फलदार पौधों से बढ़ी झारखंड की हरियाली, किसान भी हो रहे मालामाल; ब्लैकबेरी और संतरे पर रिसर्च जारी
रांची में हरियाली बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने कई योजनाएं चलाई हैं। बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत फलदार पौधे लगाए गए हैं जिससे राज्य का ग्रीन कवर तीन प्रतिशत तक बढ़ गया है। गुमला और लोहरदगा जैसे आदिवासी जिलों में पौधरोपण से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सहारा मिला है। अब ब्लैकबेरी और संतरे के पौधे लगाने पर भी विचार चल रहा है।

राज्य ब्यूरो, रांची। राज्य के आबादी वाले हिस्सों में ग्रीन कवर (हरियाली) बढ़ी है। एक करोड़ 58 लाख 90 हजार से अधिक फलदार पौधे बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत लगाए गए हैं। जबकि 58 लाख इमारती लकड़ियों के पौधे सड़क किनारे लगाए गए हैं।
राज्य के कुल ग्रीन कवर में इसने तीन प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। एक लाख 45 हजार एकड़ में हुए पौधरोपण ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी गति दी है। आदिवासी बहुल गुमला और लोहरदगा जिले में सबसे ज्यादा पौधे लगाए गए हैं।
ग्रामीण क्षेत्र में आम, अमरूद और नाशपाती जैसे फलों में राज्य आत्मनिर्भर तो हुआ ही है, बाहर के राज्यों में भी इसे भेजा जा रहा है। ग्रामीण विकास विभाग की इस योजना में खाली पड़ी जमीन में पौधरोपण के लिए सरकार सहायता देती है। राज्य के 264 प्रखंडों में यह योजना चलाई जा रही है।
ब्लैकबेरी और संतरे के पौधे लगाने पर हो रहा शोध
छोटानागपुर के जंगलों से सटे गावों में ब्लैकबेरी और संतरे के पौधे लगाने पर विचार किया जा रहा है। कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानी सलाहकार संजय पांडे ने बताया कि इन पौधों की नई वेराइटी यहां के पर्यावरण के अनुकूल है।
पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय ने वर्षों से बंजर जमीन में वनीकरण के लिए पौधों की नई वेराइटी तैयार की है। इस साल दिसंबर में एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत ये पौधे लगाए जाएंगे।
कोडरमा में इसके लिए निजी भूमि का चयन किया गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि वन्यक्षेत्र से अलग इतनी बड़ी संख्या में हुआ पौधरोपण राज्य में जलचक्र को भी सुरक्षित करेगा।
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