Jharkhand News: झारखंड में बंद पड़े कोयला खदानों पर बनेंगे पार्क, लगेंगे आम-कटहल के पौधे
रांची कोयला खदानों में खनन पूरा होने पर मिट्टी भरकर पार्क बनेंगे जिनमें स्थानीय पौधे लगेंगे। कोयला मंत्रालय ने सहायक कंपनियों को निर्देश जारी किया है। पार्कों का रखरखाव ग्रामीण समितियां करेंगी। इको टूरिज्म के तौर पर विकसित करने और स्थानीय टूरिज्म सर्किट से जोड़ने का भी निर्देश दिया गया है जिससे पर्यावरण संरक्षण और रोजगार मिलेगा।
राज्य ब्यूरो, रांची। कोयला खदानों में खनन पूर्ण हो जाने के बाद वहां मिट्टी भरकर पार्क बनाया जाएगा। उन पार्कों में स्थानीय पौधे ही लगाए जाएंगे। कोयला मंत्रालय ने इसके लिए सभी आनुषांगिक कंपनियों को निर्देश जारी किया है।
पिछले दिनों रांची में कोयला मंत्रालय के अधिकारियों की बैठक में झारखंड में सभी कोयला परियोजनाओं की समीक्षा के दौरान यह निर्देश दिया गया। इससे पहले बंद हो रही खदानों में बालू भरकर उसे बंद किया जाता था।
खनन परियोजनाओं में पौधरोपण के लिए पहले जिन प्रजातियों के पौधे लगाए जाते थे वो यहां के पर्यावरण से मेल नहीं खाते थे। अब इन पार्कों में साल, शीशम, आम, कटहल जैसे पौधों को लगाना अनिवार्य किया गया है।
इन पार्कों के रखरखाव के लिए ग्रामीणों की समिति भी बनाई जाएगी। अभी हजारीबाग, रामगढ़ और धनबाद के कतरास में पार्क बनाने की पहल की गई है। दूसरी बंद परियोजनाओं की समीक्षा के बाद यहां भी पार्क बनाए जाएंगे।
पर्यटन सर्किट के साथ जुड़ेंगे पार्क
कोयला मंत्रालय ने इन पार्कों को इको टूरिज्म के तौर पर चलाने का निर्देश दिया है। इसमें स्थानीय युवाओं को रोजगार भी मिलेगा और पर्यावरण का संरक्षण भी होगा। इन पार्कों को स्थानीय टूरिज्म सर्किट से जोड़ा जाएगा।
रामगढ़ और हजारीबाग में बनने वाले पार्क को रजरप्पा और इटखोरी के भद्रकाली मंदिर सर्किट से जोड़ा जाएगा। धनबाद जिले में बनने वाले पार्कों को मैथन डैम से जोड़कर पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा।
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