विद्या भारती को लेकर बदल रही है लोगों की धारणा, देश के 12 हजार स्कूलों में पढ़ रहे हैं 40 हजार मुस्लिम बच्चे
विद्या भारती की ओर से देश में संचालित लगभग 12 हजार स्कूलों में 34 लाख से अधिक बच्चे पढ़ते हैं। इनमें 40 हजार से भी अधिक मुस्लिम बच्चे हैं जो अन्य बच्चों की ही तरह ईश्वर की प्रार्थना भी करते हैं वंदे मातरम का गान भी करते हैं।

रांची, संजय कुमार: विद्या भारती के देशभर में संचालित लगभग 12 हजार स्कूलों में 34 लाख से अधिक बच्चे पढ़ते हैं। इनमें 40 हजार से भी अधिक मुस्लिम बच्चे हैं, जो अन्य बच्चों की ही तरह ईश्वर की प्रार्थना भी करते हैं, वंदे मातरम का गान भी करते हैं। झारखंड में ऐसे लगभग 200 स्कूल चलाए जा रहे हैं, जहां लगभग 15 हजार मुस्लिम बच्चे अध्ययनरत हैं। खास बात यह है कि संस्कार की शिक्षा के लिए दूर-दराज के क्षेत्रों के भी अभिभावक अपने बच्चों को इन स्कूलों में भेजते हैं।
शिक्षा के साथ सीख रहे आज्ञाकारिता और राष्ट्रवाद का भाव
लोहरदगा के जहांगीर अंसारी, मो. मुर्शीद, डाक्टर अली मोहम्मद व अन्य अभिभावक बताते हैं कि विद्या भारती के स्कूलों जैसी संस्कार की शिक्षा कहीं नहीं मिलती। यही वजह है कि हम अपने बच्चों को इस स्कूल में पढ़ने भेजते हैं। हमारे बच्चे यहां सिलेबस की पढ़ाई के साथ-साथ विनम्रता, बड़ों का आदर, आज्ञाकारिता, अच्छे नागरिक के गुण और राष्ट्रप्रेम का भी पाठ पाढ़ रहे हैं। अपने देश की संस्कृति और संस्कार से भी वह अवगत हो रहे हैं। यहां पढ़ रहे मुस्लिम बच्चों का भी मानना है कि यहां का माहौल अच्छा है।
स्वजन भी करते हैं तारीफ
जहांगीर अंसारी, डा. अली मोहम्मद औऱ मो. मुर्शीद के बच्चे शीला अग्रवाल सरस्वती विद्या मंदिर लोहरदगा में पढ़ते हैं। जहांगीर कहते हैं कि उनके बच्चे जब घर आने वाले लोगों को आदर-सम्मान देते हैं और प्रेम तथा विनम्रता के साथ अभिवादन व स्वागत करते हैं तो अन्य लोगों को भी उनका यह व्यवहार प्रभावित करता है। हमें भी अपने बच्चों के व्यवहार पर गर्व होता है और इस बात की संतुष्टि मिलती है कि हम बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं।
विद्याभारती कर रहा बच्चों का चरित्र निर्माण
विद्याभारती हमारे बच्चों का चरित्र निर्माण कर रहा है। लड़कियां भी निडर होकर पढ़ाई करने जाती हैं। शीला अग्रवाल सरस्वती विद्या मंदिर, लोहरदगा में कुल 642 बच्चे पढ़ रहे हैं, इनमें 15 मुस्लिम बच्चे भी हैं। स्कूल में बच्चों द्वारा भगवान की प्रार्थना करने पर जहांगीर अंसारी कहते हैं कि सभी विषयों का ज्ञान होना चाहिए। भगवान की प्रार्थना करने से कोई हिंदू नहीं बन जाएगा। उन्होंने तो यह जानते हुए भी कि यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचार से प्रभावित स्कूल है, दूसरे मुस्लिम परिवार के लोगों से भी अपने बच्चों को इन स्कूलों में भेजने की अपील की है।
मो. मुर्शीद के पांच बच्चे हैं। तीन बच्चे सरस्वती विद्या मंदिर से पास कर चुके हैं और दो पढ़ रहे हैं। लोहरदगा से 20 किमी दूर बुटी भखरा निवासी डा. अली ने कहा कि मैंने कई निजी स्कूलों में जाकर देखा परंतु ऐसा संस्कार और अनुशासन और कहीं नहीं मिला।
सभी बच्चों से समान व्यवहार किया जाता है
नौंवी में पढ़ रही जहांगीर अंसारी की पुत्री नुसरत जहां का कहना है कि यहां सभी बच्चों से समान व्यवहार किया जाता है। शुल्क भी दूसरे निजी स्कूलों के बजाय बहुत कम लिया जाता है। मेरे संस्कार को देखकर तो मेरे स्वजन भी पिताजी को कहते हैं कि अच्छे स्कूल में बच्चे को पढ़ा रहे हो।
लोगों की बदल रही धारणा
वहीं प्राचार्य बिपिन कुमार दास का कहना है कि स्कूल में आयोजित सभी कार्यक्रमों में मुस्लिम बच्चों के माता-पिता भी आते हैं। यहां के शिक्षक भी परिवारों में मिलने जाते हैं। वहीं विद्या भारती के क्षेत्र प्रचार प्रमुख अखिलेश कुमार का कहना है कि अब मुस्लिम और ईसाई परिवारों की धारणा समाप्त होती जा रही है कि आरएसएस विचार से प्रभावित इन स्कूलों में धर्म की शिक्षा दी जाती होगी। लोग अब अपने बच्चों को खुशी-खुशी भेज रहे हैं।
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