आदिम जनजाति के लोगों से मिलकर राष्ट्रपति भावुक, मिलकर जानी समस्याएं; किसी ने भेंट की चटाई तो किसी ने टोकरी
झारखंड के रांची में राजभवन के दरबार हॉल में बुधवार को नजारा कुछ और था। विलुप्त हो रही आदिम जनजाति समुदाय के जो लोग दूसरे समुदाय के लोगों से भी बात करने में घबराते हैं वे भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से सीधे बात कर रहे थे।

राज्य ब्यूरो, रांची: झारखंड के रांची में राजभवन के दरबार हॉल में बुधवार को नजारा कुछ और था। विलुप्त हो रही आदिम जनजाति समुदाय के जो लोग दूसरे समुदाय के लोगों से भी बात करने में घबराते हैं, वे भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से सीधे बात कर रहे थे।
उनके लिए यह क्षण काफी आनंददायक, खुशी और आशा की नई किरण लानेवाला था। राष्ट्रपति भी उनसे बात करते हुए काफी भावुक थीं। उन्होंने बारी-बारी से सभी के पास जाकर उनसे बात की और उनकी समस्याओं को जानने का प्रयास किया।
पत्तियों की टोपी पहनाई
इससे पहले इस समुदाय के किसी सदस्य ने राष्ट्रपति को स्वयं द्वारा बनाई गई, चटाई तथा टोकरी भेंट की तो किसी ने उपजाए गए कुरथी दाल भेंट की। राष्ट्रपति ने उनका उपयोग करने का आश्वासन भी दिया। एक सदस्य ने राष्ट्रपति को पत्तियों की टोपी भी पहनाई।
राष्ट्रपति ने आदिम जनजाति के लोगों से संवाद करते हुए कहा कि उनकी समस्याओं को लेकर वे काफी गंभीर हैं। विभिन्न राज्यों में जाकर वे इस समुदाय के लोगों से मिलकर उनकी समस्याएं जानने का प्रयास कर रही हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य की समस्या हो या बेहतर जीवन यापन की, उनकी समस्याओं का समाधान होगा।
समुदाय ने अपनी-अपनी समस्याएं सुनाईं
इस क्रम में इस समुदाय के लोगों ने अपनी-अपनी समस्याएं बताईं। किसी ने सड़क और अस्पताल नहीं होने तो किसी ने आठवीं कक्षा के बाद पढ़ाई की व्यवस्था नहीं होने की जानकारी दी। अधिसंख्य ने बताया कि खेती से भरण-पोषण नहीं हो पाता।
उन्हें मजदूरी करनी पड़ती है। कुछ को डाकिया योजना तो किसी को बिरसा आवास का लाभ नहीं मिला। इस समुदाय के लोगों ने सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के तहत पंचायत में कैंप लगने की बात स्वीकार की। इसपर राष्ट्रपति ने कहा कि यदि सरकार आपके द्वार जा रही है तो उन्हें भी अपनी समस्याओं को लेकर सरकार के पास जाना चाहिए।
योजनाओं का लाभ लेना चाहिए
इसमें उन्हें पीछे नहीं रहना चाहिए। उन्हें केंद्र व राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का शत-प्रतिशत लाभ लेना चाहिए। यदि इसमें किसी प्रकार की समस्या आती हो तो उसकी जानकारी संबंधित पदाधिकारी को दें। जिला प्रशासन से भी इसमें सहयोग ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी समस्याओं को लेकर वे स्वयं गंभीर और चिंतित रहती हैं।
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