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    Street Dogs: स्ट्रीट डॉग हो रहे खतरनाक, कुत्तों की नसबंदी और वैक्सीनेशन के काम में सुस्ती

    रांची में डॉग बाइट के मामले बढ़ रहे हैं अस्पतालों में रोजाना 300 से अधिक मामले दर्ज हो रहे हैं। सदर अस्पताल में एंटी रेबीज वैक्सीन दी जा रही है। होप एंड एनिमल ट्रस्ट ने 1.26 लाख कुत्तों की नसबंदी की है लेकिन अभी भी 1.50 लाख बाकी हैं। डॉग बाइट के मामलों में बच्चों की संख्या अधिक है। पालतू कुत्तों के काटने के मामले भी सामने आ रहे हैं।

    By Shakti Singh Edited By: Rajat Mourya Updated: Tue, 26 Aug 2025 09:39 PM (IST)
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    स्ट्रीट डॉग हो रहे खतरनाक, कुत्तों की नसबंदी और वैक्सीनेशन कार्य पड़ा सुस्त

    जागरण संवाददाता, रांची। राजधानी में डॉग बाइट के मामले में अचानक वृद्धि हुई है। राजधानी के अस्पतालों में हर दिन 300 से अधिक कुत्तों के काटने के मामले आ रहे हैं। सदर अस्पताल में अभी हर दिन करीब 300 लोग कुत्तों के काटने की शिकायत लेकर आ रहे हैं, जिन्हें एंटी रेबीज वैक्सीन की डोज दी जा रही है।

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    रांची नगर निगम के साथ मिलकर काम कर रही होप एंड एनिमल ट्रस्ट आवारा कुत्तों की नसबंदी करता है। यह कार्यरत डॉ. अजय सिंह ने बताया कि अभी तक नगर निगम क्षेत्र में 1.26 लाख कुत्तों की नसबंदी और वैक्सीनेशन किया जा चुका है, लेकिन अभी भी करीब 1.50 लाख आवास कुत्तों की नसबंदी करना बाकी है। रांची में करीब 2.75 लाख आवारा कुत्तों की संख्या बतायी गई है।

    उन्होंने बताया कि सभी वार्ड से एक बार जब तक कुत्तों की नसबंदी कर वैक्सीनेशन नहीं किया जाएगा तब तक योजना पूरी नहीं हो सकती है। हालांकि एक बार में ऐसा करना संभव नहीं हो पाता है।

    शहर के पाश इलाकों सहित अन्य गली-मुहल्लों में कुत्तों का आतंक इस तरह है कि रात में यहां से गुजरना लोगों के लिए परेशानी का सबब बन चुका है। बांधगाड़ी, होटवार, अरगोड़ा, डोरंडा, हिंदपीढ़ी, रातू रोड, इंद्रपुरी, मधुकम, आईटीआई, कांके, मोरहाबादी से सबसे अधिक डॉग बाइट के मामले आ रहे हैं।

    डॉग बाइट में सबसे अधिक बच्चों के मामले:

    सदर अस्पताल में एंटी-रेबीज वैक्सीन की पर्याप्त व्यवस्था की गई है, लेकिन इसके बावजूद लोगों को अव्यवस्था की वजह से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। दूसरी ओर राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में वैक्सीन की व्यवस्था है ही नहीं, जिसके बाद यहां आने वाले डॉग बाइट के मामलों को सदर अस्पताल रेफर कर दिया जाता है।

    ऐसी स्थिति की वजह से सदर अस्पताल में इस मामले को लेकर लोगों की सर्वाधिक भीड़ हो जाती है और मरीजों को घंटो लंबी लाइन लगाकर वैक्सीन लेना पड़ रहा है।

    सिविल सर्जन डॉ. प्रभात कुमार बताते हैं कि डॉगबाइट में सबसे अधिक जो मामले आ रहे हैं उसमें बच्चे भी शामिल हैं। कई बार तो बच्चों को काटने की वजह से गहरे जख्म हो जाते हैं जिसके बाद उसका इलाज वैक्सीन के साथ-साथ रेबीज इम्यून ग्लोब्युलिन के साथ किया जाता है। जिसकी भी जरूरत पड़ने पर मरीजों को उपलब्ध कराया जाता है।

    पालतू कुत्तों का काटना अधिक:

    सिविल सर्जन ने बताया कि हाल के दिनों में डॉगबाइट के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। इनमें से अधिकतर मामले पालतू कुत्तों के काटने के भी आ रहे हैं। अभी बारिश के मौसम में कुत्ते काफी आक्रमक होते हैं, इस मौसम में उनके हारमोन अपेक्षा से अधिक एक्टिव होता है, जिस कारण से वे काफी काटते हैं।

    इधर, पालतू कुत्तों को रेबीज के खिलाफ वैक्सीन लगाया जाता है, लेकिन उनके काटने के बाद भी लोग एंटी-रेबीज वैक्सीन लगवाने के लिए अस्पताल पहुंच रहे हैं। इससे साफ है कि पालतू कुत्ते भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं और उनके काटने पर भी चिकित्सा लेना अनिवार्य हो जाता है।

    साथ ही सदर अस्पताल प्रशासन ने स्थिति को देखते हुए पर्याप्त मात्रा में एंटी-रेबीज वैक्सीन उपलब्ध कराई है। अस्पताल में आने वाले हर मरीज का तुरंत इलाज किया जा रहा है, डॉक्टरों की टीम चौबीसों घंटे सतर्क है।

    18 माह में 31 हजार लोगों को कुत्तों ने काटा:

    सदर अस्पताल के आंकड़ें के अनुसार जनवरी 2024 से जुलाई 2025 तक करीब 39,230 लोग डॉग बाइट के शिकार हो चुके हैं। वर्ष 2024 की अपेक्षा वर्ष 2025 में जनवरी से ही कुत्तों के काटने के मामले बढ़े हैं।

    साथ ही अभी हाल में ही हरियाणा के कबड्डी खिलाड़ी बृजेश सोलंकी की रेबीज की वजह से हुई मौत की खबर वायरल होने के बाद अब वैक्सीन लेने वालों की संख्या और बढ़ी है, लोग जागरूक हुए हैं। बृजेश सोलंकी को एक कुत्ते के पिल्ले ने काट लिया था, जिसे उसने नजरअंदाज कर दिया था।