रांची के इस चौक का नाम सुनकर हैरान रह जाएंगे आप, शर्मिंदगी से लोग नहीं बताते घर का पता
Jharkhand News Ranchi Samachar क्या आप जानते हैं कि रांची में शैतान चौक नाम से इलाका था। लोगों का कहना है कि इलाके में नाम का दुष्प्रभाव पड़ रहा था। लोग कहीं अपना पता बताने में शर्मिंदगी महसूस करते थे कि वह शैतान चौक पर रहते हैं।
रांची, जासं। लोग अपने क्षेत्र या जगह का नाम बताने में गर्व महसूस करते हैं। और जब आपका क्षेत्र किसी चीज के कारण मशहूर हो तो बात ही क्या। लेकिन तब क्या हो, जब आप अपने क्षेत्र का नाम बताने में शर्मिंदगी महसूस करें और वह भी वहां के नाम की वजह से। कुछ ऐसा ही हाल है रांची के इस क्षेत्र के लोगों का। यहां के लोग अपने घर का पता बताने में शर्म महसूस करते हैं। हम बात कर रहे हैं रांची के वार्ड नंबर 28 में मधुकम रोड पांच के शैतान चौक का।
लोगों का कहना है कि इलाके में नाम का दुष्प्रभाव पड़ रहा था। लोग कहीं अपना पता बताने में शर्मिंदगी महसूस करते थे कि वह शैतान चौक पर रहते हैं। इसलिए लोगों ने आपस में विचार विमर्श करने के बाद इस चौक का नाम बदल दिया है। कहना है कि अराजक तत्वों ने इस चौक का नाम शैतान चौक रख दिया था। इसके पीछे असली वजह क्या थी कोई नहीं जानता लेकिन इससे यहां रहने वाले लोगों को परेशानी जरूर हो रही थी। लिहाजा पते में बदलाव का फैसला किया गया।
अब यह चौक स्व. मंगल उरांव चौक के नाम जाना जाएगा। गत 15 अगस्त को सामाजिक कार्यकर्ता प्रकाश तिर्की की अध्यक्षता में नए चौक के नामांकरण के साथ-साथ झंडोतोलन किया गया। प्रकाश तिर्की ने बताया कि कुछ असामजिक तत्वों के कारनामे की सजा सभी लोगों भोग रहे थे।
इसलिए क्षेत्र के लोगों ने विचार-विमर्श करके इस चौक का नाम बदलने का निर्णय लिया। कार्यक्रम में मधुकम मौजा के पाहन बाबा सोमरा तिर्की, सामाजिक अगुवा दीवा उरांव, साधु उरांव, उदय तिर्की, दीपक तिर्की, न्यू जागृति सरना समिति के अध्यक्ष संजय कच्छप, मुन्ना टोप्पो, रौशन तिर्की, चंपा तिर्की, वार्ड नंबर 28 के पार्षद प्रतिनिधि राहुल चौधरी, राष्ट्रीय युवा शक्ति के पदाधिकारी सावन उरांव, वीरेंद्र गोप, गुडू तिर्की, विशाल उरांव, अजय सिन्हा, बाबू शर्मा, कांग्रेस वार्ड नंबर 28 अध्यक्ष मंटू गुप्ता, अमित प्रजापति, राजकुमार सिंह, बड़कू निषाद, मनोज तिर्की, रंजीत ठाकुर, अमित शाह, श्याम सोनी, सुरज सिंह, दिलीप पोद्दार आदि उपस्थित थे।
स्कूलों में परेशान करते थे बच्चे
इलाके के बच्चों तक को अपने घर का पता बताने से परेशानी होती थी। स्कूलों में दूसरे बच्चे इस इलाके के बच्चों को नाम को लेकर मजाक करते थे। कई बार बच्चों ने इस बारे में अपने अभिभावकों को शिकायत की। जब यह घर घर की परेशानी बन गई तो इसके समाधान का रास्ता खोजा जाने लगा। आखिरकान नाम में परिवर्तन का निर्णय हुआ।
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