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    Jharkhand High Court: पूर्व मंत्री आलमगीर आलम के ओएसडी संजीव लाल को नहीं मिली जमानत,टेंडर आवंटन के बाद कमीशन घोटाला

    Updated: Wed, 13 Aug 2025 08:43 PM (IST)

    टेंडर आवंटन के बाद कमीशन घोटाला मामले में आरोपित पूर्व मंत्री आलमगीर आलम के तत्कालीन ओएसडी संजीव लाल को झारखंड हाई कोर्ट से राहत नहीं मिली है। अदालत ने उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी। निचली अदालत से राहत नहीं मिलने के बाद संजीव लाल ने हाई कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की थी।

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    पूर्व मंत्री आलमगीर आलम के ओएसडी संजीव लाल को नहीं मिली जमानत।

    राज्य ब्यूरो, रांची। टेंडर आवंटन के बाद कमीशन घोटाला मामले में आरोपित पूर्व मंत्री आलमगीर आलम के तत्कालीन ओएसडी संजीव लाल को झारखंड हाई कोर्ट से राहत नहीं मिली है।

    जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी। निचली अदालत से राहत नहीं मिलने के बाद संजीव लाल ने हाई कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की थी।

    पूर्व में बहस पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से बताया गया कि इस मामले से संबंधित कई लोगों को जमानत मिल चुकी है।

    जहां तक पैसे बरामद होने की बात है तो वह जहांगीर आलम के घर से बरामद हुआ था। इस पैसे से उनका कोई लेना-देना नहीं है, इसलिए जमानत मिलनी चाहिए।

    ईडी की ओर से अधिवक्ता अमित कुमार दास और सौरभ सिंह ने पक्ष रखा। अदालत को बताया गया कि टेंडर आवंटन के बाद मिलने वाली कमीशन की राशि लेने में प्रार्थी संलिप्त है।

    इनके मामले में पूर्व मंत्री आलमगीर आलम और जहांगीर आरोपित हैं, जिन्हें जमानत मिली है। ऐसे में इनको भी राहत नहीं मिलनी चाहिए।

    बता दें कि पिछले दिनों हाई कोर्ट ने पूर्व मंत्री आलमगीर आलम की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। टेंडर आवंटन के बाद कमीशन घोटाले में ईडी ने कार्रवाई कार्रवाई करते हुए संजीव लाल के नौकर जहांगीर आलम के घर से 32 करोड़ रुपये बरामद किए थे।

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    रिम्स की बदहाली मामले में महाधिवक्ता ने मांगा समय

    झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में रिम्स की लचर व्यवस्था दूर करने के लिए दाखिल जनहित याचिका में बुधवार को सुनवाई हुई।

    सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने जवाब दाखिल करने के लिए अदालत से समय देने का आग्रह किया गया। महाधिवक्ता राजीव रंजन की ओर से अदालत को बताया गया कि कोर्ट के आदेश के आलोक में जवाब तैयार कर लिया गया है, लेकिन दाखिल नहीं किया जा सकता है।

    जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया जाए। रिम्स की ओर से बताया गया कि उनकी ओर से सुझाव शपथपत्र के माध्यम से दाखिल कर दिया गया है। इसके बाद अदालत ने मामले में विस्तृत सुनवाई के लिए 22 अगस्त की तिथि निर्धारित कर दी।