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    Jharkhand: फार्मासिस्ट और कंपाउंडर के वेतनमान बढ़ाने के मामले में हाई कोर्ट से नहीं मिली राहत, याचिका खारिज

    रांची हाई कोर्ट ने कहा कि नियुक्ति से पूर्व नीतिगत बदलावों को चुनौती नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने संतोष कुमार की याचिका खारिज करते हुए कहा कि कम वेतनमान पर नियुक्ति स्वीकारने के बाद सवाल उठाना अनुचित है। याचिकाकर्ताओं ने कंपाउंडर पद के वेतनमान को चुनौती दी थी जिसे कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया क्योंकि सरकार ने यह फैसला उनके पदभार ग्रहण करने से पहले ही ले लिया था।

    By Manoj Singh Edited By: Rajat Mourya Updated: Wed, 21 May 2025 06:26 PM (IST)
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    फार्मासिस्ट और कंपाउंडर के वेतनमान बढ़ाने के मामले में हाई कोर्ट से नहीं मिली राहत

    राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एसएन प्रसाद और जस्टिस प्रदीप कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने एक फैसले में कहा है कि नियुक्ति से पहले किए गए नीतिगत बदलावों को चुनौती नहीं दी जा सकती। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने कम वेतनमान पर नियुक्ति स्वीकार की थी, इसलिए अब उन्हें इस पर सवाल उठाने का अधिकार नहीं है।

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    इसके साथ ही अदालत ने संतोष कुमार एवं अन्य की याचिका खारिज कर दी। याचिका में कहा गया था कि झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) ने कंपाउंडर और फार्मासिस्ट पद पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला था।

    विज्ञापन में कंपाउंडर और फार्मासिस्ट का वेतनमान 5200-20200 रुपये और ग्रेड पे 2800 रुपये रखा गया था। दोनों पदों के लिए योग्यता समान रखी गई थी, लेकिन सरकार ने झारखंड पारा मेडिकल स्टाफ कैडर (नियुक्ति, पदोन्नति और अन्य सेवा शर्तें), 2016 के नियम 16 (2) में संशोधन करते हुए कंपाउंडर के वेतनमान को 2800 रुपये से घटाकर 1900 रुपये कर दिया।

    इसके बाद संतोष कुमार एवं अन्य 11 लोगों ने वेतनमान घटाने के आदेश को गलत बताते हुए हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। प्रार्थियों की ओर से कहा गया कि कंपाउंडर और फार्मासिस्ट का वेतनमान एक ही है। इसके अलावा दोनों पदों के लिए पात्रता भी समान है।

    यह भी कहा कि विज्ञापन में दिए गए वेतनमान को बाद में बदलना गलत है और यह संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। राज्य सरकार की ओर से कहा गया गया कि याचिकाकर्ताओं ने कम वेतनमान पर पदभार ग्रहण किया है, इसलिए वे उच्च वेतनमान का दावा नहीं कर सकते, क्योंकि वेतनमान कम करने का निर्णय याचिकाकर्ताओं के पदभार ग्रहण करने से पहले लिया गया था।

    खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने कम वेतनमान पर नियुक्ति स्वीकार कर ली थी, इसलिए अब वे इस पर सवाल नहीं उठा सकते।

    कोर्ट ने यह भी कहा कि अपील याचिका का उद्देश्य सीमित होता है और इसे अपील के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। न्यायालय ने कहा कि याचिका में कोई नया तथ्य या कानूनी त्रुटि नहीं दिखाई दी, जो समीक्षा का आधार बन सके। इसके बाद अदालत ने अपील याचिकाओं को खारिज कर दिया।