दहेज मामले में हाई कोर्ट का बड़ा आदेश, वायुसेना के स्क्वाड्रन लीडर को मिली अग्रिम जमानत; रांची की दूसरी अदालत में पति-ससुर बरी
झारखंड हाई कोर्ट ने दहेज उत्पीड़न मामले में वायुसेना अधिकारी को अग्रिम जमानत दी है। रांची की एक अन्य अदालत ने साक्ष्य के अभाव में पति और ससुर को बरी क ...और पढ़ें

हाई कोर्ट ने कहा- देश की सेवा कर रहे अधिकारी की आजादी दांव पर थी।
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट और रांची की निचली अदालत से वैवाहिक विवाद और दहेज उत्पीड़न के मामलों में दो महत्वपूर्ण फैसले सामने आए हैं। इन दोनों ही मामलों में अदालतों ने साक्ष्यों और परिस्थितियों को गहराई से परखते हुए आरोपियों को बड़ी राहत प्रदान की है।
जहां हाई कोर्ट ने देश की सेवा में तैनात एक वायुसेना अधिकारी की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को सर्वोपरि माना, वहीं एक अन्य मामले में साक्ष्यों के अभाव और बेटे की गवाही के बाद पति और ससुर को आरोपों से मुक्त कर दिया गया।
देश की सेवा कर रहे अधिकारी की आजादी दांव पर नहीं लगा सकते
झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत ने दहेज उत्पीड़न और पत्नी के साथ क्रूरता के आरोपों में घिरे भारतीय वायुसेना के एक स्क्वाड्रन लीडर को अग्रिम जमानत की सुविधा प्रदान कर दी है।
अदालत ने अपने आदेश में बेहद महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि यह मामला विशेष और असाधारण परिस्थितियों वाला है, जहां देश की सुरक्षा और सेवा में समर्पित एक अधिकारी की व्यक्तिगत स्वतंत्रता दांव पर लगी है। कोर्ट ने इस बात को प्रमुखता से दर्ज किया कि प्रार्थी न तो कानून से भाग रहा है और न ही जांच से बच रहा है, बल्कि वह जांच प्रक्रिया में शुरू से ही लगातार सहयोग कर रहा है।
सुनवाई के दौरान अदालत ने स्पष्ट किया कि भले ही कानूनी प्रक्रियाओं के तहत इश्तेहार या वारंट की स्थिति में अग्रिम जमानत के रास्ते सीमित हो जाते हैं, लेकिन इसका यह अर्थ बिल्कुल नहीं है कि न्याय करते समय मामले के तथ्यों और पृष्ठभूमि को नजरअंदाज कर दिया जाए।
प्रार्थी की ओर से दलील दी गई कि उनकी पत्नी एक डेंटल सर्जन और लेक्चरर हैं, जो उनके साथ रहने को तैयार नहीं थीं, जबकि वे स्वयं परिवार को बचाने के इच्छुक थे। वायुसेना अधिकारी के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में क्रूरता और दहेज निषेध अधिनियम की धाराएं लगाई गई थीं, लेकिन कोर्ट ने प्रार्थी के जांच में सहयोग और उनके पेशे की गरिमा को देखते हुए उन्हें राहत देना उचित समझा।
दहेज हत्या के आरोप से पति-ससुर बरी, बेटे की गवाही ने पलटा केस
इसी तरह के एक अन्य मामले में रांची के अपर न्यायायुक्त एके तिवारी की अदालत ने दहेज हत्या और आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपित पति राजेश कुमार वर्मा और ससुर नंद किशोर वर्मा को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है।
वर्ष 2021 में इंदु कुमारी की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के बाद खलारी थाने में यह मामला दर्ज कराया गया था। हालांकि, सुनवाई के दौरान यह केस तब पूरी तरह पलट गया जब मृतका के अपने ही बेटे ने अदालत के सामने गवाही देते हुए स्पष्ट किया कि उसकी मां ने खुद फांसी लगाई थी और परिवार के किसी भी सदस्य ने उन्हें कभी प्रताड़ित नहीं किया था।
अदालत ने पाया कि अभियोजन पक्ष कॉल डिटेल, एफएसएल रिपोर्ट और मोबाइल लोकेशन जैसे कोई भी ठोस तकनीकी साक्ष्य पेश करने में विफल रहा। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी हत्या का कोई प्रमाण नहीं मिला और मृत्यु का कारण फांसी से दम घुटना ही पाया गया।
मोहल्ले के स्वतंत्र गवाहों के बयान से मुकरने और मायके पक्ष द्वारा पहले कभी कोई शिकायत दर्ज न कराने की बात सामने आने के बाद कोर्ट ने माना कि आरोपियों के खिलाफ लगाए गए आरोप साबित नहीं होते हैं। इसी आधार पर पति और ससुर को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।