बिना स्वजन के पुलिस ने कर दिया शव का अंतिम संस्कार, यूपी के मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस
झारखंड के गिरिडीह के एक व्यक्ति की ट्रेन में मौत के बाद स्वजन का इंतजार किए बगैर शव का आगरा में अंतिम संस्कार किए जाने के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने स्वत संज्ञान लिया है। आयोग ने इसे मानवाधिकार का हनन बताते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव व डीजीपी को नोटिस भेजा है और दो सप्ताह के भीतर इस मामले में रिपोर्ट तलब की है।

राज्य ब्यूरो, रांची। Jharkhand के गिरिडीह के एक व्यक्ति की ट्रेन में मौत के बाद स्वजन का इंतजार किए बगैर शव का आगरा में अंतिम संस्कार किए जाने के मामले में छपी एक मीडिया रिपोर्ट पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने स्वत: संज्ञान लिया है।
आयोग ने इसे मानवाधिकार का हनन बताते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव व डीजीपी को नोटिस भेजा है और दो सप्ताह के भीतर इस मामले में रिपोर्ट तलब की है।
मामला उत्तर प्रदेश के आगरा फोर्ट रेलवे स्टेशन का है। इस मामले में रेल थाना आगरा फोर्ट की पुलिस पर बिना स्वजन के अंतिम संस्कार करने का आरोप लगा है।
हालांकि, रेल थाना आगरा का दावा है कि मृतक के आश्रित को सूचना दी गई थी। लेकिन वे मौके पर नहीं पहुंचे थे। मृतक के परिवार के सदस्यों ने शुरू में तो शव को पहचानने से इंकार किया था। बाद में यात्रा की व्यवस्था तथा भुगतान का वादा करने के बावजूद वे मौके पर नहीं पहुंचे।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मीडिया रिपोर्ट के जिन तथ्यों पर संज्ञान लिया है, उसके अनुसार पुलिस को अंतिम संस्कार से पूर्व स्वजन का इंतजार करना चाहिए था।
झारखंड के गिरिडीह से शव लेने के लिए स्वजन एक दिन में आगरा नहीं पहुंच सकते थे। उनके पास पैसा भी नहीं था, इसके बावजूद दो लोगों ने आगरा जाने की कोशिश की।
लेकिन धनबाद में ट्रेन बदलते समय रास्ता भटक गए और वापस घर लौट आए। स्वजन अंतिम संस्कार के बाद आगरा पहुंचे तो मृतक का पुतला बनाकर अंतिम संस्कार किया। आयोग का कहना है कि यह मानवाधिकार का हनन है।
जीआरपी आगरा फोर्ट की पुलिस ने जो बताया
राजकीय रेल थाना (जीआरपी) आगरा फोर्ट की पुलिस ने पांच अगस्त को अजमेर-सियालदह एक्सप्रेस ट्रेन के जेनरल डब्बे से एक मृत व्यक्ति का शव बरामद किया था। शव अज्ञात था।
उसके पास से एक पर्चा मिला था, जिसके आधार पर शव की पहचान की कोशिश की गई। स्वजन को उसका फोटो भेजा गया, लेकिन किसी ने शव की पहचान नहीं की।
इसके बाद अज्ञात शव के रूप में उसका पोस्टमार्टम कराया गया। 72 घंटे तक शव रखने की बाध्यता है, उसके बाद अंतिम संस्कार करना होता है।
इसके बावजूद जीआरपी फोर्ट आगरा की पुलिस ने चार दिन बाद नौ अगस्त को शव का अंतिम संस्कार किया। परिजन 15 अगस्त को आगरा पहुंचे और फिर फोटो से उसकी पहचान की।
तब तक शव का अंतिम संस्कार हो चुका था। पुलिस को मिली पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में उसकी मृत्यु का कारण फेफड़े की बीमारी बताया गया है।
मृतक सीताराम दो साल से स्वजनों के संपर्क में नहीं था
मृतक के स्वजनों ने जीआरपी फोर्ट थाना आगरा में फोटो से शव की पहचान की। उसके अनुसार मृतक का नाम सीताराम उर्फ पाली यादव था। उसकी उम्र करीब 40 वर्ष थी। वह मूल रूप से झारखंड के गिरिडीह के जमुआ थाना क्षेत्र स्थित अदुआडीह गांव का रहने वाला था।
स्वजन ने जीआरपी को बताया कि सीताराम उर्फ पाली यादव दो साल से परिजन के संपर्क में नहीं था। वह शराब पीने का आदी था। उसकी इसी आदत के चलते नौ साल पहले उसकी पत्नी बच्चों के साथ मायके चली गई थी। आशंका है कि अत्याधिक शराब पीने के चलते ही उसकी मौत हुई है।
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