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    चुनाव के लिए दिल्ली-गुजरात से मंगाए जा रहे पोस्‍टर-बैनर, धूल फांक रहे शहर के प्रिंटिंग प्रेस; 80 फीसदी तक गिरा व्यवसाय

    Updated: Wed, 22 May 2024 10:39 AM (IST)

    लोकसभा चुनाव के मद्देनजर दिल्ली और गुजरात से प्रचार सामग्रियां मंगाई जा रही है। इससे शहर के प्रिंटिंग प्रेस में सन्‍नाटा पसरा हुआ है। व्‍यवसाय 70 से 80 प्रतिशत तक गिर गया है। शहर की करीब 20 प्रिंटिंग एजेंसियां धूल फांक रही हैं क्‍योंकि बड़ी-बड़ी पार्टियों के प्रत्‍याशी दिल्‍ली गुजरात से पोस्‍टर-बैनर इत्‍यादि छपवा रहे हैं। इससे स्‍थानीय दुकानदारों में नाराजगी है।

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    प्रिंटिंग प्रेस की एक फाइल फोटो- जागरण मीडिया।

    कुमार गौरव, रांची। Jharkhand Lok Sabha Election 2024 : लोकसभा चुनाव को लेकर जहां राजनीतिक पार्टियों में सरगर्मी तेज है तो दूसरी ओर इन पार्टियों के प्रत्याशियों को प्रचार प्रसार के माध्यम से लोकप्रिय बनाने में लगी शहर की करीब 20 प्रिंटिंग एजेंसियां धूल फांक रही हैं। हमारे सफेदपोश वोकल फाॅर लोकल की बात तो करते हैं लेकिन प्रचार प्रसार की सामग्रियों के निर्माण के लिए कार्पोरेट कल्चर को अपना रहे हैं।

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    शहर में प्रिंटिंग प्रेस के व्‍यापार में आई भारी गिरावट

    प्रचार प्रसार की सामग्री तैयार करने वाली एजेंसियों का कहना है कि यह परिपाटी वर्ष 2019 से शुरू हुई है। इंटरनेट मीडिया और डिजिटल शेयरिंग ग्रुप ने प्रिंटिंग प्रेस के व्यवसाय को प्रभावित किया है। यही कारण है कि शहर में बैनर पोस्टर, प्रचार प्रसार सामग्रियों को बनाने वाली एजेंसियों का व्यापार 70 से 80 प्रतिशत तक गिर गया है।

    यह स्थिति लोकसभा और विधानसभा चुनाव में अधिक देखने को मिलती है जबकि मुखिया चुनाव में ऐसा नहीं होता है। आमतौर पर मुखिया चुनाव के समय ग्रामीण क्षेत्रों से आए प्रत्याशी लोकल एजेंसियों के माध्यम से ही प्रचार सामग्री का निर्माण कराते हैं, जिससे इनका व्यवसाय मुनाफे में रहता है।

    लेकिन इस लोकसभा चुनाव में बड़ी पार्टियां मसलन भाजपा, कांग्रेस के प्रत्याशियों के द्वारा दिल्ली स्थित मुख्यालय से या फिर गुजरात से ही प्रिंट आर्डर कराए जाने का असर शहर के प्रिंटिंग प्रेस वालों पर देखने को मिल रहा है।

    शहर के प्रिंटिंग प्रेस में पसरा सन्नाटा

    नाम नहीं छापने की शर्त पर कुछ प्रिंटिंग प्रेस वालों ने कहा कि प्रत्याशी लोकल, मुद्दा लोकल और प्रिंट मैटेरियल दिल्ली से मंगाया जा रहा है। इस कारण शहर के प्रिंटिंग प्रेस में सन्नाटा पसरा है।

    स्थानीय तौर पर सिर्फ एकाध निर्दलीय प्रत्याशियों के द्वारा की इन्हें ऑर्डर प्राप्त हुए हैं, जो कि इनके व्यवसाय के लिए नाकाफी ही साबित हुए हैं।

    कचहरी चौक स्थित एक प्रिंटिंग प्रेस के संचालक संजय कुमार साहा बताते हैं कि जो सुविधा दिल्ली में मिलती है हम भी उसे फाॅलो करते हैं। इसके बाद भी हमें ऑर्डर नहीं मिलता है।

    नतीजतन, चुनाव में कम ऑर्डर मिलने के कारण बैनर बनाने के पहले 25 रूपये प्रति स्क्वायर फीट मिलता था, घटकर 10 से 12 रूपये प्रति स्क्वायर फीट पहुंच चुका है।

    आयरन फ्रेम वाले बैनर फ्लैक्स 80 रूपये प्रति स्क्वायर फीट मिलते थे अब 40 रूपये प्रति स्क्वायर फीट की दर से बेचना पड़ रहा है।

    काम दिल्ली और गुजरात में वोट मांगते हैं रांची में

    प्रिंटिंग प्रेस एजेंसी संचालकों का कहना है कि हमारे लोकसभा और विधानसभा के प्रत्याशी प्रिंटिंग से संबंधित कार्य दिल्ली और गुजरात में कराते हैं और वोट रांची में मांगते हैं। यदि हमें काम मिलेगा तो यहां का पैसा यहीं रहेगा, अन्यत्र नहीं जाएगा। लेकिन सारा पेंच पार्टी मुख्यालयों में जाकर फंस जाता है।

    वहीं से दिल्ली की बड़ी एजेंसियों को डिजाइनिंग से लेकर प्रिंटिंग आर्डर मिल जाता है। कचहरी रोड स्थित प्रिंटिंग प्रेस संचालकों ने कहा कि ऐसा नहीं है कि दिल्ली और गुजरात में एजेंसियां जो क्वाॅलिटी देती है वह हम नहीं दे सकते हैं।

    हमारे यहां भी बड़ी संख्या में ऐसे ग्राहक हैं जो बंगाल, ओडिशा और त्रिपुरा जैसे राज्यों से हैं और यहां ऑर्डर प्लेस करते हैं। कहा कि शहर की ही कुछ ऐसी भी बेहतर एजेंसियां हैं जो चुनाव प्रचार की सामग्रियों का ऑर्डर तक नहीं लेती है।

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