Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Rakesh Tikait Latest News: झारखंड आ रहे किसान नेता राकेश टिकैत... नेतरहाट फायरिंग रेंज रद कराने के लिए 245 गांव गोलबंद

    By M EkhlaqueEdited By:
    Updated: Tue, 15 Mar 2022 05:29 PM (IST)

    Rakesh Tikait Coming Jharkhand झारखंड के लातेहार जिले में नेतरहाट फायरिंग रेंज के विरोध में जारी ग्रामीणों के आंदोलन को मजबूत बनाने के लिए किसान नेता राकेश टिकैत पहली बार पहुंच रहे हैं। वह दो दिनों तक ग्रामीणों से संवाद करेंगे। उनकी मांग को सत्ता के गलियारे तक पहुंचाएंगे।

    Hero Image
    Rakesh Tikait News: आदिवासी ग्रामीणों के आंदोलन में भाग लेने झारखंड आ रहे किसान नेता राकेश टिकैत।

    रांची, डिजिटल डेस्क। Rakesh Tikait Coming Jharkhand भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत 22 और 23 मार्च, 2022 को झारखंड आ रहे हैं। वह लातेहार जिले के नेतरहाट स्थित टुटूवापानी मोड़ में आयोजित ग्रामीणों की सभा को संबोधित करेंगे। यह सभा नेतरहाट फायरिंग रेंज रद करने की मांग को लेकर आयोजित की गई है। इसमें 245 गांवों के ग्रामीणों शामिल होंगे। दो दिनों तक चलने वाले इस विस्थापन विरोधी आंदोलन को राकेश टिकैत अपनी उपस्थिति से धार देंगे। हर गांव में उनके आने का निमंत्रण लोगों तक पहुंचाने का सिलसिला जारी है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    नेतरहाट फिल्ड फायरिंग रेंज के लिए नहीं देंगे जमीन

    इस आंदोलन का नेतृत्व केंद्रीय जनसंघर्ष समिति कर रही है। समिति के सचिव जेरोम जेराल्ड कुजूर ने बताया कि राकेश टिकैत ने आने की सहमति दे दी है। दो दिनों तक वह ग्रामीणों के साथ रहेंगे। ग्रामीणों से संवाद करेंगे। वे इस आंदोलन को नई दिशा देंगे। 22 और 23 मार्च को टुटूवापानी मोड़ गांव में विरोध एवं संकल्प दिवस का आयोजन किया गया है। विभिन्न गांवों से पदयात्रा कर बड़ी संख्या में ग्रामीण इस सभा में भाग लेने पहुंचेंगे। ग्रामसभा ने तय किया है कि गांव की सीमा के अंदर की जमीन नेतरहाट फिल्ड फायरिंग रेंज के लिए नहीं दी जाएगी। 

    सत्ता के गलियारे तक अपनी आवाज पहुंचाना चाहते हैं ग्रामीण

    मालूम हो कि किसान नेता राकेश टिकैत पहली बार झारखंड के नक्सल प्रभावित लातेहार जिला पहुंच रहे हैं। उनके आने की सूचना के बाद से ग्रामीणों में उत्साह देखते बन रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी के कृषि कानूनों के खिलाफ जोरदार आंदोलन कर कानूनों को रद कराने वाले राकेश टिकैत को यहां हर कोई सुनना चाहता है। फायरिंग रेंज के कारण विस्थापन से सहमे ग्रामीणों को उम्मीद है कि राकेश टिकैत के कारण उनकी आवाज सत्ता के गलियारों तक ठीक से पहुंच पाएगी। यही वजह है आंदोलन की तैयारी जोरदार तरीके से चल रही है।

    ग्रामीणों को डर है कि सरकार कहीं अवधि विस्तार नहीं दे दे 

    केंद्रीय जनसंघर्ष समिति के सचिव जेरोम जेराल्ड कुजूर के अनुसार, उन्हें अखबारों के माध्यम से पता चला कि 10 जुलाई 2017 को पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भाजपा के कार्यक्रम में नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज रद होने की घोषणा की थी। लेकिन सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई सूचना के अनुसार 1999 के बाद नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के नाम पर किसी तरह की कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई है। इसका मतलब है कि रघुवर दास ने इस संबंध में झूठ बोलकर प्रभावित क्षेत्र की जनता को गुमराह करने की कोशिश की है। वर्तमान हेमंत सोरेन सरकार से सदन में भाकपा माले विधायक विनोद कुमार सिंह द्वारा सवाल पूछा गया था कि क्या सरकार नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के अवधि विस्तार पर विचार रखती है? जवाब में सरकार ने कोई स्पष्ट उतर नहीं दिया है। ग्रामीणों को डर है कि कहीं सरकार अवधि विस्तार नहीं दे दे।

    ढाई लाख आदिवासी इस भूमि अधिग्रहण से होंगे विस्थापित

    जेरोम जेराल्ड कुजूर ने बताया कि 1956 में अधिसूचना जारी कर तत्कालीन बिहार सरकार ने इस फायरिंग रेंज की बुनियाद रखी थी। अधिसूचना अवधि समाप्त होने के पूर्व ही बिहार सरकार ने 1991 एवं 1992 में पुन: अधिसूचना जारी कर क्षेत्र विस्तार कर दिया। फायरिंग रेंज बढ़कर 1471 वर्ग किलोमीटर हो गया। इसके तहत 245 गांवों को अधिसूचित किया गया। कुल 200 वर्ग किलोमीटर की भूमि का अर्जन करने का प्रस्ताव सामने आया। इस अधिग्रहण से करीब 2,50,000 लोगों के विस्थापित होने का अनुमान लगाया जा रहा है। इनमें 90 से 95 प्रतिशत आदिवासी शामिल हैं।

    1994 में ग्रामीणों के भारी विरोध के कारण लौट गई थी सेना

    जेरोम जेराल्ड कुजूर के अनुसार, केंद्रीय जनसंघर्ष समिति की अपील पर ग्रामीणों ने 22-23 मार्च 1994 को आंदोलन कर सेना को अभ्यास करने से रोक दिया था। सेना अंतत: वापस लौट गई थी। लेकिन सरकार की चुप्पी से यह डर बना हुआ है कि कभी भी भूमि का अधिग्रहण कर लिया जाएगा। यही वजह है कि ग्रामीण आंदोलन और सत्याग्रह करने को मजबूर हैं। हर साल 22-23 मार्च को ग्रामीण सत्याग्रह और संकल्प दिवस मनाते हैं। इसके माध्यम से अपनी एकजुटता का प्रदर्शन करते हैं।