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    जेल में बंद कैदी कैसे हुआ एचआइवी संक्रमित, स्वास्थ्य सचिव सहित कई अधिकारी कोर्ट में तलब

    Updated: Mon, 15 Sep 2025 07:55 PM (IST)

    झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एसएन प्रसाद और जस्टिस संजय प्रसाद की खंडपीठ ने एक कैदी को न्यायिक हिरासत के दौरान एचआइवी संक्रमित पाए जाने पर कड़ा रूख अपनाया है। खंडपीठ ने इसे न केवल एक चिकित्सा त्रासदी बल्कि मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन बताते हुए राज्य के स्वास्थ्य और जेल विभाग के वरीय अधिकारियों को तलब किया है।

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    हाई कोर्ट ने जेल में बंद कैदी के एचआइवी संक्रमित होने पर लिया संज्ञान।

    राज्य ब्यूरो, रांची ।  झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एसएन प्रसाद और जस्टिस संजय प्रसाद की खंडपीठ ने एक कैदी को न्यायिक हिरासत के दौरान एचआइवी संक्रमित पाए जाने पर कड़ा रूख अपनाया है।

    खंडपीठ ने इसे न केवल एक चिकित्सा त्रासदी बल्कि मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन बताते हुए राज्य के स्वास्थ्य और जेल विभाग के वरीय अधिकारियों को तलब किया है।

    यह मामला तब सामने आया जब एक अपील सुनवाई के दौरान कोर्ट को जानकारी दी गई कि एक आरोपित को न्यायिक हिरासत में रहने के दौरान एचआइवी संक्रमण हो गया है।

    कैदियों की नियमित चिकित्सा जांच में लापरवाही

    पीठ ने विशेष तौर पर जेलों में भीड़, खराब स्वास्थ्य सुविधाएं और कैदियों की नियमित चिकित्सा जांच में लापरवाही को लेकर चिंता जताई। प्रार्थी दो जून 2023 से हिरासत में है।

    पहले वह धनबाद जिला जेल में था, जिसके बाद 10 अगस्त 2024 को उसे हजारीबाग के लोक नायक जयप्रकाश केंद्रीय जेल स्थानांतरित कर दिया गया।

    हिरासत के दौरान ही 24 जनवरी 2024 को उसे एचआइवी संक्रमित पाया गया। अदालत ने जेल में ऐसे होने को गंभीरता से लिया है।

    अदालत ने संक्रमण कैसे हुआ, इसका पता लगाने के लिए झारखंड सरकार के स्वास्थ्य सेवा निदेशक प्रमुख, हजारीबाग केंद्रीय जेल के मेडिकल अफसर और जेल अधीक्षक को कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया है।

    अदालत ने धनबाद जिला जेल के अधीक्षक और मेडिकल अफसर को दो जून 2023 से 24 अगस्त 2024 तक (जब कैदी को स्थानांतरित किया गया) वहां रहे सभी कैदियों की पूरी मेडिकल जांच रिपोर्ट अगली सुनवाई पर पेश करने का आदेश दिया है।

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    अगली सुनवाई 25 सितंबर 2025 को होगी। कोर्ट ने मौखिक रूप से यह भी टिप्पणी की कि यह घटना जेल प्रशासन द्वारा कैदियों को हिरासत में भेजने से पहले उनकी उचित जांच न करने की लापरवाही को भी दर्शाती है।

    अदालत ने स्वास्थ्य सचिव, गृह, जेल व आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव, दोनों जेलों के अधीक्षकों एवं मेडिकल अधिकारियों को अगली सुनवाई के दौरान कोर्ट में उपस्थित रहने कहा है।