पूरे देश के प्रारंभिक शिक्षक हो रहे एकजुट,टेट अनिवार्यता मामले में रिव्यू पिटीशन दाखिल करने का धर्मेंद्र प्रधान से किया अनुरोध
दो वर्ष के भीतर शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) उत्तीर्ण होने की अनिवार्यता संबंधित सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को लेकर पूरे देश के प्रारंभिक शिक्षक एकजुट हो रहे हैं। इनमें वैसे शिक्षक हैं जो टेट उत्तीर्ण नहीं हैं तथा जिनकी नियुक्ति निश्शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 लागू होने से पूर्व नियुक्त हैं तथा सर्वोच्च न्यायालय के आदेश से प्रभावित हो रहे हैं।

राज्य ब्यूरो, रांची। दो वर्ष के भीतर शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) उत्तीर्ण होने की अनिवार्यता संबंधित सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को लेकर पूरे देश के प्रारंभिक शिक्षक एकजुट हो रहे हैं।
इनमें वैसे शिक्षक हैं जो टेट उत्तीर्ण नहीं हैं तथा जिनकी नियुक्ति निश्शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 लागू होने से पूर्व नियुक्त हैं तथा सर्वोच्च न्यायालय के आदेश से प्रभावित हो रहे हैं।
अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने इसे लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को ज्ञापन भेजकर सरकार की ओर से शीर्ष न्यायालय में रिव्यू पिटीशन दाखिल करने का अनुरोध किया है।
संघ ने शिक्षकों की ओर से केंद्रीय शिक्षा मंत्री से अपील की है कि वे सर्वोच्च न्यायालय से समाज और शिक्षक समुदाय के व्यापक हित में इस फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध करें।
इससे शिक्षकों को राहत मिलेगी। यह भी बताया है कि देश के लगभग 98 लाख स्कूली शिक्षक इस फैसले से प्रभावित होंगे। दूसरी तरफ, सभी राज्य शिक्षकों की भारी कमी से जूझ रहे हैं।
यह आदेश लागू होने का असर बच्चों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर पड़ेगा। इधर, अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश के विरुद्ध रिव्यू पिटीशन दायर करने का निर्णय लिया है।
संघ इसे लेकर विभिन्न राज्यों के शिक्षक संघों से भी संपर्क साध रहा है। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में उन सभी प्रारंभिक शिक्षकों के लिए दो वर्ष के भीतर टेट उत्तीर्ण होना अनिवार्य किया है, जिनकी सेवा पांच वर्ष से अधिक बची है।
आदेश के अनुसार, इस अवधि में टेट उत्तीर्ण नहीं होने पर या तो उन्हें सेवा छोड़नी होगी या सरकार अनिवार्य सेवानिवृत्ति प्रदान कर सकेगी। टेट उत्तीर्ण हुए बिना शिक्षकों को प्राेन्नति भी नहीं मिलेगी।
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