Ranchi: जिनके नाम पर पड़ा सिंह मोड़ का नाम, 105 वर्ष की उम्र में उनका निधन, जानें कौन है ये शख्स
Jharkhand News रांची में बिरसा चौक से हटिया जाने के मार्ग में सिंह मोड़ चौक एक महत्वपूर्ण चौक है। कभी चोर लुटेरों का भय रहता था। शाम 600 बजे के बाद गाड़ियां नहीं चलती थीं। सिंह मोड़ का नाम जिनके नाम पर पड़ा उनका निधन हो गया है।

तुपुदाना, जासं। Jharkhand News झारखंड की राजधानी रांची के खूंटी मुख्य पथ पर महत्वपूर्ण एवं घनी आबादी वाला जगह, सिंह मोड़ कहलाता है। बिरसा चौक से हटिया जाने के मार्ग में सिंह मोड़ चौक महत्वपूर्ण चौक है। उस चौक का नामकरण परमानंद सिंह के नाम पर हुआ। कभी पूरा इलाका सन्नाटा रहता था चोर लुटेरों का भय रहता था। शाम 6:00 बजे के बाद गाड़ियां नहीं चलती थीं। उस सुनसान वीरान जगह पर झोपड़ी में चाय की दुकान परमानंद सिंह चलाते थे। धीरे-धीरे सिंह जी के नाम से चौक का नाम सिंह मोड़ हो गया।
परमानंद सिंह।
आज भी लोग परमानंद सिंह को नहीं जानते हैं लेकिन सिंह मोड़ के नाम से पूरे रांची में यह क्षेत्र प्रसिद्ध है। 105 वर्ष की उम्र में परमानंद सिंह की रविवार को मृत्यु हो गई। इतनी लंबी उम्र में भी हुए अपनी दिनचर्या खुद कर लेते थे।
1959 में परमानंद सिंह आ गए थे रांची
उनके बड़े बेटे अशोक सिंह ने बताया कि वह लोग मूल रूप से बिहार के वैशाली जिले के महनार तारा चोरी गांव के निवासी हैं। गांव में खेती की जमीन गंगा में बह जाने के बाद वर्ष 1959 में गांव के पंडित जी के साथ उनके पिता परमानंद सिंह रांची आ गए थे। उसके बाद सिंह मोड़ में ही ट्रांसफार्मर के समीप झोपड़ी बनाकर चाय बेचते थे। परमानंद सिंह धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे।
उनकी झोपड़ी में होता था भजन कीर्तन
लोगों ने बताया कि प्रतिदिन शाम में उनकी झोपड़ी में भजन कीर्तन होता था। सावन के महीने में पूरे क्षेत्र में केसरिया भगवा झंडा से सजा दिया जाता था। और आमरेश्वर धाम जाने वाले श्रद्धालुओं को चाय बिस्किट खीर खिलाया जाता था। रांची से आमरेश्वर धाम जाने वाले श्रद्धालु बस ट्रक एवं पैदल रुक कर भी वहां भजन कीर्तन करके चाय नाश्ता करने के बाद आमरेश्वर धाम जाते थे।
परमानंद सिंह के पांच बेटे
परमानंद सिंह के पांच बेटे हैं सिंह मोड़ में ही सिंह मेशन उनका आवास है जहां पांचों बेटे अपने परिजनों के साथ रहते हैं। उनके पोते भी पिता बन चुके हैं। भरे पूरे परिवार को छोड़कर वे स्वर्ग लोक सिधार गए उनकी मृत्यु से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर है।
ट्रांसफार्मर रक्षक की उपाधि दिया था बिजली विभाग ने
पूर्व में लटमा मोड़ के नाम से जाना जाने वाला सिंह मोड़ में एक ट्रांसफार्मर था, जिसे चोरों के द्वारा बार-बार चोरी कर लिया जाता था। जिससे लटमा गांव में बिजली की समस्या होती थी। बिजली विभाग के द्वारा उनको ट्रांसफार्मर रक्षक की उपाधि दी गई थी। साथ ही एक शेड भी बनवा दिया गया था, ताकि ट्रांसफार्मर की रक्षा हो सके और कोई नुकसान न पहुंचा सके। लटमा के शाहदेव परिवार के द्वारा भी उनको चौक में रहने की व्यवस्था की गई थी।
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