के लिए शिक्षक मिल सकेंगे। साथ ही आंगनबाड़ी केंद्रों में भी उनकी बहाली हो सकती है।
झारखंड में मात्र एक संस्थान में होती है ईसीसीई डिप्लोमा की पढ़ाई
झारखंड में वर्तमान में मात्र एक संस्थान गढ़वा के गुरुपद शिक्षक प्रशिक्षण कालेज में इस पाठ्यक्रम की पढ़ाई होती है। यहां पढ़ाई पूरा करनेवाले विद्यार्थियों की परीक्षा नहीं हो पा रही थी, क्योंकि झारखंड अधिविद्य परिषद के पास इसके लिए सिलेबस ही नहीं था।
करिकुलम लागू होने से न केवल इस कालेज के विद्यार्थियों की परीक्षा हो सकेगी, बल्कि अन्य संस्थानों में भी इसकी पढ़ाई शुरू हो सकेगी।
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