RIMS प्रबंधन पर सफाई टेंडर में छेड़छाड़ का आरोप, स्वास्थ्य मंत्री को लिखी गई शिकायत
रिम्स प्रबंधन पर सफाई टेंडर में छेड़छाड़ का आरोप लगा है। अन्नपूर्णा यूटिलिटी सर्विसेज ने स्वास्थ्य मंत्री से शिकायत की है कि अंतिम तिथि गलत तरीके से बढ़ाई गई जिससे कुछ चहेती एजेंसियों को फायदा हुआ। रिम्स ने तकनीकी खराबी के कारण तिथि बढ़ाने की बात कही है और आरोपों को निराधार बताया है। इस टेंडर प्रक्रिया में कुल 18 एजेंसियों ने हिस्सा लिया है।

जागरण संवाददाता, रांची। रिम्स प्रबंधन पर एक बार फिर टेंडर में छेड़छाड़ का आरोप लगा है। सफाई के लिए प्रबंधन द्वारा जारी टेंडर भरने की अंतिम तिथि गलत तरीके से बढ़ा दी गई। जिसको लेकर कुछ एजेंसियों ने इसका विरोध किया है और प्रबंधन पर अपने कुछ जानकार एजेंसियों को टेंडर भरने का मौका देने का आरोप लगाया है।
रिम्स में सफाई का काम कर रही अन्नपूर्णा यूटिलिटी सर्विसेज ने स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर इस मामले की शिकायत की है। जिसमें बताया गया है कि किस तरह प्रबंधन ने टेंडर की तिथि बढ़ा दी और लखनऊ व दिल्ली की अपनी चहेती एजेंसियों को टेंडर भरने का मौका दे दिया।
अन्नपूर्णा यूटिलिटी ने पत्र लिखकर बताया है कि किस तरह शुरुआत में टेंडर भरने की अंतिम तिथि 25 जून शाम पांच बजे तक रखी गई थी। लेकिन नियमों के विरुद्ध अगले दिन 26 जून की शाम को सुधार पत्र जारी कर टेंडर भरने की तिथि 26 से बढ़ाकर 30 जून कर दी गई। जबकि नियमानुसार यदि शुद्धि पत्र जारी करना था तो 25 जून की शाम तक जारी हो जाना चाहिए था। उस समय 25 जून तक कोई शुद्धि पत्र जारी नहीं किया गया और अगले दिन 26 जून को रात 8.35 बजे मेल के माध्यम से पता चला कि अंतिम तिथि 30 तक बढ़ा दी गई है।
कुल 18 एजेंसियों ने टेंडर भरा
अन्नपूर्णा यूटिलिटी के निदेशक अनिल कुमार सिंह ने बताया कि यहां मामला अलग है, जब उनके चहेते लखनऊ और दिल्ली वालों का टेंडर बारिश में तकनीकी कारणों से नहीं डाला जा सका तो अंतिम तिथि के बाद अगला शुद्धि पत्र जारी कर अंतिम तिथि पांच दिन बढ़ा दी गई।
इस टेंडर में कुल 18 एजेंसियों ने हिस्सा लिया है, जिसमें से कई एजेंसियों को शुद्धि पत्र की जानकारी ही नहीं थी, जिसके कारण वे 26 से 30 तारीख के बीच नया टेंडर नहीं भर पाईं, जिसके बाद वे एजेंसियां भी इस टेंडर प्रक्रिया से बाहर हो सकती हैं जिन्होंने 25 तारीख तक अपना टेंडर भरा है।
एजेंसी को नहीं मिला अनुभव प्रमाण पत्र
अन्नपूर्णा एजेंसी ने आरोप लगाया है कि उन्हें तीन साल के कार्य अनुभव का प्रमाण पत्र भी नहीं दिया गया। जब उन्होंने प्रबंधन से इसका प्रमाण पत्र मांगा तो प्रबंधन ने देने से इनकार कर दिया। जिसके बाद विभिन्न वार्डों और विभागाध्यक्षों से हर माह जारी होने वाले प्रमाण पत्रों को टेंडर में डाल दिया गया है। वहीं एजेंसी पर 3.50 करोड़ बकाया है और उन्हें टेंडर भरने से रोका जा रहा है।
टेंडर भरने की अंतिम तिथि तक कई एजेंसियों ने मेल भेजकर बताया था कि झारखंड टेंडर में तकनीकी खराबी के कारण टेंडर नहीं भरा जा सका है। जिसके बाद जांच की गई तो मामला सही पाया गया और अगले दिन सुधार पत्र जारी कर टेंडर की अंतिम तिथि बढ़ा दी गई। जरूरी नहीं है कि सुधार पत्र अंतिम तिथि को ही जारी हो, कई लोगों के मेल अंतिम तिथि तक आए जिसके बाद तिथि बढ़ाने का निर्णय लिया गया। इसमें जो भी आरोप लगाए जा रहे हैं, वे बेबुनियाद हैं।
- डॉ. राजीव रंजन, पीआरओ, रिम्स
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