झारखंड में अब पुरुष भी डायन कुप्रथा के हो रहे हैं शिकार
jराजधानी रांची के एचआरडीसी सभागार में झारखंड में डायन हत्या-प्रताडऩा विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कैसल यूनिवर्सिटी जर्मनी एवं स्वयंसेवी संस्था एक्शन एड के सहयोग से यह आयोजन किया गया। इसमें कहा गया कि अब पुरुष भी डायन प्रथा के शिकार हो रहे हैं।

रांची (जागरण संवाददाता) : आशा संस्था की सचिव और लंबे समय से डायन कुप्रथा के खिलाफ लड़ाई लड़ रहीं पूनम टोप्पो ने कहा कि पहले तो इस विषय पर लोग बात तक करना उचित नहीं समझते थे परंतु अब लोगों में धीरे-धीरे जागृति बढ़ी है और अब लोग इस कुप्रथा के खिलाफ भी खड़े हो रहे हैं। अशिक्षितों के बीच तो यह कुप्रथा तो है है, देखा गया है कि शिक्षित लोग भी डायन को लेकर विश्वास करते हंै। इस कुप्रथा को लेकर कानून भी है, लेकिन वह अपर्याप्त है।
पूनम गुरुवार को एचआर डी सी सभागार में आयोजित झारखंड में डायन हत्या-प्रताडऩा विषय पर कैसल यूनिवॢसटी जर्मनी एवं स्वयंसेवी संस्था एक्शन एड के सहयोग से आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रही थीं। स्वंत्र पत्रकार प्रवीण कुमार ने झारखंड में डायन हत्या एवं प्रताडऩा विषय पर विभिन्न जिलों में अध्ययन को भी साझा किया। प्रवीण कुमार ने बताया कि जहां पहले सिर्फ महिलाओं को डायन के नाम पर प्रताडि़त किया जाता था वहीं अब पुरुषों को भी डायन के नाम पर प्रताडि़त किया जाने लगा है। अध्ययन से यह भी पता चला है कि अगस्त से नवबंर के बीच डायन प्रताडऩा की घटनाएं अचानक बढ़ जाती हैं। आदिवासी इलाकों में जहां डायन हत्या आम है वहीं गैर आदिवासी इलाकों में प्रताडऩा की घटनाएं ज्यादा होती हैं।
रामदेव विश्वबंधु ने कहा कि डायन हत्या या प्रताडऩा अंधविश्वास से जुड़ा है। इसे सिर्फ कानून से खत्म नहीं किया सकता है। इसके लिए हमें गांव-गांव वैज्ञानिक चेतना का विकास करना होगा। महिलाओं को इस कुप्रथा के प्रति जागरूक करना होगा। एक्शन एड के शाहनवाज सिद्दीकी ने कहा कि सिर्फ झारखंड ही नहीं बल्कि पूरे देश में यह समस्या है। आली की रेशमा सिंह ने कहा कि डायन हत्या के अधिकतर मामलों में पीडि़तों को मुआवजा नहीं मिल पाता है, जिस कारण पीडि़ताओं को भविष्य में जीवन यापन की कठिनाइयां आती हैं। ऐसे मामलों की सुनवाई बहुत धीमी गति से होती है और आरोपी इसका फायदा उठा ले जाते हैं। आदिवासी अधिकार मंच के प्रफुल्ल लिंडा ने कहा कि जहां एक ओर साधारण हत्या के अपराध के लिए उम्र कैद और मृत्युदंड तक है वहीं डायन हत्या के मामले में अधिकतम तीन वर्ष तक की सजा का ही प्रवाधान है जो इस कानून का कमजोर पहलू है।
कार्यक्रम में पीडि़ताओं ने अपनी आपबीती भी सुनाई। विभिन्न जिलों से आए लगभग 60 प्रतिभागियों ने कार्यक्रम में शिरकत की। कार्यक्रम में रेशमा सिंह, अनिता हेम्ब्रम, ठाकुर मुंडा, गांगी कुमारी, दीप्ति तिर्की, प्रतिभा कुजूर , मधुश्री, अंजलीं डुंगडुंग, हॢष टोप्पो, नितेश कुमार, दीपक बाड़ा, राकेश रोशन किड़ो आदि उपस्थित थे।
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