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    राष्‍ट्रीय सरना धर्म के अगुआ वीरेंद्र भगत का हुआ अंतिम संस्‍कार, विदाई देने वालों का लगा तांता

    By Sujeet Kumar SumanEdited By:
    Updated: Sat, 24 Apr 2021 05:24 PM (IST)

    Jharkhand News Hindi Samachar शुक्रवार को रिम्स में इलाज के दौरान वीरेंद्र भगत की मृत्यु हो गई। वीरेंद्र भगत सरना समाज को एकजुट करने में आजीवन लगे रहे। मुख्‍यमंत्री ने भी उनके निधन पर शोक व्‍यक्‍त किया है।

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    Jharkhand News वीरेंद्र भगत के अंतिम दर्शन के लिए जुटे लोग। जागरण

    तुपुदाना (रांची), जासं। राष्ट्रीय सरना धर्म के अगुआ सह राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा के संस्थापक वीरेंद्र भगत का शनिवार को अंतिम संस्‍कार कर दिया गया। उनका शव अंतिम दर्शन के लिए रातू मलमांडू स्थित आवास पर रखा गया था। इस दौरान उन्हें अंतिम विदाई देने वाले लोगों का तांता लगा रहा। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सरना धर्म गुरु वीरेंद्र भगत के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका निधन न सिर्फ आदिवासी समाज बल्कि पूरे झारखंड के लिए अपूरणीय क्षति है। मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की शांति और शोकाकुल परिजनों को दुख सहन करने की शक्ति देने की कामना ईश्वर से की है।

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    ज्ञात हो कि शुक्रवार को रिम्स में इलाज के दौरान वीरेंद्र भगत की मृत्यु हो गई। वीरेंद्र भगत सरना समाज को एकजुट करने में आजीवन लगे रहे। जहां कहीं भी सरना समाज के एवं आदिवासी समाज के लोगों को इनकी जरूरत पड़ी, वे हरदम लोगों के बीच खड़े रहे। अगुवाई करते रहे। चाहे वह धर्म का मामला हो या आदिवासी समाज की अस्मिता का मामला। वीरेंद्र भगत अपने जुझारू तेवर के साथ खड़े रहे। उनके निधन से झारखंड सहित देश के अन्य भागों में रहने वाले आदिवासी समाज की अपूरणीय क्षति करार दी गई है।

    लोगों को सहसा विश्वास नहीं हो रहा है कि धर्म अगुआ वीरेंद्र भगत का निधन हो गया है। वीरेंद्र भगत की पहचान आदिवासी नेताओं में सर्वमान्य नेता की थी। उन्होंने क्षेत्र में अपनी पकड़ का प्रदर्शन 2005 के हटिया विधानसभा चुनाव में किया था। वे निर्दलीय चुनाव लड़कर भी 22000 वोट लाए थे। तत्कालीन रातू राज के युवराज स्वर्गीय गोपाल शरण शाहदेव उस समय विधायक बने थे लेकिन बिना साधन और पैसा के वीरेंद्र भगत ने 22000 वोट लाकर राजनीति में सबको चौंकाया था। वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव भी उन्होंने निर्दलीय लड़ा था और 24000 वोट प्राप्त किया था।

    वर्ष 2014 में झारखंड विकास मोर्चा के टिकट पर लोहरदगा लोकसभा चुनाव लड़े थे। इसमें वह हार गए थे। हटिया विधानसभा का उपचुनाव भी उन्होंने लड़ा था। इसमें नवीन जायसवाल विजयी हुए थे। स्वर्गीय वीरेंद्र भगत चुनाव तो नहीं जीत पाए थे लेकिन समाज और क्षेत्र में अपनी पकड़ का प्रदर्शन उन्होंने बखूबी किया था। सादा जीवन उच्च विचार का अनुशरण करने वाले वीरेंद्र भगत आजीवन आदिवासियों की अस्मिता के लिए, हक के लिए लड़ाई लड़ते रहे।

    शनिवार को अपनी श्रद्धांजलि संदेश में अजय नाथ शाहदेव ने कहा कि सरना समाज के अगुआ, सभी के सुख दुख में शामिल रहने वाले मेरे भाई समान वीरेंद्र भगत के असामयिक निधन से मैं स्तब्ध हूं। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता अपने संगठन की ओर से उन्हें श्रद्धांजलि देने उनके आवास पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि हमारे समाज को एकजुट करने वाले बड़े भाई आदिवासी समाज के सर्वमान्य नेता वीरेंद्र भगत के निधन से व्यथित हूं।

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