Jharkhand: 4 महीने में खत्म हो गया पूर्व इंजीनियर की पत्नी का पॉलिटिकल करियर, BJP ने बना ली दूरी?
टेंडर आवंटन में कमीशनखोरी के आरोप में गिरफ्तार वीरेंद्र राम की पत्नी राजकुमारी का राजनीतिक करियर शुरू होते ही खत्म हो गया। भाजपा ने उन्हें 2019 में टिकट देने से इनकार कर दिया क्योंकि उन पर भी मनी लांड्रिंग के आरोप लगे थे। वीरेंद्र राम ने राजकुमारी को समाजसेविका बताकर भाजपा में शामिल कराया था लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद पार्टी ने उनसे दूरी बना ली।

राज्य ब्यूरो, रांची। टेंडर आवंटन में कमीशन घोटाला मामले में ईडी के हाथों गिरफ्तार ग्रामीण कार्य विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम की पत्नी राजकुमारी राजनीति में कदम बढ़ा ही रही थी कि भ्रष्टाचार की आंच ने उनके करियर पर ग्रहण लगा दिया। महज चार महीने के भीतर राजकुमारी का राजनीतिक करियर शुरू होकर समाप्त भी हो गया।
वर्ष 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर उनके चुनाव लड़ने का सपना अधूरा ही रह गया। मनी लांड्रिंग के इस मामले में वीरेंद्र राम के अलावा उनकी पत्नी राजकुमारी भी पीएमएल अधिनियम के तहत चार्जशीटेड हैं।
दरअसल, ग्रामीण कार्य विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम का विभाग में वर्चस्व था और राजनीतिक संरक्षण की बदौलत उनका कद भी बढ़ रहा था। टेंडर आवंटन में कमीशन की राशि से करोड़ों की संपत्ति अर्जित करने वाले वीरेंद्र राम ने अपनी पत्नी राजकुमारी को राजनीति में स्थापित करने की कोशिश की थी।
उसने अपनी पत्नी राजकुमारी को जमशेदपुर में एक गोपनीय कार्यक्रम के दौरान भाजपा में शामिल करवा दिया। उसने सात अगस्त को इससे संबंधित विज्ञापन भी सभी प्रमुख समाचार पत्रों में पहले पन्ने पर छपवा दिया, जिसमें राजकुमारी को समाजसेविका के रूप में प्रस्तुत किया।
हालांकि, पूरा खेल तब बिगड़ा, जब एसीबी जमशेदपुर की टीम ने 14 नवंबर 2019 को सड़क निर्माण विभाग के तत्कालीन कनीय अभियंता सुरेश प्रसाद वर्मा को दस हजार रुपये रिश्वत लेते गिरफ्तार किया। तत्कालीन जेई सुरेश प्रसाद की निशानदेही पर उनके आवास व फ्लैट पर तलाशी ली गई थी, जिसमें एक किराएदार आलोक रंजन के आवास से 2.67 करोड़ रुपये की बरामदगी हुई।
छानबीन में बरामद रुपये वीरेंद्र राम के निकले, आलोक रंजन वीरेंद्र राम का चचेरा भाई निकला जो वीरेंद्र राम के काले धन को वसूलने व उसे निवेश करने में शामिल था।
वीरेंद्र राम पर भ्रष्टाचार के आरोपों की पुष्टि के बाद से ही भाजपा नेताओं ने वीरेंद्र राम व उनकी पत्नी राजकुमारी से दूरी बनानी शुरू कर दी थी। यही वजह है कि जिस राजकुमारी को भाजपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ने का दावेदार माना जा रहा था, उन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद पार्टी से बाहर का रास्ता देखना पड़ा।
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