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RSS Sangh Samagam: 1985 में रांची में बना दक्षिण बिहार का प्रांत मुख्यालय, बुधिया कंपाउंड में शुरू हुई शाखा

RSS Sangh Samagam 1985 में राजगीर में हुई संघ की अहम बैठक में बिहार प्रांत को उत्तर बिहार एवं दक्षिण बिहार में बांट दिया गया। दक्षिण बिहार का मुख्यालय रांची को बनाया गया।

By Alok ShahiEdited By: Published: Thu, 20 Feb 2020 12:28 PM (IST)Updated: Thu, 20 Feb 2020 12:28 PM (IST)
RSS Sangh Samagam: 1985 में रांची में बना दक्षिण बिहार का प्रांत मुख्यालय, बुधिया कंपाउंड में शुरू हुई शाखा
RSS Sangh Samagam: 1985 में रांची में बना दक्षिण बिहार का प्रांत मुख्यालय, बुधिया कंपाउंड में शुरू हुई शाखा

रांची, जासं। RSS Sangh Samagam झारखंड में संघ कार्य बढऩे के बाद 1985 में राजगीर में हुई बैठक में बिहार प्रांत को उत्तर बिहार एवं दक्षिण बिहार में बांट दिया गया। दक्षिण बिहार का मुख्यालय रांची को बनाया गया। यहां के पहले प्रांत प्रचारक श्रीशंकर तिवारी बने। 1990 में बाबा राव पौराणिक प्रांत प्रचारक बने। 1994 में बिहार को तीन प्रांतों में बांट कर उत्तर बिहार, मध्य बिहार एवं दक्षिण बिहार किया गया। गुरुशरण प्रसाद दक्षिण बिहार के पहले प्रांत प्रचारक बने। वर्तमान समय का संथाल परगना उस समय मध्यम बिहार प्रांत के अंतर्गत आता था। झारखंड का वर्तमान प्रांत कार्यालय गुरुशरण प्रसाद के समय ही बना। इनके बाद 1997 में रामचंद्र सहस्त्र भोजनी प्रांत प्रचारक बने। 

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रांची के बुधिया कंपाउंड में लगती थी शाखा

बातचीत में आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक गुरुशरण प्रसाद ने कहा वर्तमान झारखंड के इलाके में रांची से संघ का काम प्रारंभ हुआ। रांची कॉलेज के व्याख्याता श्रीकृष्ण प्रसाद, सीता राम मारू, पीएल चोपड़ा, राजा बाबू, वासुदेव बुधिया आदि मिलकर संघ की शाखा लगाने का काम करते थे। मारवाड़ी कॉलेज के पास स्थित बुधिया कंपाउंड में शाखा लगती थी। रांची में काली मंदिर के पास स्थित एक मकान में संघ का कार्यालय था। जगदीश सर्राफ एवं भोलानाथ झा प्रचारक के रूप में यहां आए थे। वहीं जगदीश ऐब्रोल प्रचारक के रूप में नागपुर से आए और उन्होंने इस इलाके में काम प्रारंभ किया। 1948 के बाद जगदीश सर्राफ इधर के प्रचारक बने थे। 

झारखंड के पहले प्रांत प्रचारक अशोक वार्ष्‍णेय व वर्तमान में रविशंकर हैं

1999 में दक्षिण बिहार के प्रांत प्रचारक अशोक वार्ष्‍णेय बने। अलग झारखंड राज्य बनने के बाद अशोक वाष्र्णेय यहां के पहले प्रांत प्रचारक, मोरेंग सिंह पूर्ति प्रांत संघचालक एवं शकलदेव चौरसिया प्रांत कार्यवाह थे। 2007 में श्रीशदेव पूजारी फिर 2008 में मिथिलेश नारायण, 2013 में अनिल मिश्र एवं दिसंबर 2016 को रविशंकर प्रांत प्रचारक बने जो अभी भी हैं। कार्य की दृष्टि से अभी पूरे प्रांत को 24 जिले, चार महानगर एवं आठ विभाग में बांटा गया है। 

श्रीशंकर तिवारी ने आदिवासियों एवं दलितों के बीच नेतृत्व खड़ा करने का काम किया

गुरुशरण प्रसाद ने कहा कि 1985 में प्रांत प्रचारक श्रीशंकर तिवारी बने। उन्होंने दक्षिण बिहार में आदिवासियों एवं दलितों के बीच नेतृत्व खड़ा करने की योजना बनाई। बाबू लाल मरांडी एवं कामेश्वर चौपाल को संगठन से जोड़ा गया। मरांडी विहिप के पूर्ण कालिक बने और उन्हें जमशेदपुर विभाग का काम दिया गया। कामेश्वर चौपाल को हजारीबाग भेजा गया। जब कैलाशपति मिश्र भाजपा के संगठन मंत्री बने तो उन्होंने बाबू लाल मरांडी और कामेश्वर चौपाल को भाजपा से जोड़ लिया। मरांडी को दुमका एवं चौपाल को उत्तर बिहार का काम दिया गया। 


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