Jharkhand News: सांप को मारने की जगह रेस्क्यू करना सीख रहे ग्रामीण, बचा रहे लोगों की जान
पलामू टाइगर रिजर्व में ग्रामीण अब सांपों को मारने के बजाय उन्हें बचाने का प्रशिक्षण ले रहे हैं। अधिकांश सांप विषहीन होते हैं फिर भी हर साल हजारों मारे जाते हैं। पीटीआर प्रबंधन सांप पकड़ने और प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण दे रहा है। सांप पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे फसल को नुकसान पहुंचाने वाले जीवों को नियंत्रित करते हैं।

दिव्यांशु, रांची। पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) के कोर क्षेत्र में बसे ग्रामीण सांप को मारने की जगह अब पकड़कर उन्हें सुरक्षित छोड़ना सीख रहे हैं।
पीटीआर प्रबंधन ने ग्रामीणों के साथ इसके लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम किए हैं। पूरे झारखंड में पाए जाने वाले 80 प्रतिशत सांप बिना जहर वाले (नान वेनेमनस) होते हैं।
जानकारी के अभाव में लातेहार, पलामू और गढ़वा जिले के इस वन क्षेत्र में प्रतिवर्ष अनुमानित तौर पर पांच हजार से अधिक सांप मार दिए जाते हैं।
पीटीआर के इन तीन जिलों में हर साल सर्पदंश के करीब 500 मामले अस्पताल में आते हैं जिनमें से 20 से 25 लोगों की मृत्यु हो जाती है।
पीटीआर प्रबंधन अब ग्रामीणों को सांप पकड़ने के साथ इनके काटने पर प्राथमिक उपचार की ट्रेनिंग भी दे रहा है। पीटीआर नार्थ के डिप्टी डायरेक्टर प्रजेश जेना ग्रामीणों को सर्पदंश के बाद एक घंटे के गोल्डन आवर में अस्पताल पहुंचाने और उसके पहले के उपचार के लिए जागरूक कर रहे हैं।
राज्य में पाए जाने वाले 30 में से छह सांप ही जहरीले
पलामू टाइगर रिजर्व समेत पूरे झारखंड में करीब 30 प्रजाति के सांप पाए जाते हैं। इनमें से केवल छह ही जहरीले हैं। नाग, करैत, रसेल वाइपर, बैंडेट करैत, बैम्बू पिट वाइपर और सालाजार पिट वाइपर के अलावा जितने भी सांप हैं उनके काटने से व्यक्ति की मृत्यु नहीं होती।
प्रजेश जेना ने बताया कि पीटीआर से गुजरने वाली स्टेट हाइवे पर अक्सर सांपों को मारते हुए वाहन गुजर जाते हैं। घरों में भी निकलने पर इन्हें बेवजह मार दिया जाता है।
अब ग्रामीणों को इन्हें सुरक्षित पकड़ने और खुली जगह पर छोड़ने का प्रशिक्षण दिया गया है। लोगों को विषैले और सामान्य सांप की पहचान करने की बात भी सिखाई जा रही है।
पारिस्थितिकी संतुलन के लिए आवश्यक है सांपों का होना
झारखंड में फसल उत्पादन प्रक्रिया को बचाए रखने के लिए सांप आवश्यक हैं। वाइल्ड लाइफ संस्थाण पुणे के विशेषज्ञ कुमार अंकित ने बताया कि हजारों साल की विकास प्रक्रिया में सांपों ने फसल चक्र को प्रभावित करने की क्षमता विकसित की है।
पलामू क्षेत्र में धान की खेती को नुकसान पहुंचाने वाले चूहे और गिलहरी इनके मुख्य भोजन हैं। अगर हजारों सांपों को बेवजह ही मार दिया जाएगा तो पूरा फसल चक्र प्रभावित होगा।
इतनी ही नहीं प्राकृतिक वनीकरण के लिए बीजों की सुरक्षा जरूरी है। गिलहरी इन बीजों को नष्ट कर देती है। ऐसे में सांप इन गिलहरियों और दूसरे जंतुओं की संख्या पर भी नियंत्रण रखते हैं।
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