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    Big Initiative: नर्सों को अब मिलेंगी कई सुविधाएं, आठ घंटे ही करना है काम, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बनाई गाइडलाइन

    By M EkhlaqueEdited By:
    Updated: Sun, 07 Aug 2022 05:59 PM (IST)

    Good News For Nurses अस्पतालों में प्रतिदिन अधिकतम आठ घंटे व सप्ताह में 40 घंटे ही काम करेंगी नर्स। आपात स्थिति में आठ घंटे से अधिक काम लेने पर अगले द ...और पढ़ें

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    Nurse Jobs In India: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने नर्सों के लिए बड़ी पहल की शुरुआत कर दी है।

    रांची, राज्य ब्यूरो। मरीजों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधा मिल सके, इसके लिए नर्सों की कार्य अवधि तय की जा रही है। इसके तहत सरकारी या गैर सरकारी अस्पतालों में नर्स प्रतिदिन अधिकतम आठ घंटे तथा सप्ताह में 40 घंटे ही काम करेंगी। आपात स्थिति में ही नर्स की सेवा किसी दिन आठ घंटे से अधिक समय तक ली सकेगी लेकिन संबंधित नर्स को अगले दिन अवकाश देना होगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने नर्सों की कार्य अवधि व सुविधाएं तय करने को लेकर गाइडलाइन तैयार की है। इसपर राज्य सरकार से आपत्तियां या सुझाव मांगे गए हैं।

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    अस्पताल में विश्राम कक्ष भी उपलब्ध कराना होगा

    केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा तैयार गाइडलाइन के अनुसार, सभी अस्पतालों में नर्सों की काम करने की स्थिति में सुधार के लिए कई निर्देश शामिल किए गए हैं। इनमें नर्सों की वार्षिक स्वास्थ्य जांच, आवश्यक टीकाकरण, क्रेच सुविधा, परिसर में आवास की सुविधा आदि शामिल हैं। अस्पतालों में अलग-अलग वाशरूम और चेंजिंग रूम (पीने का पानी, पेंट्री सुविधाएं, लाकर, साफ वर्दी आदि उपलब्ध कराने सहित) की सुविधा भी देनी हेगी। अस्पतालों में लंबे समय तक काम करने वाली नर्सों के लिए विश्राम कक्ष की उपलब्धता सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया गया है। अस्पतालों को कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के प्रविधानों के अनुसार आंतरिक शिकायत समितियों का गठन करना होगा। साथ ही रात की पाली के दौरान नर्सों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक उपाय भी करने होंगे।

    नर्सों को नेतृत्व क्षमता विकसित करने का मिलेगा अवसर

    केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा तैयार गाइडलाइन में नर्सिंग नेतृत्व को बढ़ावा देना अनिवार्य किया गया है। इसमें कहा गया है कि किसी मरीज का इलाज कैसे किया जाए इसमें नर्सों की राय भी ली जानी चाहिए। इसमें कहा गया है कि वार्ड में मरीजों की काउंसलिंग के कामों में भी नर्सों को सक्रिय रूप से भाग लेने का मौका दिया जाना चाहिए ताकि वे भी मरीजों के इलाज के लिए निर्णय लेने की प्रक्रिया का हिस्सा बन सकें।

    झारखंड में तो 12-12 घंटे ली जाती है ड्यूटी

    झारखंड के सरकारी अस्पतालों की स्थिति यह है कि यहां आठ से 12 घंटे तक ड्यूटी नर्सों से ली जाती है। यदि किसी नर्स को रात में ड्यूटी लगती है तो उसे 12 घंटे काम करना पड़ता है। एनआरएचएम एएनएम-जीएनएम अनुबंध कर्मचारी संघ की महासचिव वीणा कुमारी कहती हैं, रांची के ही चान्हो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तो लगातार 48-48 घंटे एक नर्स को काम करना पड़ता है। अन्य केंद्रों में भी कमोबेश यही स्थिति है। उनके अनुसार संघ केंद्र द्वारा तैयार गाइडलाइन को पूरी तरह लागू करने का पक्षधर है। आल झारखंड पारा मेडिकल एसोसिएशन के महासचिव उपेंद्र कुमार सिंह कहते हैं, झारखंड में नर्स पर अत्यधिक बोझ है, जिससे चिकित्सा सेवा की गुणवत्ता पर असर पड़ता है। इसकी बड़ी वजह नर्स की कमी है।

    झारखंड में सदर अस्पतालों में ही 87 प्रतिशत नर्स की कमी

    हाल ही में आई भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि राज्य के सदर अस्पतालों में जरूरत के मुकाबले नर्सों की 87 प्रतिशत और पारा मेडिकल स्टाफ की 76 प्रतिशत तक की कमी है। ऐसे में अस्पतालों में कार्यरत नर्सों पर बोझ बढ़ता है। दूसरी तरफ सदर अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है।