OLD PENSION SCHEME: हेमंत सोरेन सरकार के लिए आसान नहीं पुरानी पेंशन योजना लागू करना.. जानिए क्या है कारण
harkhand Pension News झारखंड में कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू करना आसान नहीं है। बजट की बड़ी राशि कर्ज अदायगी और ब्याज के मद में इस समय व्यय हो रही है। पेंशन का खर्च भी साल दर साल बढ़ रहा। अगले वित्तीय वर्ष आठ हजार करोड़ होंगे खर्च।

रांची, राज्य ब्यूरो। Latest Pension News झारखंड सरकार के लिए पुरानी पेंशन की राह आसान नहीं है। राज्य सरकार की आय-व्यय की विवरणी खंगालने पर यह सच उजागर होता है। राज्य बजट की बड़ी राशि कर्ज अदायगी और ब्याज पर व्यय हो रही है। वहीं, पेंशन का खर्च भी साल दर साल बढ़ रहा है। वित्तीय वर्ष 2022-23 के बजट को एक नजर देखें तो यह पता चलता है कि करीब 22 प्रतिशत राशि लोन चुकाने, ब्याज और पेंशन पर व्यय होगी। जाहिर है, आंकड़े पुरानी पेंशन के पक्ष में नहीं दिखाई दे रहे हैं।
पेंशन देने के दो ही रास्ते, टैक्स बढ़ाया जाए या कर्ज
मौजूदा स्थिति में पुरानी पेंशन बहाल करने के सिर्फ दो रास्ते राज्य सरकार के पास दिखाई देते हैं। या तो कर्ज बढ़ाया जाए या फिर टैक्स की दरें बढ़ाएं। कर्ज का पुराना आंकड़ा और कर्ज की इसकी इजाजत नहीं देता। वहीं टैक्स बढ़ाने की स्थिति में भी राज्य सरकार नहीं है। वैसे भी बढ़ती महंगाई के चलते राज्य सरकार कोई नया टैक्स जनता पर लादना नहीं चाहती। राज्य बजट में भी कोई नया टैक्स नहीं लगाया गया है। अगले वित्तीय वर्ष के बजट अनुमान पर निगाह डालें तो पता चलता है कि राज्य सरकार को कर्ज चुकाने में अनुमानित बजट 101101 करोड़ की करीब 7.18 प्रतिशत राशि व्यय करनी होगी। वहीं, पुराने कर्ज के ब्याज के मद में 6.59 प्रतिशत (6661.57 करोड़)। स्पष्ट है आंकड़े पुरानी पेंशन के पक्ष में कहीं नहीं हैं।
पेंशन धारियों की संख्या में लगातार हो रही बढ़ोतरी
झारखंड में पेंशनधारियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसका प्रत्यक्ष असर राज्य के खजाने पर दिखाई देता है। वर्ष 2020-21 में पेंशन व सेवानिवृत्ति लाभ पर 6796.50 करोड़ रुपये व्यय हुए। चालू वित्तीय वर्ष में 7424.33 करोड़ रुपये व्यय होने के आसार हैं। वहीं अगले वित्तीय वर्ष 2022-23 में यह बढ़कर 8045.38 करोड़ रुपये होने के आसार हैं। जाहिर है राज्य सरकार पेंशन पहले ही पेंशन के बोझ तले दबी है।
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