रांची में कुशवाहा महासभा का महाधरना, ओबीसी को 27% आरक्षण बहाल करने की मांग
रांची में कुशवाहा महासभा ने ओबीसी आरक्षण को 27% बहाल करने की मांग को लेकर महाधरना आयोजित किया। महासभा का कहना है कि ओबीसी समुदाय को उनका हक मिलना चाहि ...और पढ़ें

प्रतीकात्मक तस्वीर
जागरण संवाददाता, रांची। झारखंड कुशवाहा महासभा के बैनर तले बुधवार को राजधानी रांची के लोक भवन परिसर में विशाल महा धरना का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का नेतृत्व संगठन के मुख्य संरक्षक भुनेश्वर प्रसाद मेहता ने किया, जबकि अध्यक्षता हाकिम प्रसाद महतो ने तथा मंच संचालन संजय तान और अजीत मांझी ने संभाला।
इस मौके पर हजारों की संख्या में विभिन्न पिछड़ी जातियों के लोग जुटे। धरने को संबोधित करते हुए भुनेश्वर प्रसाद मेहता ने कहा कि पिछड़ी जातियों को 27 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग वर्षों से लंबित है, जिसे तत्काल बहाल किया जाना चाहिए।
उन्होंने घोषणा की कि आगामी दिनों में रांची के मोरहाबादी मैदान में लाखों ओबीसी का ऐतिहासिक जुटान होगा और यह आंदोलन सिर्फ कुशवाहा समाज नहीं बल्कि सभी पिछड़ी जातियों का आंदोलन है।
मेहता ने आरोप लगाया कि झारखंड राज्य बनने के बाद सबसे अधिक उपेक्षा पिछड़ी जातियों की हुई है। राज्य गठन से पहले यहां आबादी के अनुपात में 27 प्रतिशत आरक्षण था, जिसे घटाकर 14 प्रतिशत कर दिया गया।
यह निर्णय हर सरकार द्वारा पिछड़ों के साथ किया गया अन्याय है, जिसे अब सहन नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मोरहाबादी मैदान से उठने वाली आवाज दिल्ली तक पहुंचेगी।
लैंड बैंक में दर्ज 21 लाख हेक्टेयर भूमि को रद् करने की मांग
अपने संबोधन में मेहता ने पिछड़ों से जुड़ी अन्य समस्याओं को भी उठाया। उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को राज्य में पूर्ण रूप से लागू किया जाए। साथ ही भाजपा सरकार द्वारा बनाए गए लैंड बैंक में दर्ज 21 लाख हेक्टेयर भूमि को रद्द करने की मांग की।
उनके अनुसार इस जमीन पर बड़ी संख्या में गरीब, आदिवासी और पिछड़े परिवार बसे हुए हैं। मेहता ने विस्थापित परिवारों के पुनर्वास, रोजगार और मुआवजे के लिए स्वतंत्र नीति और एक अलग आयोग के गठन की भी मांग की।
साथ ही कृषि को उद्योग का दर्जा देने और भूमि अधिग्रहण से प्रभावित परिवारों के लिए संबंधित प्रतिष्ठानों में तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी की नौकरियों में आरक्षण सुनिश्चित करने की बात कही। कार्यक्रम में पूर्व विधायक लोकनाथ महतो, जयप्रकाश वर्मा, बटेश्वर प्रसाद मेहता सहित अनेक समाजसेवी और हजारों की संख्या में लोग उपस्थित थे।

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