रांची डीसी ने फाइलेरिया रोकथाम अभियान का किया उद्घाटन, लोगों से भागीदारी की अपील
रांची जिला में सोमवार को सदर अस्पताल से मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम की शुरूआत उपयुक्त छवि रंजन ने की। उन्होंने खुद फाइलेरिया रोकथाम की दवा खाते हुए इस अभियान की शुरुआत की। उन्होंने बताया कि इस अभियान में हर लोगों को जोड़ा जाएगा।

जासं, रांची। रांची जिला में सोमवार को सदर अस्पताल से मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम की शुरूआत उपायुक्त छवि रंजन ने की। उन्होंने खुद फाइलेरिया रोकथाम की दवा खाते हुए इस अभियान की शुरुआत की। उन्होंने बताया कि इस अभियान में हर लोगों को जोड़ा जाएगा। उन्होंने लोगों से अपील भी की कि फाइलेरिया रोकथाम के लिए दी जाने वाली दवा का वह सेवन करें। इस दवा को अगर 5 साल तक लिया जाए तो फाइलेरिया जैसे बीमारी से मुक्ति मिल सकती है।
फाइलेरिया बीमारी के रोकथाम के लिए यह अभियान 25 अगस्त तक आंगनबाड़ी केंद्रों के अलावे पार्षद कार्यालय में आयोजित किया जाएगा। इसके बाद 26 से 27 अगस्त तक डोर टू डोर कार्यक्रम चलेगा। इस अभियान के तहत रांची के कुल 27 लाख 93 हजार 252 लोगों को डीइसी (डाई एथाइल कार्बामेजिन साइट्रेट) और एल्बेंडाजोल की गोली खिलाई जाएगी।
उपायुक्त ने बताया कि इस अभियान को सफल बनाने के लिए रांची जिले में कुल 3231 बूथ बनाए गए हैं। साथ ही 454 सुपरवाइजर, 6462 स्वास्थ्य कार्यकर्ता और 18 त्वरित कार्रवाई दल का गठन किया गया है। रांची सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार ने कहा कि इस अभियान को सफल बनाने में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, स्वास्थ्य उप केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सभी आंगनबाड़ी केंद्र, वार्ड कार्यालय, शहरी स्वास्थ्य केंद्र, अटल क्लिनिक और सार्वजनिक भवनों में बने बूथ के माध्यम से दवाएं दी जाएंगी।
डीइसी के साथ एल्बेंडाजोल को दी जाएगी गोली :
सिविल सर्जन ने कहा कि डीइसी के साथ एल्बेंडाजोल की भी गोली दी जाएगी। लेकिन गर्भवती महिला, गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति और 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को डीइसी की दवा नहीं दी जाएगी। उन्होंने बताया कि 1 से 2 साल के कम आयु वाले बच्चों को एल्बेंडाजोल की आधी गोली चूर कर दिया जाएगा। सिविल सर्जन ने बताया कि फाइलेरिया एक वेक्टर जनित रोग है। यह संक्रमित मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। इस मच्छर के काटने के बाद 5 से 15 साल के बीच किसी भी समय व्यक्ति फाइलेरिया नामक बीमारी के चपेट में आ सकता है। इस बिमारी के कारण मरीजों के पांच फूल जाते हैं।

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