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    लाकडाउन में बढ़ गई भेड़ि‍यों की आबादी, लातेहार में है देश का एकमात्र भेड़‍िया अभयारण्य

    By Sujeet Kumar SumanEdited By:
    Updated: Thu, 16 Sep 2021 08:33 AM (IST)

    Wolf Sanctuary Jharkhand News Palamu News देश के एकमात्र भेड़‍िया अभयारण्य में एक वर्ष में भेड़‍ियों की संख्या 30 से अधिक बढ़ी है। यह अभयारण्य 63 वर्ग किलोमीटर में फैला है। पूरे देश में भेड़‍ियों की संख्या तीन हजार के करीब है।

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    Wolf Sanctuary, Jharkhand News, Palamu News महुआडाड़ भेड़‍िया अभयारण्य का दृश्‍य।

    मेदिनीनगर (पलामू), [केतन आनंद]। वैश्विक महामारी कोरोना को लेकर देश में वर्ष 2020 व 2021 में कई माह तक लगाए गए लाकडाउन में लोग अपने घरों में दुबके हुए थे। मानवीय गतिविधियां सीमित हो गई थी। इस दौरान लातेहार जिले के महुआडाड़ स्थित देश के एक मात्र वुल्फ सेंक्चुरी में भेड़‍ियों की बहार रही। इनकी संख्या बढ़ गई। यह खुलासा पलामू व्याघ्र परियोजना की नियमित ट्रैकिंग से हुआ है।

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    विभागीय जानकारी के अनुसार वर्ष 2018 की जनगणना में भेड़‍ियों की संख्या 90 के करीब थी। 2019 में इसकी संख्या में वृद्धि नहीं देखी गई। वहीं 2020 के अंतिम माह तक यह बढ़कर 120 के करीब पहुंच गई। पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) के निदेशक कुमार आशुतोष के अनुसार इस वर्ष की अगली जनगणना तक इसकी संख्या 150 से अधिक हो सकती है।

    उन्होंने बताया कि लाकडाउन के कारण विभिन्न पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों की गतिविधियों पर विराम लगा था। इससे इनके प्रजनन कार्य में सहूलियत हुई। यह अभयारण्य लातेहार जिले के महुआडाड़ के पास 63 वर्ग किलोमीटर में फैला है। भेड़‍ियों की निगरानी के लिए 25 ट्रैपिंग कैमरों के साथ 30 वनकर्मी लगाए गए हैं। पिछले दिनों 11 सितंबर को अभयारण्य में लगाए गए कैमरों में एक मां के साथ भेड़‍िया के बच्चे की खूबसूरत तस्वीर कैद हुई थी। पीटीआर के उप निदेशक मुकेश कुमार बताते हैं, इस अभयारण्य में इंडियन ग्रे प्रजाति के वुल्फ हैं। पूरे देश में भेड़‍ियों की संख्या करीब तीन हजार है, जिसमें 120 से अधिक सिर्फ महुआडाड़ भेड़‍िया अभयारण्य में हैं।

    सर्दियों के मौसम में मांद में चले जाते है भेड़‍िए

    महुआडाड़ भेड़‍िया अभयारण्य में रहने वाले सभी भेड़‍िए सर्दियों के मौसम में अपनी मांद में चले जाते हैं। पीटीआर के निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि पूरा सैंक्चुरी पहाड़ों से घिरा हुआ है। इसलिए यहां प्राकृतिक बने मांदों की कोई कमी नहीं है। यह क्षेत्र हर स्थिति में भेड़‍ियों के लिए मुफीद साबित होता है। अमूमन शाम से सुबह होने के पहले तक ही भेड़‍िए अपने शिकार की तलाश में निकलते हैं। ये पांच से छह की संख्या में ग्रुप बना कर चलते हैं। खरगोश व बकरी का बच्चा इनका प्रिय भोजन है।

    1976 में की गई थी सैंक्चुरी की स्थापना

    भारतीय वन सेवा के अधिकारी एसपी शाही की पहल पर महुआडाड़ में वुल्फ सैंक्चुरी की स्थापना की गई थी। इससे पहले उन्होंने कैमरे के साथ कई माह तक पूरे क्षेत्र का भ्रमण किया था। उस समय यहां कई भेड़‍िए खुलेआम खेलते मिले, लेकिन कुछ देर के बाद गायब भी हो जाते थे। काफी खोजबीन के बाद पता चला कि क्षेत्र में पत्थर के कई मांद बने हैं। शाम होते ही सभी भेड़‍िए वहीं चले जाते हैं। यहीं से एक सैंक्चुरी बनने की परिकल्पना साही के मन में आई। यह 23 जून 1976 को पूरा हुआ।

    'पूरे अभयारण्य क्षेत्र को 25 संरक्षित वन क्षेत्र में बांटकर भेड़‍ियों की देखरेख की जाती है। इसके लिए 25 ट्रैपिंग कैमरे भी लगाए गए हैं। पूरा क्षेत्र भेड़‍ियों की सुरक्षा के लिए माकूल है। अक्टूबर से फरवरी तक चलने वाली भेड़‍ियों के ब्रीडिंग कार्य की तैयारी शुरू कर दी गई है।' -कुमार आशुतोष, निदेशक, पलामू व्याघ्र परियोजना, मेदिनीनगर।