प्रभात तारा मैदान में शाति और प्रेम का संदेश सुनने को जुटी लाखों की भीड़
रविवार को शहर के प्रभात तारा मैदान में देश-विदेश से प्रेम रावत के अनुयायाी जुटे। लगभग डेढ़ लाख लोगों को प्रेम जी ने शांति संदेश दिया। इस दौरान उपस्थित लोग मंत्रमुग्ध दिखे।
जागरण संवाददाता, रांची : रांची का प्रभात तारा मैदान, देश-विदेश से जुटे लाखों की संख्या में लोग। कोई आसनसोल से, कोई गाजीपुर से, कोई नालंदा से, कोई छत्तीसगढ़ से, कोई नेपाल से..। 45 मिनट के संबोधन को सुनने के लिए दो दिन पहले से ही अनुयायी जुटने लगे थे। ज्ञान की चाह में लंबी दूरी भी छोटी हो गई। मैदान में जहां तक निगाहें जा रही थी, बस केवल अनुयायी ही नजर आ रहे थे। बच्चे, बूढ़े, जवान और महिलाएं, सभी मे अपार उत्साह था।
कोई व्हील चेयर से आया, तो किसी की उम्र थी 90 के पार। पर हर किसी की चाहत थी प्रेम रावत जी के मुख्य से निकले हुए शब्दों को सुनने की।
जीवन में शांति संभव :रविवार की प्रभात बेला में प्रभात तारा मैदान में प्रेम रावत जी ने प्रेम का संदेश दिया। बताया कि जीवन में शांति ही सबसे महत्वपूर्ण है। बस जरूरत है शांति के प्रति भूख जाग्रत करने की। कहा, दुनिया में हर किसी के लिए शांति के लिए अलग-अलग परिभाषा है। अपने-अपने ढंग से दुनिया शांति को समझती और समझाती है। आखिर शांति है क्या? लोग आपस में लड़ते हैं। लड़ना बंद तो शांति है। उन्होंने कहा, शाति तुम्हारी जरूरत नहीं एक लक्ष्य है। संसार के अंदर जो परेशानी है, उसका कारण स्वयं मनुष्य है, क्योंकि मनुष्य परेशानी दूर करने में लगा है, सुख को स्थापित करने में नहीं। यदि मनुष्य सुख को अपना ले तो परेशानी अपने आप दूर चली जाएगी। लोगों को चाहिए बुराई से कैसे बचे और अच्छाई तक कैसे पहुंचे। मनुष्य के अंदर अच्छाई और बुराई दोनों ही साथ-साथ है। दोनों का प्रतिशत बराबर है। उसमें 50 प्रतिशत बुराई और 50 प्रतिशत अच्छाई। मनुष्य अच्छाई को अपना ले तो बुराई अपने आप चली जाएगी।
प्रकाश की अनुपस्थिति है अंधकार : प्रेम रावत ने कमरे का उदाहरण देकर प्रकाश और अंधकार के बारे में बताया। उन्होंने कहा, प्रकाश की अनुपस्थिति ही अंधकार है। प्रकाश के आते ही अंधकार गायब हो जाता है। उसे धक्का देकर बाहर नहीं किया जाता। अंधेरे कमरे में जैसे ही स्वीच ऑन करते हो, प्रकाश फैल जाता है और अंधकार दूर हो जाता है।
शांति बाहर नहीं, भीतर है: रावतजी ने कहा, शांति कहीं बाहर नहीं, हमारे अंदर हृदय में है। मनुष्य यदि जान ले कि उसका लक्ष्य क्या है तो उसे शांति हासिल हो सकती है। शाति का अनुभव करना ही मानव का लक्ष्य होना चाहिए। अगर विश्व में शाति लाना चाहते हैं तो पहले मनुष्य के अंदर शाति लानी होगी। शुरुआत खुद से करनी होगी।
अगर तुम अपने जीवन में स्वर्ग का अनुभव करना चाहते हो तो मनुष्य के अंदर शाति लाने की जरूरत है। जब तक हम अपने आप को अपनाएंगे नहीं, तब तक शाति नहीं मिलेगी। प्रेम रावत ने कहा कि शाति हर मनुष्य की बुनियादी जरूरत है।
सुख का अभाव दुख है: प्रेमजी ने सुख का पाठ भी पढ़ाया। कहा, सुख का अभाव ही दुख है। हमें जतन करना चाहिए कि यदि हमारे जीवन में दुख है, तो उसे दूर कैसे करें? दुख को जब दूर कर देंगे तो सुख अपने आप आ जाएगा। जिस तरह अंधकार को भगाने के लिए एक ज्योति की जरूरत होती है, ठीक वैसे ही शांति भी है। अपने जीवन से अशांति को विदा कर दो, शांति खुद स्थापित हो जाएगी। इसके लिए खुद से शुरुआत करनी होगी।
हमें अपना लक्ष्य निर्धारित करना है। उन्होंने एक नेत्रहीन का उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे नेत्रहीन को भीड़ भरे रास्ते में बस एक फीट रास्ते की जरूरत होती है और वह उसी लक्ष्य पर एकाग्र रहता है, वैसे ही हमें अपने लक्ष्य पर एकाग्र होना पड़ेगा। हम चारों तरफ देखते हैं। हम वह नहीं देखते, जिसे हमें देखना चाहिए। हम उस रास्ते पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए। जब तक जीवित हैं, करना है, इस पर सोचें।
प्रकृति के नियमों का पालन करें : प्रेमजी ने एक बड़ी सीख दी। कहा, आज हम प्रकृति के नियमों का उल्लंघन करते जा रहे हैं। भगवान राम भी जब धरती पर आए तो उन्होंने प्रकृति के नियमों का उल्लंघन नहीं किया। जो नियम था, उसका पालन किया। लेकिन हम नियमों को तोड़ने में अपना बड़प्पन समझते हैं।
भगवान का आशीर्वाद हैं सांसें: प्रेमजी ने कहा, भगवान ने सबसे बड़ी कृपा की है कि आपको सांसे दी हैं। जबतक हमारी नब्ज चल रही है हम जीवित है। इसका न किसी धर्म से संबंध है न किसी और चीज से। यह आपसे जुड़ा। भगवान की कृपा है कि आपको हवा, पानी, सांस सब कुछ भगवान ने बिना किसी मूल्य के दिया है। आपको जिंदगी भगवान ने दी है। हमें इसकी कीमत समझनी चाहिए। प्रेमजी ने स्वर्ग-नरक की बात बताई। गुस्से को नरक बताया। सुख को स्वर्ग।
जलती मोमबत्ती बने : प्रेम जी ने लाखों की भीड़ को संबोधित करते हुए कहा कि आप जलती मोमबत्ती बनें। मोमबत्ती प्रकाश फैलाती है, बुझी हुई मोमबत्ती जब उसके साथ मिलती है तो वह भी जल उठती है। आप भी इसी तरह की मोमबत्ती बने। आपसे जो मिले वह जल उठे। जीवन का ध्येय यही होना चाहिए। जलती मोमबत्ती बुझी को जला देती है।
कौन हैं प्रेम रावत : प्रेम रावत शाति के विषय में चर्चा करने वाले अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त आध्यात्मिक वक्ता हैं। पिछले 52 सालों से पूरी दुनिया में लोगों के जीवन में शाति लाने के लिए प्रयासरत हैं। उनके इस महानतम कार्य के लिए मलेशिया में एशिया पेसिफिक ब्राड एसोसिएशन द्वारा उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनका संदेश विश्व के 95 से अधिक देशों में 75 भाषाओं में उपलब्ध है। प्रेम रावत मानव कल्याण एवं शाति के संदेश देने में मात्र नौ वर्ष की उम्र से ही लगे हुए हैं।
13 वर्ष की आयु में लंदन, लॉन्स एंजिल्स और अन्य मुख्य शहरों से प्राप्त आमंत्रण पर लोगों को संबोधित करना शुरू कर दिया था।
इनकी रही उपस्थिति : कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, मुख्यमंत्री रघुवर दास, विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उराव, केंद्रीय राज्य मंत्री सह सासद सुदर्शन भगत, राज्यसभा सासद समीर उराव, नगर विकास मंत्री सीपी सिंह, पेयजल स्वच्छता विभाग चंद्र प्रकाश चौधरी, विधायक नवीन जायसवाल, शिव शकर उराव, डॉ. जीतू चरण राम, गंगोत्री कुजूर के अलावा पूर्व सांसद यदुनाथ पांडेय, मेयर आशा लकड़ा, उपमेयर संजीव विजयवर्गीय, दैनिक जागरण के वरीय महाप्रबंधक मनोज गुप्ता, संगिनी क्लब की अध्यक्ष अंजू गुप्ता सहित काफी संख्या में गणमान्य लोग उपस्थित थे।
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