Move to Jagran APP

झारखंड के पठारी क्षेत्रों में हांफने लगता है रेलवे का WAG-12 इंजन, राजस्‍व का हो रहा नुकसान

Railway News Jharkhand News चांडिल-टाटा सेक्शन में कई बार मालगाड़ी को धकेलने के लिए बैकिंग मांगी जा चुकी है। इससे राजस्व का नुकसान होता है और परेशानी भी बढ़ती है। डब्लूएजी-9 मल्टीपल आसानी से पार कर जाता है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Tue, 06 Jul 2021 05:08 PM (IST)Updated: Tue, 06 Jul 2021 06:12 PM (IST)
झारखंड के पठारी क्षेत्रों में हांफने लगता है रेलवे का WAG-12 इंजन, राजस्‍व का हो रहा नुकसान
Railway News, Jharkhand News चांडिल-टाटा सेक्शन में कई बार मालगाड़ी को धकेलने के लिए बैकिंग मांगी जा चुकी है।

रांची, जासं। डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के लिए विशेष तौर पर तैयार किया गया डब्लूएजी -12 (मालगाड़ी इंजन) झारखंड के पठारी क्षेत्रों में हांफ रहा है। इस आधुनिक इंजन को रेलवे ने यह सोच कर ट्रैक पर उतारा कि यह खर्च में बचत करेगा, लेकिन चढ़ाई पर चढ़ने की इसकी क्षमता सवालों के घेरे में है। चांडिल-टाटा सेक्शन में अक्सर नया इंजन लोड लेने में लड़खड़ा जाता है। अतिरिक्त इंजन मंगाकर चढ़ाई पार कराया जाता है। अब तक दर्जनों बार बैकिंग की मांग की जा चुकी है। इस दौरान डेढ़ घंटे तक यानी अतिरिक्त इंजन आने तक ट्रैक पर मालगाड़ी खड़ी रहती है। झारखंड में हाल ही में इंजन डब्लूएजी-12 का परिचालन शुरू किया गया है, इससे पूर्व यहां डब्लूएजी-9 मल्टीपल का इस्तेमाल हो रहा था।

loksabha election banner

क्या है कारण

रेलवे विशेषज्ञ का कहना है कि डब्लूएजी-12 और डब्लूएजी-9 मल्टीपल (डबल इंजन) दोनों का ही हॉर्स पावर 12000 है। इसके बावजूद झारखंड के पठारी क्षेत्रों पर डब्लूएजी-12 इंजन चढ़ाई नहीं कर पाता। दरअसल, डब्लूएजी-12 इंजन में ट्रैक्शन मोटर की संख्या 8 है। वहीं डब्लूएजी-9 एक इंजन 6000 हॉर्स पावर का होता है, जिसे जोड़ने पर 12000 हॉर्स पावर हो जाता है। दोनों इंजन में छह-छह ट्रैक्शन मोटर होता है। इसकी बदौलत इंजन चढ़ाई पार कर जाता है।

डब्लूएजी-9 इंजन मल्टीपल का वजन है अधिक

डब्लूएजी-12 का वजन 160 टन है। जबकि डब्लूएजी-9 का वजन 125-125 यानि कुल 250 टन का हो जाता है, ऐसे में भारी इंजन से व्हील स्लीप की समस्या नहीं होती है। पहले डब्लूएजी-9 का भी वजन कम हुआ करता था, जिसके कारण इसमें भी समस्या होती थी। बाद में इसका वजन बढ़ाया गया।

डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के लिए डब्लूएजी-12 इंजन है अधिक कारगर

दरअसल डब्लूएजी-12 इंजन को डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के लिए तैयार किया गया है। यानी मैदानी क्षेत्रों में इसका परिचालन ज्यादा बेहतर है। जबकि पठारी क्षेत्रों में डब्लूएजी-12 इंजन के लिए परिचालन आसान नहीं है।

व्हील स्लीप व गाड़ी के स्टॉल होने पर समय और राजस्व दोनों का है नुकसान

लोड न ले पाने के कारण अगर कोई मालगाड़ी ट्रैक पर खड़ी हो जाती है तो इसमें रेलवे को बड़ा नुकसान होता है। समय के साथ राजस्व की हानि होती है। मालगाड़ी को चढ़ाने के लिए अतिरिक्त इंजन मंगाना पड़ता है। इस दौरान घंटे भर सेक्शन बाधित रहता है। परिचालन प्रभावित रहता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.