झारखंड राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला में होगी स्थायी निदेशक की नियुक्ति, इन तिथियों में कर सकते हैं नामांकन, जानें पूरी प्रक्रिया
गृह विभाग के अधीन संचालित राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला में निदेशक पद पर स्थायी नियुक्ति होगी। विभाग की अनुशंसा पर झारखंड लोक सेवा आयोग ने इस एकल पद पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दी है। राज्य प्रयोगशाला में लंबे समय से निदेशक का पद रिक्त है। वर्तमान में एडीजी टी कंडासामी इसके प्रभार में हैं।

राज्य ब्यूरो, रांची। गृह विभाग के अधीन संचालित राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला में निदेशक पद पर स्थायी नियुक्ति होगी।
विभाग की अनुशंसा पर झारखंड लोक सेवा आयोग ने इस एकल पद पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दी है। राज्य प्रयोगशाला में लंबे समय से निदेशक का पद रिक्त है।
वर्तमान में एडीजी टी कंडासामी इसके प्रभार में हैं। इस पद पर अब स्थायी नियुक्ति के लिए 12 सितंबर से तीन अक्टूबर तक आनलाइन आवेदन होंगे।
छह अक्टूबर तक परीक्षा शुल्क का भुगतान होगा तथा 17 अक्टूबर तक आयोग कार्यालय में आवेदन की हार्ड कापी जमा होगी।
इस पद पर नियुक्ति के लिए अन्य आवश्यक योग्यता के अलावा किसी विधि विज्ञान प्रयोगशाला में उपनिदेशक के पद पर काम करने का आठ वर्ष का अनुभव या अपर निदेशक के पद पर कार्य करने का पांच वर्ष का अनुभव अनिवार्य है।
न्यूनतम आयु सीमा 50 तथा अधिकतम आयु सीमा 55 वर्ष निर्धारित की गई है। इस पद पर नियुक्त होनेवाला व्यक्ति 60 वर्ष में सेवानिवृत्त होगा।
राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला में होने वाले मुख्य कार्य
राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला (State Forensic Science Laboratory - SFSL) में वैज्ञानिक तरीके से अपराधों की जांच करने का काम होता है।
यह प्रयोगशाला पुलिस, न्यायालय और अन्य जांच एजेंसियों को तकनीकी सहायता प्रदान करती है ताकि अपराधों को सुलझाया जा सके। इसमें कई तरह के वैज्ञानिक परीक्षण किए जाते हैं।
भौतिक साक्ष्यों का परीक्षण (Physical Evidence Analysis)
अपराध स्थल से मिले खून, बाल, कपड़े, मिट्टी, धातु आदि की जांच की जाती है।
डीएनए परीक्षण (DNA Analysis)
अपराधी की पहचान के लिए खून, बाल, त्वचा या अन्य जैविक साक्ष्यों से डीएनए निकाला जाता है।
फिंगरप्रिंट विश्लेषण (Fingerprint Analysis)
अपराध स्थल पर मिले उंगलियों के निशानों की तुलना संदिग्ध व्यक्तियों से की जाती है।
दस्तावेजों की जांच (Document Examination)
नकली दस्तावेज, हस्ताक्षर, बैंक नोट, पासपोर्ट आदि की जांच की जाती है।
रसायन शास्त्र जांच (Chemical Analysis)
जहर, नशीले पदार्थ, विस्फोटक या अज्ञात रसायनों की पहचान की जाती है।
अस्थि और मानव अवशेषों की जांच (Anthropology and Odontology)
मानव अस्थियों, दांतों आदि से मृतक की पहचान और मृत्यु का कारण जानने की कोशिश की जाती है।
डिजिटल फॉरेंसिक (Cyber/Digital Forensics)
मोबाइल, कंप्यूटर, सीसीटीवी फुटेज, सोशल मीडिया डाटा की जांच की जाती है।
आग्नेयास्त्र और गोला-बारूद की जांच (Ballistics)
बंदूक, गोली, कारतूस और उनके निशानों की वैज्ञानिक जांच।
विषविज्ञान (Toxicology)
शरीर में ज़हर की मौजूदगी की जांच, जैसे आत्महत्या या हत्या के मामलों में।
प्रयोगशाला का उद्देश्य
अपराध की वैज्ञानिक जांच करना/ सबूतों को निष्पक्ष और विश्वसनीय रूप से विश्लेषित करना/ न्यायालय में विशेषज्ञ गवाही देना/ यह प्रयोगशालाएँ केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा संचालित होती हैं, और हर राज्य में एक या अधिक SFSLs हो सकती हैं।
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