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    Pana Sankranti 2022: आज ओडिशा में उ‍ड़‍िया नव वर्ष के साथ मना रहे पना संक्रांति... बिहार, झारखंड में सतुआनी-विशुबा...

    By Alok ShahiEdited By:
    Updated: Thu, 14 Apr 2022 11:37 AM (IST)

    Pana Sankranti 2022 आज ओडिशा में हंसी-खुशी के साथ पना संक्रांति के मौके पर पारंपरिक तरीके से उड़‍िया नव वर्ष मनाया जा रहा है। इधर बिहार और झारखंड में हिंदू धर्मावलंबी बिशुबा त्‍योहार मना रहे हैं। इस दिन स्‍नान-ध्‍यान के बाद दान-पुण्‍य का खास महत्‍व है।

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    Pana Sankranti 2022: आज ओडिशा में पारंपरिक तरीके से उड़‍िया नव वर्ष मनाया जा रहा है।

    रांची, जेएनएन। Pana Sankranti 2022 आज बिहार, झारखंड में बिशुबा त्‍योहार मनाया जा रहा है। जबकि ओडिशा में हिंदू धर्मावलंबी पना संक्रांति मना रहे हैं। इस त्‍योहार को महा विशुबा संक्रांति, महा संक्रांति और मेष संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ऐसा त्योहार है जो पूरे ओडिशा में हिंदुओं और बौद्धों के बीच पारंपरिक तरीके से नए साल के पहले दिन के रूप में मनाया जाता है। लूनिसोलर कैलेंडर के अनुसार इस पर्व की तिथि सौर चक्र के बनने के साथ निर्धारित की जाती है। ओडिशा में महाबिशुबा संक्रांति को पारंपरिक ओडिया कैलेंडर में नए साल की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है।

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    महा विशुबा संक्रांति पर ओडिशा में आज सार्वजनिक अवकाश है। ओडिया महीने के पहले दिन यह त्‍योहार मनाया जाता है। यह हर साल 14 अप्रैल को पड़ता है। महा विशुबा संक्रांति को महाविशु संक्रांति के रूप में भी जाना जाता है। महा विशुबा संक्रांति ओडिशा का पारंपरिक सौर नव वर्ष है। महा विशुबा संक्रांति ऐतिहासिक रूप से सूर्य के मेष राशि में जाने से वर्ष के परिवर्तन को चिह्नित करती है।

    यह एक प्राचीन त्योहार है और जब इसे पहली बार मनाया गया था, तब मेष राशि में सूर्य का आगमन हुआ था। यह उत्तरी गोलार्ध में वसंत के आगमन का प्रतीक है। यह तिथि देश के कई भागों में व्यापक रूप से मनाई जाती है।हिंदू नव वर्ष की तरह यह उ‍ड़‍िया नव वर्ष के तौर पर देखा जाता है। ओडिया परंपरा में, इस दिन को हिंदू देवता हनुमान का जन्मदिन माना जाता है, जिसे महाकाव्य रामायण में विष्णु अवतार राम के प्रति उनकी प्रेमपूर्ण भक्ति से प्रसिद्ध किया गया था।

    आज के दिन हनुमान, शिव और सूर्य देवता विशेष रूप से पूजनीय हैं। नए साल को मनाने के लिए लोग मेला, स्ट्रीट डांस और कलाबाजी देखते हैं। इससे पहले श्रद्धालु नदियों या प्रमुख तीर्थ केंद्रों में स्नान करते हैं। कुछ जगहों पर आज फायर-वॉक का प्रदर्शन भी किया जाता है। जहां श्रद्धालु गीत-संगीत के साथ जयकारा लगाते हुए जलते कोयले-अंगारे पर नंगे पांव दौड़ते हैं। आज के दिन आम-दूध-दही-नारियल से बनने वाला पाना नामक एक मीठा  पेय पीते और पिलाते हैं। इस त्योहार को पना संक्रांति भी कहा जाता है।