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    लंबित जांच के दौरान कर्मचारी को समय से पहले Retire करना भ्रष्टाचार, हाई कोर्ट ने इन मुद्दों पर जताई आपत्ति

    Updated: Sat, 23 Aug 2025 06:57 PM (IST)

    झारखंड हाई कोर्ट ने कहा कि विभागीय जांच लंबित रहने के दौरान किसी कर्मचारी को समय से पहले सेवानिवृत्त करना अधिकारियों का कदाचार माना जाएगा। क्योंकि इससे कंपनी को क्षति पहुंची है। अदालत ने उक्त टिप्पणी के साथ सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) के दो वरीय अधिकारियों की अपील याचिका खारिज कर दी है जिसमें विभागीय कार्रवाई को चुनौती दी गई थी।

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    लंबित जांच के दौरान किसी कर्मचारी को समय से पहले सेवानिवृत्त करना कदाचार माना जाएगा।

    राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस दीपक रोशन की पीठ ने एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि विभागीय जांच लंबित रहने के दौरान किसी कर्मचारी को समय से पहले सेवानिवृत्त करना, अधिकारियों का कदाचार माना जाएगा। क्योंकि इससे कंपनी को क्षति पहुंची है।

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    अदालत ने उक्त टिप्पणी के साथ सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) के दो वरीय अधिकारियों की अपील याचिका खारिज कर दी है, जिसमें विभागीय कार्रवाई को चुनौती दी गई थी।

    सीसीएल के अधिकारी प्रमोद कुमार सिन्हा और भरतजी ठाकुर पर आरोप था कि उन्होंने एक कर्मचारी स्वामीनाथ सिंह को विभागीय जांच लंबित होने के बावजूद समय से पहले सेवानिवृत्त कर दिया और रिटायरमेंट लाभ जारी कर दिया।

    आरोप है कि इससे कंपनी के हितों को नुकसान पहुंचा और जांच की प्रक्रिया बाधित हुई। इसको लेकर वर्ष 2016 में सीसीएल के दोनों अधिकारियों पर आरोप पत्र जारी किया गया।

    31 अगस्त 2017 को अनुशासनात्मक अधिकारी ने प्रमोद सिन्हा की दो वर्ष के लिए दो वेतनवृद्धि और भरतजी ठाकुर की तीन वर्ष के लिए तीन वेतनवृद्धि रोकने का आदेश दिया था।

    इसके खिलाफ इन्होंने अपील दाखिल की थी, वह भी वर्ष 2020 में खारिज हो गई। इसके बाद दोनों ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

    सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि दोनों अधिकारियों की अनुशासनात्मक जांच उचित ढंग से हुई और उन्हें अपना पक्ष रखने का पूरा मौका दिया गया।

    अदालत ने स्पष्ट किया कि सेवा नियमों के तहत 60 वर्ष की उम्र में स्वाभाविक सेवानिवृत्ति तथा लंबित विभागीय जांच में अंतर है। कोर्ट ने यह भी माना कि बिना उचित दस्तावेजी पुष्टिकरण के केवल साक्ष्य के आधार पर दोनों अधिकारियों ने कर्मचारी को सेवानिवृत्त किया है।

    इसमें उचित प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ, जिससे कंपनी को क्षति पहुंची। अदालत ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इन्कार करते हुए विभागीय आदेश को बरकरार रखा।

    क्या है मामला

    मामला सीसीएल के एक कर्मी से जुड़ा है, जिस पर गड़बड़ी के एक मामले में विभागीय कार्रवाई चल रही थी। दोनों अधिकारियों ने इस मामले में तत्काल कार्रवाई की सिफारिश करते हुए उसे समय से पहले सेवानिवृत्त कर दिया।

    उसे रियारमेंट के बाद मिलने वाला सारा लाभ भी दे दिया। इसके बाद आरोप खत्म हो गए। क्योंकि सीसीएल के नियम के तहत सेवानिवृत्ति के बाद जांच जारी रहने पर रोक है।