Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ‘उरांव धर्म एवं प्रथाएं’ के हिंदी अनुवाद पुस्तक का विमोचन, राज्यपाल ने कहा-जनजातीय परंपराओं और सांस्कृतिक जीवन का जीवंत दस्तावेज

    By Neeraj Ambastha Edited By: Kanchan Singh
    Updated: Tue, 25 Nov 2025 09:27 PM (IST)

    राजभवन में 'उरांव धर्म एवं प्रथाएं' नामक पुस्तक के हिंदी अनुवाद का लोकार्पण हुआ। राज्यपाल ने इस अवसर पर कहा कि यह अनुवाद उरांव समुदाय की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह पुस्तक उरांव समुदाय के धर्म और उनकी पारंपरिक प्रथाओं पर प्रकाश डालती है, जिससे व्यापक दर्शकों तक इसकी पहुंच सुनिश्चित होगी। अनुवादकों और प्रकाशकों के प्रयासों की सराहना की गई।

    Hero Image

    राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने मानवशास्त्री शरत चंद्र राय की महत्वपूर्ण कृति ‘उरांव धर्म एवं प्रथाएं’ का डा. राज रतन सहाय द्वारा किए गए हिंदी अनुवाद पुस्तक का विमोचन किया।

    राज्य ब्यूरो, रांची । राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने मंगलवार को राजभवन में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रख्यात मानवशास्त्री शरत चंद्र राय की महत्वपूर्ण कृति ‘उरांव धर्म एवं प्रथाएं’ का डा. राज रतन सहाय द्वारा किए गए हिंदी अनुवाद पुस्तक का विमोचन किया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, पूर्व मंत्री रामेश्वर उरांव एवं सरयू राय, पूर्व लोकसभा सदस्य सुदर्शन भगत सहित कई विद्वतजन, शोधकर्ता तथा विभिन्न शैक्षणिक व सामाजिक संस्थानों से जुड़े लोग उपस्थित थे।

    इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि यह पुस्तक भारत की जनजातीय परंपराओं, आस्था-विचार, सामाजिक संरचना और सांस्कृतिक जीवन का एक जीवंत दस्तावेज है।

    उन्होंने उल्लेख किया कि शरत चंद्र राय ने अपने शोध में उरांव समाज की जीवन-दृष्टि, मान्यताओं और परंपराओं को अत्यंत गहनता और संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत किया है। उन्होंने अनुवादक डा. राज रतन सहाय को बधाई देते हुए कहा कि अनुवाद किसी संस्कृति के ज्ञान-कोष को व्यापक समाज तक पहुंचाने का सशक्त माध्यम है।

    यह हिंदी संस्करण मुख्यधारा के पाठकों को उरांव समाज के ज्ञान और सांस्कृतिक सौंदर्य से जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण सेतु है। इस अवसर पर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि डा. राज रतन सहाय का यह तृतीय अनुवाद है। किसी भी पुस्तक का अनुवाद बहुत महत्वपूर्ण होता है, अनुवाद करते समय भावों में अंतर नहीं आना चाहिए। किसी भी राज्य व क्षेत्र के लिए उसका साहित्य, संस्कृति, कला महत्वपूर्ण है।