Jharkhand Politics: राज्यसभा सदस्यों ने स्थानीय क्षेत्र विकास निधि का मात्र 41 प्रतिशत किया खर्च, योजनाएं लटकीं
झारखंड से राज्यसभा सदस्यों के स्थानीय क्षेत्र विकास निधि के तहत 109 करोड़ रुपये से अधिक की राशि आवंटित की गई लेकिन इसमें से केवल 45 करोड़ रुपये यानि सिर्फ 41.41% ही खर्च हो पाए हैं। सांसदों ने विकास कार्यों के लिए उपलब्ध धन का आधे से भी कम उपयोग किया जिससे कई योजनाएं अधूरी रह गईं।

राज्य ब्यूरो, रांची। Jherkhand Rajya Sabha Members झारखंड से राज्यसभा सदस्यों के स्थानीय क्षेत्र विकास निधि के तहत 109 करोड़ रुपये से अधिक की राशि आवंटित की गई, लेकिन इसमें से केवल 45 करोड़ रुपये यानि सिर्फ 41.41% ही खर्च हो पाए हैं।
यह आंकड़ा दर्शाता है कि सांसदों ने विकास कार्यों के लिए उपलब्ध धन का आधे से भी कम उपयोग किया, जिससे कई योजनाएं अधूरी रह गईं। विभिन्न राज्यसभा सदस्यों के प्रदर्शन में भी काफी अंतर है।
जहां कुछ ने बेहतर काम किया, वहीं कुछ की प्रगति सामान्य रही। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की राज्यसभा सदस्य महुआ मांझी फंड के उपयोग में सबसे आगे हैं। उन्होंने आवंटित राशि का 65% खर्च किया और 75 योजनाओं को पूरा किया।
उनके कार्यों में ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क, स्कूल भवन और सामुदायिक केंद्र जैसे बुनियादी ढांचे शामिल हैं। वह स्थानीय विकास के प्रति गंभीर दिखीं और उनके क्षेत्र में योजनाओं को समयबद्ध तरीके से लागू किया गया। भाजपा के राज्यसभा सदस्य Deepak Prakash ने सबसे अधिक धनराशि खर्च की।
लेकिन उनकी योजनाओं की पूर्णता दर कम है। उनके द्वारा शुरू की गई अधिकांश योजनाएं अभी भी अधूरी हैं। भाजपा के ही आदित्य साहू ने खर्च और योजनाओं के बीच संतुलन बनाए रखा।
उन्होंने न केवल आवंटित धन का उचित हिस्सा खर्च किया, बल्कि कई योजनाओं को भी पूरा किया। उनके कार्यों में पेयजल, सड़क निर्माण और शिक्षा से संबंधित परियोजनाएं शामिल हैं।
उन्होंने सही योजना और कार्यान्वयन से विकास कार्यों में अच्छे परिणाम हासिल किए। जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के राज्यसभा सदस्य शिबू सोरेन की 831 योजनाएं स्वीकृत हुईं।
कम फंड खर्च होने के कई कारण
राज्यसभा सदस्यों के स्थानीय क्षेत्र विकास निधि के फंड के कम उपयोग के पीछे कई कारण हैं। नौकरशाही का अड़ंगा, प्रशासन के साथ समन्वय की कमी, योजनाओं की निगरानी और कार्यान्वयन पर ध्यान न देने के अलावा कुछ क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे की कमी और तकनीकी समस्याएं अहम हैं।
अगर राज्यसभा सदस्य स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर योजनाओं की नियमित समीक्षा करें तो स्थिति में सुधार हो सकता है। फंड का उपयोग प्रभावी ढंग से करने, विकास कार्यों में पारदर्शिता बरतने, समयबद्धता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सख्त निगरानी तंत्र की आवश्यकता है।
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