अब सरकारी विद्यालयों में भी पीटीएम, सीएम ने सांसदों-विधायकों से की भाग लेने की अपील
राज्य के 35 हजार सरकारी विद्यालयों में विशेष अभिभावक-शिक्षक बैठक (पीटीएम) सोमवार से शुरू होगी। इस बार इस बैठक की खासियत यह होगी कि इसमें स्थानीय सांसद विधायक तथा अन्य जन प्रतिनिधि भी सम्मिलित होंगे। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य के सभी मंत्रियों सांसदों और विधायकों को पत्र लिखकर इस बैठक में सहभागिता सुनिश्चित करने की अपील की है।

राज्य ब्यूरो, रांची। राज्य के 35 हजार सरकारी विद्यालयों में विशेष अभिभावक-शिक्षक बैठक (पीटीएम) सोमवार से शुरू होगी।
इस बार इस बैठक की खासियत यह होगी कि इसमें स्थानीय सांसद, विधायक तथा अन्य जन प्रतिनिधि भी सम्मिलित होंगे।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य के सभी मंत्रियों, सांसदों और विधायकों को पत्र लिखकर इस बैठक में सहभागिता सुनिश्चित करने की अपील की है। इस वर्ष की द्वितीय शिक्षक-अभिभावक बैठक आठ सितंबर से 13 सितंबर तक आयोजित की जाएगी।
इस बैठक में छात्रों की विद्यालय उपस्थिति, अधिगम स्तर, खेलकूद, पैरेंटिंग , परीक्षाफल, स्वच्छता, पुस्तकालय, पाठ्येतर गतिविधियां, विद्यालय परिसर के सुदृढ़ उपयोग आदि महत्वपूर्ण विषयो पर माता-पिता एवं अभिभावकों के साथ विस्तार से चर्चा की जाएगी।
इस अभिभावक शिक्षक बैठक के सफलतापूर्वक आयोजन के संबंध में मुख्य सचिव अलका तिवारी के माध्यम से सभी जिलों के उपायुक्तों को विशेष पत्र भेजा गया है।
भेजे गए पत्र में कहा गया है कि जिन विद्यालयों में सबसे कम नामांकन एवं सर्वाधिक अनुपस्थिति है, वहां मंत्री, सांसद, विधायक एवं जिले के वरिष्ठ पदाधिकारियों की उपस्थिति में शिक्षक-अभिभावक बैठक का आयोजन कराएं।
इस प्रयास से राज्य में शैक्षिक वातावरण विकसित होगा एवं माता-पिता/अभिभावकों को विद्यालय की गतिविधियों एवं छात्र-छात्राओं के बुनियादी अधिगम के लिए विद्यालय की अपेक्षाओं एवं पठन-पाठन की प्रक्रिया से जोड़ने का अवसर मिलेगा।
बताते चलें कि राज्य के सरकारी विद्यालयों में त्रैमासिक अभिभावक शिक्षक बैठक आयोजित की जाती है। तृतीय वार्षिक अभिभावक शिक्षक बैठक आठ से 16 दिसंबर तक आयोजित होगी।
निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 तथा समग्र शिक्षा अभियान के तहत 6-18 आयु वर्ग के सभी बच्चों का विद्यालय में नामांकन कराने के लक्ष्य को लेकर विद्यालयों में माता-पिता एवं अभिभावकों की सक्रिय रूप से भागीदारी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इन प्रयासों से झारखंड में बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर में काफी कमी आई है। माध्यमिक स्तर पर यह दर झारखंड में सबसे कम है।
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