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    मोबाइल नहीं रहने पर क्या आप भी ऐसे करते हैं? घातक नोमोफोबिया के हो सकते है शिकार; क्या है बचाव के उपाय

    By Jagran NewsEdited By: Sanjay Kumar
    Updated: Thu, 13 Oct 2022 03:24 PM (IST)

    Nomophobia आजकल के दौर में नोमोफोबिया जैसी बीमारी हमें देखने को मिलती है जो कि काफी घातक हो चुकी है। ये बीमारी मोबाइल ज्यादा उपयोग करने से होती है। ऐसी बीमारी वालों के लक्षण में क्या बदलाव आ जाता है क्या है इससे बचाव के उपाय जानिए...

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    Nomophobia: नोमोफोबिया मोबाइल से होने वाली घातक बीमारी।

    रांची, जासं। Nomophobia एएनएमटीसी कालेज के सभागार में विश्व मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम को लेकर कालेज के प्रधानाचार्य की अध्यक्षता में जागरूकता कार्यक्रम किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए प्रधानाचार्य द्वारा बताया गया कि आज के तनावपूर्ण वातावरण में हम खुद को किस प्रकार स्वस्थ रख सकते हैं। हम स्वस्थ समाज की कल्पना तभी कर सकते हैं जब हम सभी नागरिक मानसिक रूप से स्वस्थ हो।

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    आजकल के दौर में नोमोफोबिया जैसी बीमारी हमें देखने को मिलती है जो कि काफी घातक हो चुकी है। खासकर यह बीमारी बच्चों में देखने को मिलती है। नोमोफोबिया एक विवेक रहित डर है जो मोबाइल से दूर रहना या नेटवर्क नहीं रहने या बैटरी खत्म हो जाने से होता है। नोमोफोबिया मतलब मोबाइल फोन नहीं रहने से सामान्य व्यवहार न करना। ज्यादातर यह आत्मविश्वास में कमी के कारण होता है। इसमें व्यक्ति अपने आपको अकेला महसूस करता है तथा हमेशा दूसरे से बात करते रहना चाहता है। अधिक मोबाइल के उपयोग करने से वह अधिक चिंतित हो जाता है कि कहीं कोई संवाद या समारोह छूट न जाए।

    दुनिया में 53 प्रतिशत लोग ऐसी समस्या से ग्रसित

    एक शोध के अनुसार, पूरे दुनिया में 53 प्रतिशत मोबाइल उपयोग करने वाले लोग घबराहट और चिंता महसूस करते है। पूरे विश्व में चीन मोबाइल फोन उपयोग करने वाले में नंबर वन पर है तथा भारत दूसरे नंबर पर है। तो ये बात भी जाहिर है कि इन समस्यों से ग्रसित लोगों की संख्या भी इन दो देशों में ही है। चिंता की बात ये है कि भारत भी इनमें से एक है।

    तंबाकू सेवन से भी मानसिक स्वास्थ्य की समस्या

    तंबाकू नियंत्रण इकाई, रांची व सोशल वर्कर सतीश कुमार ने बताया कि तंबाकू के सेवन की लत लग जाने से भी लोगों में मानसिक स्वास्थ्य संबंधित बीमारियां देखने को मिलती है और हमें इस चीज से निजात दिलाने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए। जिसके लिए सदर अस्पताल रांची एवं रिम्स में टोबैको सजेशन सेंटर की स्थापना की गई है। जहां पर इस प्रकार के व्यक्तियों की काउंसिलिंग के माध्यम से मानसिक विकृतियों को दूर करने का प्रयास किया जाता है। इस अवसर पर जिला प्रोग्राम सहायक अभिषेक देव, एएनएम टीसी नर्सिंग कालेज की शिक्षिका एवं छात्राएं मौजूद रहे।

    ये हैं नोमोफोबिया से बचने के उपाय

    अपने आपको फोन से दूर रखने की कोशिश करना, वास्तविकता पर ध्यान केंद्रित करना, अपने फोन को किसी रचनात्मक वस्तु से परिवर्तित करना जैसे मनपसंद किताबें पढ़ना शामिल है।