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    Jharkhand news: पैनम कोल कंपनी के मामले में 20 दिसंबर को सुनवाई,अवैध खनन से जुड़ा है केस

    By Manoj Singh Edited By: Kanchan Singh
    Updated: Thu, 18 Dec 2025 11:44 PM (IST)

    पैनम कोल कंपनी के अवैध खनन से जुड़े मामले की सुनवाई अब 20 दिसंबर को होगी। यह मामला झारखंड राज्य के रांची शहर से संबंधित है। अदालत इस मामले में आगे की क ...और पढ़ें

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    - पंजाब पावर कारपोरेशन के अधिवक्ता ने वकालतनामा दाखिल करने के लिए मांगा समय

    राज्य ब्यूरो, रांची।  हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में पाकुड़ जिले में पैनम कोल कंपनी के खिलाफ अवैध खनन पर कार्रवाई की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत पंजाब पावर कारपोरेशन के अधिवक्ता ने कहा कि उनकी ओर से अभी वकालतनामा दाखिल नहीं किया जा सका है। इसके लिए समय दिया जाए।

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    अदालत ने दो दिन का समय देते हुए अगली सुनवाई 20 दिसंबर को निर्धारित की है। अदालत ने इस मामले में पंजाब पावर कारपोरेशन को प्रतिवादी बनाते हुए जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। पंजाब पावर कारपोरेशन और पैनम कोल कंपनी का ज्वाइंट वेंचर था। पिछली सुनवाई में सरकार की ओर से शपथ पत्र में केवल इतना कहा गया था कि आयुक्त की रिपोर्ट पर तत्कालीन पाकुड़ डीसी को शो-काज किया गया था।

    शो-काज नोटिस के बाद क्या कार्रवाई की गई, इस पर सरकार नहीं दे सकी जवाब

    इस पर अदालत ने पूछा कि शो-काज नोटिस के बाद क्या कार्रवाई की गई, लेकिन सरकार के अधिवक्ता इसका उत्तर नहीं दे सके। अदालत ने यह भी कहा कि कंपनी द्वारा सीएसआर के तहत किए गए खर्च का विवरण भी शपथ पत्र में सही तरीके से नहीं दिया गया है। सरकार ने पूर्व में बताया था कि पैनम कोल कंपनी के खिलाफ 118 करोड़ रुपये की वसूली के लिए सर्टिफिकेट केस दर्ज किया गया है।

    प्रार्थी अधिवक्ता राम सुभग सिंह की ओर से कहा गया कि सरकार अलग-अलग दावे कर रही है। लेकिन अभी इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। प्रार्थी की ओर से यह भी कहा गया कि यह मात्र रायल्टी का मामला नहीं, बल्कि 999 करोड़ रुपये के अवैध खनन का मुद्दा है।

    उनका कहना था कि राज्य सरकार स्वयं स्वीकार कर चुकी है कि कंपनी ने लीज सीमा से अधिक कोयले खनन किया है, फिर भी जांच रिपोर्ट के आधार पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। राम सुभग सिंह की ओर से दाखिल याचिका में आरोप लगाया गया है कि वर्ष 2015 में पाकुड़ और दुमका में खनन लीज मिलने के बाद पैनम कोल कंपनी ने बड़े पैमाने पर अतिरिक्त कोयले का उत्खनन किया, जिससे सरकार को भारी राजस्व नुकसान हुआ।