चीन के ठगों के साथ मिलीभगत, रांची में साइबर अपराध के नेटवर्क का भंडाफोड़; सात गिरफ्तार
रांची पुलिस ने साइबर अपराध के खिलाफ कार्रवाई करते हुए सात एजेंटों को गिरफ्तार किया है जो चीन के ठगों के साथ मिलकर निवेश का झांसा देकर घोटाला कर रहे थे। ये म्यूल बैंक खातों की व्यवस्था करते थे और अवैध ट्रांजेक्शन करते थे। पुलिस ने इनके पास से मोबाइल सिम कार्ड एटीएम कार्ड लैपटॉप और म्यूल खाता की विवरणी बरामद की है।

राज्य ब्यूरो, रांची। सीआईडी के अधीन संचालित साइबर अपराध थाने की पुलिस ने शुक्रवार की शाम चीन के ठगों की मिलीभगत से रांची में साइबर अपराध में संलिप्त सात एजेंटों को गिरफ्तार किया है।
ये रांची के जगन्नाथपुर थाना क्षेत्र स्थित ओलिव गार्डन होटल से उक्त नेटवर्क को संचालित कर रहे थे। ये निवेश का झांसा देकर घोटाला, डिजिटल अरेस्ट जैसी धोखाधड़ी गतिविधियों में संलिप्त थे। यह गिरोह म्यूल बैंक खातों की व्यवस्था कर चीनी ठगों की मिलीभगत से अवैध ट्रांजेक्शन कर रहे थे।
गिरफ्तार सातों एजेंटों में बिहार के सिवान जिले के टाउन थाना फतेहपुर बाईपास रोड निवासी कुमार दीपक, बिहार के ही नालंदा जिले के बिंद थाना क्षेत्र के घनेश्वर घाट निवासी कुमार सौरभ, बिहार के सिवान जिले के टाउन थाना क्षेत्र बबुनिया मोड़ निवासी प्रभात कुमार शामिल हैं।
वहीं, मध्य प्रदेश के सागर जिले के गोपालगंज थाना क्षेत्र के तिलीवार्ड सागर काली मंदिर के पास मेंबर गली निवासी लखन चौरसिया, बिहार के नवादा जिले के रोह थाना क्षेत्र के कुजैला रोड निवासी शिवम कुमार, बिहार के पटना जिले के दिदारगंज खाजपुर कच्छी दरगाह निवासी अनिल कुमार व बिहार के पटना जिले के गौरीचक थाना क्षेत्र के रामगंज का रहने वाला प्रदीप कुमार शामिल हैं।
इन आरोपितों के पास से पुलिस ने 12 मोबाइल, 11 सिमकार्डस, 14 एटीएम कार्ड, एक लैपटॉप, एक चेकबुक, वॉट्सएप, टेलीग्राम चैट से प्राप्त 60 म्यूल खाता की विवरणी बरामद की गई है।
सीआईडी के अनुसार यह कार्रवाई झारखंड पुलिस की साइबर अपराधियों के विरुद्ध चलाए जा रहे सघन अभियान का हिस्सा है जो राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क को उजागर करने की दिशा में एक बड़ी सफलता है।
सीआईडी ने राज्य के आम जनता से अपील की है कि वे किसी भी अनजान लिंक, कॉल या निवेश प्रस्ताव से सतर्क रहें और किसी भी साइबर अपराध की सूचना हेल्पलाइन नंबर 1930 या डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट साइबरक्राइम डॉट जीओवी डॉट इन पर दें।
देश के विभिन्न हिस्सों से म्यूल बैंक खातों की आपूर्ति में लगे थे सभी
साइबर अपराध थाने की पुलिस ने गुप्त सूचना पर सभी सातों एजेंटों को गिरफ्तार किया है। ये देश के विभिन्न हिस्सों से म्यूल बैंक खातों की आपूर्ति में लगे थे। इनके साथ-साथ एक विशेष एजेंट भी गिरफ्तार किया गया जो चीनी कंपनियों मूनपे, ड्रेगनपे, सुपरपे, मैंगोपे इंडिया के लिए काम कर रहा था।
गिरफ्तार चीनी नेटवर्क से जुड़े एजेंओं के पास से वाट्सएप व टेलीग्राम चैट्य से बड़ी संख्या में बैंक खातों की जानकारी और डिजिटल साक्ष्य बरामद किए गए हैं।
जांच में हुआ है खुलासा
पुलिस की जांच में खुलासा हुआ है कि चीनी गिरोह के लिए काम करने वाले एजेंटों को टेलीग्राम के माध्यम से एक एप भेजी जाती थी। इस एप को वे बैंक से जुड़ी सिमकार्ड में इंस्टाल करते थे। इंस्टाल करने के बाद यह एप ओटीपी और बैंक अलर्ट्स को स्वचालित रूप से चीनी सर्वर पर ट्रांसमिट कर देती थी।
इससे चीन में बैठे अपराधी उन खातों का रिमोट एक्सेस प्राप्त कर रहे थे और करोड़ों रुपये की धोखाधाड़ी कर रहे थे।
इन सभी बैंक खातों के लिंक विभिन्न राज्यों में दर्ज निवेश घोटाले व डिजिटल अरेस्ट से संबंधित शिकायतों से मिले हैं, जिनकी रिपोर्ट केंद्र की एनसीआरपी पोर्टल पर दर्ज हैं। अब तक कुल 60 म्यूल बैंक खाता की विवरणी प्राप्त हुई है, जिसमें पूरे भारत से कुल 68 शिकायतें दर्ज हैं।
ऐसे अपराधियों से बचें
वॉट्सएप, टेलीग्राम, गूगल एड्स के माध्यम से भेजे जाने वाले निवेश ऑफर से संबंधित विज्ञापन के लिंक पर क्लिक न करें और न हीं लिंक के माध्यम से किसी वेब पोर्टल या एप्लिकेशन पर रजिस्टर करें।
निवेश के नाम पर वॉट्सएप, टेलीग्राम के माध्यम से मिलने वाले बैंक खाते, यूपीआई आईडी में पैसे जमा नहीं करें। निवेश के लिए सरकार से अधिकृत एप पर ही निवेश करें तथा निवेश करने से पहले उसके संबंध में पूरी जानकारी प्राप्त कर के ही निवेश प्रारंभ करें।
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