भगवत प्राप्ति ही मानव जीवन का उद्देश्य : डॉ. केशवानंद
मेदिनीनगर : भगवत प्राप्ति ही मानव जीवन का मुख्य उद्देश्य है। हमें सांसारिक सुखों का त्याग कर ईश्वर आ
मेदिनीनगर : भगवत प्राप्ति ही मानव जीवन का मुख्य उद्देश्य है। हमें सांसारिक सुखों का त्याग कर ईश्वर आराधना करनी चाहिए। इससे मनुष्य को भगवान की प्राप्ति होती है। उक्त बातें डा. केशवानंदजी ने कही। वे रविवार कीरात स्थानीय साहित्य समाज मैदान में चल रहे तीनदिवसीय श्रीमदभगवदकथा के अंतिम दिन प्रवचन में बोल रहे थे। भक्त ध्रुव की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि चक्रवर्ती सम्राट की कामना से तपस्या कर रहे भक्त ध्रुव ईश्वर दर्शन के बाद उनकी कृपा की आकांक्षा की। कहा कि राजा उत्तानपाद की दो रानियां सुरूचि व सुनीधि थी। राजा को सुनीधि प्रिय थी जबकि रानी सुरूचि के पुत्र ध्रुव को उपेक्षा की ²ष्टि से देखते थे। ध्रुव की मां सुरूचि ने उन्हें चक्रवर्ती सम्राट बनने के लिए तप करने को प्रेरित किया। तपस्या के क्रम में नारदजी ने उन्हें बताया कि सम्राट बनने के लक्ष्य को छोड़ वे भगवत प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करें। इससे प्रेरित होकर उन्होंने भगवान की कठोर तपस्या की। भगवान विष्णु के दर्शन होने पर उन्होंने दर्शन मात्र से ही अपना लक्ष्य पूरा होने की बात कही। भगवतलीन होने के कारण वे भगवान के सबसे प्रिय बने। इधर भगवद कथा में संगीतमय कथा से क्षेत्र का माहौल भक्तिमय रहा। ठिठुरती ठंढ में भी बडी संख्या में भक्त कथा का रसपान करते नजर आए।
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