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    राज्य के तीन कलाकारों को राष्ट्रपति ने संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से नवाजा, कलाकारों ने बताया झारखंड का सम्मान

    By Jagran NewsEdited By: Mohit Tripathi
    Updated: Thu, 23 Feb 2023 07:41 PM (IST)

    गुरुवार को राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने झारखंड के तीन कलाकारों को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्रदान किया। रांची के अजय मलकानी को नाटक के क्षेत्र में बोकारो के चेतन जोशी को बांसुरी वादन व जादूगोड़ा के दुर्गा प्रसाद को संगीत व नाटक के क्षेत्र में योगदान के लिए प्रदान किया।

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    रांची के अजय मलकानी, बोकारो के चेतन व जादूगोड़ा के दुर्गा प्रसाद को मिला संगीत नाटक अकादमी।

    जागरण संवाददाता, रांची: नई दिल्‍ली के विज्ञान भवन में गुरुवार को राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने झारखंड के तीन कलाकारों को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्रदान किया। रांची के अजय मलकानी को नाटक के क्षेत्र में, बोकारो के चेतन जोशी को बांसुरी वादन व जादूगोड़ा के दुर्गा प्रसाद मुर्मू को संगीत व नाटक के क्षेत्र में योगदान के लिए प्रदान किया।

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    पहली बार झारखंड के आधा दर्जन कलाकारों को मिला पुरस्कार

    ऐसा पहली बार हुआ कि झारखंड के आधा दर्जन कलाकारों को पुरस्‍कार प्रदान किया गया। इसके कुछ दिन पहले 15 फरवरी को दो युवा कलाकारों को उस्ताद बिस्मिल्लाह खां युवा पुरस्कार से नवाजा गया था। अजय मलकानी रांची में लंबे समय से नाटक में सक्रिय हैं। वे राष्‍ट्रीय नाट़़य वि‌द्यालय के छात्र रहे हैं और आज भी वे जुड़े हैं। वे रांची में धारित्री कला केंद्र भी चलाते हैं।

    बोकारो के रहने वाले हैं चेतन

    चेतन के बोकारो के रहने वाले हैं। 22 साल में पहली बार झारखंड के किसी शास्त्रीय कलाकार को यह राष्ट्रीय पुरस्कार मिल रहा है। चेतन पिछले पैंतीस साल से भी अधिक वर्षों से भारत तथा भारत से बाहर अनगिनत कार्यक्रमों में अपना कला का प्रदर्शन कर चुके हैं।

    चेतन ने अपनी एक अद्वितीय वादन शैली विकसित की है तथा बांसुरी वादन के क्षेत्र में कई नवप्रयोग किए हैं। चेतन ने एक ही बांसुरी में साढ़े तीन सप्तक बजाने की विशिष्ट पद्धति का विकास किया है।

    हमारा नहीं झारखंड का सम्मान

    जादूगोड़ा के 70 वर्षीय दुर्गा प्रसाद मुर्मू ने पुरस्कार प्राप्ति के बाद कहा कि यह हमारा नहीं, झारखंड का सम्मान है। लोगों के स्नेह के कारण यह संभव हुआ है। झारखंड कला के क्षेत्र में काफी समृद्ध है। ऐसे राष्ट्रीय पुरस्कार से झारखंड की एक छवि देश दुनिया में बनेगी। दुर्गा प्रसाद की चार पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।