झारखंड में लिंग परीक्षण के मुखबिर को मिलेंगे एक लाख रुपये, लड़कियों की गिरती संख्या बना चिंता का विषय
झारखंड में 1000 लड़कों पर 948 लड़कियां हैं। राज्य में लगातार कम होती बच्चियों की संख्या गहरी चिंता का विषय है। ऐसे में इस स्थिति को सुधारने के लिए मुखबिर योजना को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। और ईनाम के रूप में मोटी रकम दी जा रही है।
रांची, जासं। भ्रूण लिंग परीक्षण पर पूरी तरह से अंकुश लगाने को राज्य सरकार तैयारी कर रही है। लगातार मिली रहीं शिकायतों के बाद अब नई पहल शुरू की जा रही है। मुखबिर योजना के तहत लिंग परीक्षण करने वाले सेंटर की जानकारी देने वालों को एक लाख रुपये का इनाम दिया जाएगा। पीसी एंड पीएनडीटी एक्ट (Pre-Conception and Pre-Natal Diagnostic Techniques) को और प्रभावशाली बनाने के लिए राज्य में मुखबिर योजना का संचालन किया जा रहा है। इसके तहत लिंग परीक्षण करने वाले संस्थानों को चिन्हित करते हुए उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
गिरते लिंगानुपात को रोकना बना मकसद
स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव सह अपर अभियान निदेशक विद्यानंद शर्मा पंकज ने कहा कि कन्या भ्रूण हत्या और गिरते लिंगानुपात को रोकने के उद्देश्य से एक्ट को सख्ती से लागू किया जाना जरूरी है। उन्होंने बुधवार को नामकुम स्थित आइपीएच सभागार में गर्भ धारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम एक्ट 1994 के प्रविधानों को राज्यभर में सख्ती से लागू करने से संबंधित आयोजित एक दिवसीय उन्मुखीकरण सह कार्यशाला में अपनी बात रखी।
पहले भी कई जिलों में हो चुकी कार्रवाइ
उन्होंने यह भी कहा कि अवैध रूप से संचालित अल्ट्रासाउंड क्लीनिक पर कार्रवाई करने की आवश्यकता है। अभी हाल में कोडरमा, गुमला, गिरिडीह आदि जिलों में कार्रवाई की गई है। उपनिदेशक सह कोषांग प्रभारी डा. अनिल कुमार ने संदर्भ में पीसी एंड पीएनडीटी के कार्यान्वयन के बारे में विस्तार से बताया।
झारखंड में 1,000 लड़कों पर 948 लड़कियां
चिंतनीय प्रोग्राम मैनेजमेंट स्पेशलिस्ट (यूएनएफपीए) अनुजा गुलाटी ने कहा कि दंपत्ति फैसला ले सकते हैं कि उनके कितने बच्चे हों और कितने अंतराल में हों, लेकिन लिंग निर्धारण का अधिकार उन्हें नहीं है। झारखंड का लिंगानुपात जनगणना 2011 के अनुसार 948 है अर्थात 1,000 लड़कों में लड़कियों की संख्या 948 है। यह समाज में अच्छे संकेत नहीं है। कार्यशाला में सभी जिलों के सीएस, सहायक नोडल व वरीय कार्यपालक दंडाधिकारी थे।
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