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    Rafale In India: खुश है सैनिक स्कूल तिलैया, फ्रांस से राफेल लेकर आ रहा पूर्व छात्र रोहित

    Rafale News रोहित कटारिया ने झारखंड के सैनिक स्‍कूल तिलैया में वर्ष 1994 से 1999 तक पढ़ाई की थी। उनके पिता कर्नल सतबीर तब सैनिक स्कूल के प्राचार्य थे।

    By Alok ShahiEdited By: Updated: Wed, 29 Jul 2020 08:47 PM (IST)
    Rafale In India: खुश है सैनिक स्कूल तिलैया, फ्रांस से राफेल लेकर आ रहा पूर्व छात्र रोहित

    कोडरमा, [अनूप कुमार]। Rafale News  कोडरमा स्थित सैनिक स्कूल तिलैया के प्रशासी अधिकारियों, शिक्षकों, छात्रों और पूर्व छात्रों में हर्ष का माहौल है। यहां के पूर्व छात्र रोहित कटारिया देश के उन चुनिंदा पायलटों में एक हैं जो फ्रांस से अत्याधुनिक लड़ाकू विमान राफेल लेकर भारत आ रहे हैं। फ्रांस से 7000 किमी की दूरी तय कर पांच विमानों का दल बुधवार की सुबह अपने वतन पहुंचेगा।

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    सैनिक स्कूल के कैडेटों का सपना भारतीय सेना का अधिकारी बनने का होता है। कैडेटों को इसी के लिए तैयार भी किया जाता है। रोहित की उपलब्धि ने इन कैडेटों को रोमांचित कर दिया है और उनके सपनों को भी पंख लगने लगे हैं। सोशल मीडिया पर यहां के छात्रों ने खुशी जाहिर करते हुए इसे गौरव का पल बताया है।

    स्कूल के रजिस्ट्रार ले. कमांडर हिमांशु शेखर ने बताया कि स्कूल के लोगों को यह सूचना सोशल मीडिया के माध्यम से मिली है। निश्चित रूप से यह स्कूल के लिए गौरव की बात है कि यहां का छात्र उस पहले दस्ते में शामिल है जिसे सबसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमान को उड़ाने का जिम्मा सौंपा गया है।

    राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित सैनिक स्कूल तिलैया के शिक्षक धनंजय कुमार ने कहा कि रोहित शुरू से ही मेधावी था। उसने अपने स्कूल का नाम रोशन किया है। धनंजय स्कूल में भौतिकी के शिक्षक हैं। रोहित कटारिया वर्ष 1994 से 1999 तक सैनिक स्कूल तिलैया में पढ़ाई की थी। जुलाई 1999 में ही इनका चयन एनडीए के लिए हुआ था। इनके पिता कर्नल सतबीर कटारिया तब सैनिक स्कूल तिलैया में ही प्राचार्य के पद पर थे। रोहित का परिवार मूल रूप से हरियाणा का रहने वाला है।

    रोहित कटारिया की इस उपलब्धि पर स्कूल के पूर्व छात्र व इनके सहपाठी ग्रेटर नोएडा में आइटी कंपनी चलाने वाले रवि रंजन ने खुशी जताते हुए कहा कि यह हम सभी एक्स. तिलैयंस के लिए यह गौरव का क्षण है। देश के विभिन्न ऑपरेशनों में यहां के दर्जनों पूर्व छात्रों ने अपने प्राणों की आहूति दी है, जिनके नाम स्कूल के शहीद स्मारक में अंकित हैं। स्कूल के सैकड़ों पूर्व छात्र भारतीय सेना के उच्च पदों पर उत्कृष्ट सेवा दे रहे हैं और दर्जनों सेवानिवृत्त हो चुके हैं। अब राफेल के इतिहास से भी स्कूल का नाम जुड़ गया है।