रघुवर दास बनाम सरयू राय, झारखंड की राजनीति के दो धुरंधर फिर टकरा रहे; जानें विस्तार से
Raghubar Das Saryu Roy Jharkhand Politics झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास और पिछले विधानसभा चुनाव में उन्हें हराकर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आए सरयू राय एक दफा फिर आमने-सामने हैं। सरयू की शिकायत पर रघुवर दास को नोटिस भेजकर एंटी करप्शन ब्यूरो ने जवाब मांगा है।

रांची, [प्रदीप सिंह]। राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता की वजह से झारखंड के दो कद्दावर नेता एक बार फिर आपस में टकराते नजर आ रहे हैं। हालांकि इस बार स्थिति जरा जटिल है। विधानसभा चुनाव-2019 से पहले भाजपा सत्ता में थी और कमान रघुवर दास के हाथ में थी। उनके मंत्रिमंडल सहयोगी सरयू राय का टिकट भाजपा ने काट दिया था। राजनीतिक गलियारे में यह बात चर्चा में थी कि इसके पीछे तत्कालीन मुख्यमंत्री का हाथ था। सरयू राय ने एक पल की देरी नहीं लगाई और रघुवर दास के खिलाफ चुनाव में खड़े हो गए।
पहले कयास लगाया जा रहा था कि वे रघुवर दास को उनके गढ़ जमशेदपुर पूर्वी में हरा नहीं पाएंगे, लेकिन माहौल ऐसा बना कि सीट उनके हाथ से फिसल गई। हालांकि इससे पहले भी सरयू राय और रघुवर दास के राजनीतिक रिश्ते कभी बेहतर नहीं रहे। इसकी वजह रघुवर दास पर सरयू राय द्वारा लगाए गए आरोप बने। विधानसभा चुनाव समाप्त होने के बाद भाजपा के हाथ से सत्ता फिसली। सरयू राय ने फिर से आरोपों की फेहरिश्त सरकार को सौंपी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसकी जांच के आदेश एंटी करप्शन ब्यूरो को दिए।
इसमें मेनहर्ट कंसल्टेंसी का विवाद प्रमुख है। यह मामला तब का है, जब रघुवर दास झारखंड के नगर विकास मंत्री थे। उनपर कंस्लटेंसी की नियुक्ति में पक्षपात का आरोप है। इस मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो ने रघुवर दास को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। 2016 में राज्य स्थापना दिवस के मौके पर टाॅफी, टीशर्ट वितरण समेत साज-सज्जा और सांस्कृतिक आयोजनों में खास लोगों को गलत तरीके से भुगतान का आरोप है। इसमें वित्तीय अनुशासन की अवहेलना की गई है। यह मामला भी एंटी करप्शन ब्यूरो के पास है। इसकी जांच आरंभ करने का आदेश सरकार से मांगा गया है। इन आरोपों पर रघुवर दास ने सरयू राय के खिलाफ बगैर नाम लिए हुए पलटवार किया है।
रघुवर का पलटवार, ईमानदारी का चोला ओढ़कर कुछ लोग भ्रष्टाचार के नाले में डुबकियां लगा रहे
सरयू राय के आरोपों पर पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने भी पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि मेनहर्ट के मामले पर कुछ लोग राजनीतिक रोटी सेंक कर अपना गुजारा कर रहे हैं। 2005 से अब तक इस मामले में आरोपों के अलावा कुछ नहीं मिला है। इस बीच में कई सरकारें आई और चली गई। वर्ष 2011 में उच्च न्यायालय के आदेश के बाद कंपनी को भुगतान किया था। उस समय अर्जुन मुंडा मुख्यमंत्री और हेमंत सोरेन वित्त मंत्री थे। फिर भी राज्य सरकार चाहे जिस एजेंसी से जांच कराए, मैं घबराने वाले लोगों में नहीं हूं।
मैं मांग करता हूं कि निष्पक्ष जांच कराकर सरकार इस मामले का पटाक्षेप करे, ताकि कुछ लोग जो इसे लेकर अपनी राजनीति चमकाने में लगे रहते हैं, उनको जवाब मिल जाए। इसकी भी जांच हो कि जिस कंपनी को उसके निक्कमेपन के कारण हटाकर मेनहर्ट को कार्य दिया गया था, उस कंपनी के पैरोकारों में कौन हैं और इसमें उनका क्या लाभ था। कंपनी का दफ्तर किसके परिसर में था तो उनकी पोल अवश्य खुल जाएगी। झारखंड में ईमानदारी का चोला ओढ़कर कुछ लोग भ्रष्टाचार के नाले में डुबकियां लगा रहे हैं। जल्द ही उनका चेहरा भी बेनकाब होगा। उन्हें मुंह छिपाने के लिए जगह नहीं मिलेगी।
चोरी भी और सीनाजोरी भी, सरयू राय ने दिया जवाब
रघुवर दास पर सरयू राय ने झूठ बोलने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि रघुवर दास अपनी गलती, निहित स्वार्थ एवं बदनीयत को छिपाने के लिये सार्वजनिक रूप से जानबूझकर झूठ पर झूठ बोले जा रहे हैं। उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त पंच ने दिनांक 30 मई 2012 को निर्णय दिया और बेवजह हटाए जाने से ओआरजी को हुए नुकसान की भरपाई के लिए नगर विकास विभाग पर 3.62 करोड़ रुपये का हर्जाना लगाया और इसे भुगतान करने का निर्देश दिया।
क्या तत्कालीन नगर विकास मंत्री रघुवर दास अपने गलत एवं निहित स्वार्थ से प्रेरित इस निर्णय से सरकारी खजाना को हुए 3.62 करोड़ के नुकसान की भरपाई करेंगे? आश्चर्य है कि वे गलती स्वीकार करने और गलती के लिए माफी मांगने के बदले ढिठाई का प्रदर्शन कर रहे हैं और अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं। वे “चोरी भी और सीनाजोरी भी” तथा ‘‘चोर मचाये शोर” की कहावत चरितार्थ कर रहे हैं। मुख्यमंत्री रह चुके व्यक्ति का ऐसा आचरण अशोभनीय है।
मेरी मांग है कि उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त पंच के निर्णय एवं निर्देश के अनुरूप प्रासंगिक मामले में राज्य सरकार पर लगे 3.62 करोड़ हर्जाना की राशि रघुवर दास से वसूलें। इसके लिए नोटिस जारी किया जाए। इस निहित स्वार्थ प्रेरित निर्णय से रघुवर दास ने न केवल झारखंड को बदनाम किया और राज्य सरकार को वित्तीय नुकसान पहुंचाया है, बल्कि रांची की जनता की कठिनाइयों को बढ़ाया है और अपनी पार्टी को भी बदनाम किया है।
झामुमो ने कहा, रघुवर के पूरे कार्यकाल की जांच हो
रघुवर दास और सरयू राय के बीच हुए विवाद में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा भी कूद पड़ी है। मोर्चा के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि रघुवर दास के खिलाफ भ्रष्टाचार के ढेरों आरोप हैं। सरकार उनके कार्यकाल की जांच के लिए एक सक्षम आयोग का जल्द गठन करे।
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