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    चार नौकरी को छोड़ अब डीएसपी बने प्रदीप

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 23 Apr 2020 02:20 AM (IST)

    राहे खुद पर विश्वास और दृढ़ निश्चय के साथ लगातार आगे बढ़ने के हौसला की बदौलत प्रदीप ने सफलता हासिल की है। ...और पढ़ें

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    चार नौकरी को छोड़ अब डीएसपी बने प्रदीप

    जागरण संवाददाता, राची, राहे: खुद पर विश्वास और दृढ़ निश्चय के साथ लगातार आगे बढ़ने के हौसला की बदौलत प्रदीप प्रणव ने झारखंड पुलिस सेवा तक के सफर को तय किया। लेकिन प्रदीप इसे मंजिल नहीं मानते। ये आइपीएस बनना चाहते हैं। बीते 12 मार्च को यूपीएससी की सिविल सेवा के तहत इन्होंने साक्षात्कार भी दिया है। प्रदीप जेपीएससी सिविल सेवा के जारी रिजल्ट में पुलिस सेवा के लिए चयनित हुए हैं। इन्हें यह सफलता पहली बार में ही मिल गई। बहुमुखी प्रतिभा के धनी प्रदीप इससे पहले तीन नौकरी छोड़ कर वर्तमान में हजारीबाग में सेंट्रल गवमर्ेंट के तहत साख्यिकी पदाधिकारी पद पर कार्यरत हैं। मूल रुप से राची के राहे प्रखंड के पूर्णनगर हजारीटोला गाव के रहने वाले प्रदीप का चयन सबसे पहले वर्ष 2010 में यूनियन बैंक में पीओ के पद पर हुआ था। यहा सात माह नौकरी करने के बाद आइबी में ऑफिसर पद पर चयन हुआ। कोयंबटूर में पोस्टिंग हुई। आठ माह के बाद 2012 में इन्कम टैक्स डिपार्टमेंट में चयन हुआ तो कोलकाता चले गए। एक साल बाद 2013 में एसएससी के द्वारा साख्यिकी पदाधिकारी पद पर चयन हुआ।

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    दूसरों को भी निश्शुल्क पढ़ाकर दिलाई सफलता

    प्रदीप की प्रारंभिक शिक्षा गाव के ही स्कूल से हुई। इसके बाद संत जॉन राची से 80 फीसद अंकों के साथ 2002 में मैट्रिक उत्तीर्ण किया। इंटर संत जेवियर्स कॉलेज राची से 75 फीसद के साथ और एमएससी मैथ व एमफिल राची विवि से उत्तीर्ण किया। अभी कामराज विवि मदुरई से डीलिट कर रहे हैं। इन्होंने केवल खुद सफलता हासिल नहीं कि, बल्कि इनके पढ़ाए 16 स्टूडेंट्स को भी सफलता मिली है। प्रशासनिक सेवा की टॉपर सुमन गुप्ता सहित कोमल, जयपाल, निधि आदि को इन्होंने निश्शुल्क गाइड किया।

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    ब्लैक बेल्ट से लेकर फिल्मी हीरो तक का सफर

    बहुमुंखी प्रतिभा के धनी प्रदीप कई क्षेत्रों में सफलता के झडे गाड़े हैं। 10वीं में थे तो शोतोकोन कराटे फेडरेशन ऑफ इंडिया के तहत कराटे ब्लैक बेल्ट द्वितीय डॉन हासिल किया। हिमालयन माउंटेसरी दार्जिलिंग से बेसिक व एडवास कोर्स में गोल्ड मेडल प्राप्त करने के बाद 2005 में लोहात्से, मकालू, अन्नपूर्णा सहित 10 चोटियों पर चढ़ाई की। बछेंद्री पाल को आदर्श मानते हैं। वह हर साल इन्हें राखी बाधती हैं। प्रदीप हिंद महासागर में भी गोताखोरी कर चुके हैं। एयरविंग एनसीसी के तहत एयरक्राफ्ट में उड़ान भरने के अलावा जीबी मावलंकर शूटिंग दिल्ली में दूसरा स्थान प्राप्त कर सिल्वर मेडल प्राप्त किया है। इंडियन मिलिट्री एकेडमी देहरादून में प्री ऑफिसर की भी ट्रेनिंग ली। एडवेंचर के साथ ही इनकी कला में भी रुचि है। 42 तरह के म्यूजिकल इंस्टूमेंट प्ले करने वाले प्रदीप ने 2001 में झारखंड में बनी फिल्म काजल, बिखरे मोती, काले दिल के चुरा ले में भी मुख्य भूमिका निभा चुके हैं।

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    महारानी विक्टोरिया का साइन किया है डाक्यूमेंट

    प्रदीप को पुराने सिक्के जमा करने का भी शौक है। इनके पास करीब 200 देशों के सिक्के व करेंसी है। इन्हें पुराने डॉक्यूमेंट रखने का भी शौक है। 1886 में महारानी विक्टोरिया ने फोर्ट विलियम फोर्ट बिल्डिंग के लिए काट्रेक्ट साइन किया था। यह लीगल डाक्यूमेंट इनके पास है। कई देशों के डाक टिकट भी हैं।

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    घर में सभी सरकारी जॉब में

    प्रदीप के घर में सभी सरकारी जॉब में हैं। इनके पिता सुरेशचंद्र महतो हाई स्कूल सताकी अनगड़ा में शिक्षक थे। मा सविता देवी राची में स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत हैं। बड़ा भाई हजारीबाग डीआइजी में क्राइम रीडर व भाभी नमिता कुमारी पुलिस एकेडमी में हैं। एक बहन अंजू बाला व जीजा रामनाथ महतो दोनों चतरा में स्कूल में प्राचार्य हैं। दूसरी बहन सुलेखा कुमारी सीसीएल दरभंगा हाउस में कार्यरत हैं तो इनके पति कमलेश पिंगले विद्युत विभाग में इंजीनियर हैं।

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    आत्मविश्वास से बढ़ रहे आगे

    आत्मविश्वास से भरे प्रदीप का लक्ष्य ही पुलिस सेवा में जाना था। ये 10 वषरें से इसकी तैयारी कर रहे हैं। अलग-अलग विभाग में चयन हो जाता था। लेकिन सिविल सेवा में अटक जाते थे। लेकिन खुद पर विश्वास था कि सफलता जरूर मिलेगी। इनका कहना है कि लगातार मेहनत करते रहेंगे तो जिस क्षेत्र में चाहेंगे वहा सफलता मिलनी तय है। ये अपनी सफलता का श्रेय खुद की मेहनत व आत्मविश्वास व माता-पिता के आशीर्वाद सहित परिवार के सहयोग को देते हैं।