अब हैंग नहीं होगा निबंधन का सर्वर
2005 में स्थापित साफ्टवेयर को बदलने की तैयारी, निबंधन की प्रक्रिया होगी सरल, मिस नहीं होंगे आंकड़े।
राज्य ब्यूरो, रांची : झारखंड में 2005 में स्थापित भूमि से संबंधित दस्तावेज को निबंधित करने वाले साफ्टवेयर को बदले जाने तैयारी है। राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग ने इसका खाका तैयार कर लिया है। विभाग के इस प्रयास के बाद जहां निबंधन की प्रक्रिया सरल हो जाएगी, वहीं सर्वर के हैंग करने की समस्या भी बहुत हद तक दूर हो जाएगी। दरअसल सरकार के पास उपलब्ध निबंधित दस्तावजों की फाइल लगभग 5.5 टीबी की है, जिसमें लाखों आंकड़े हैं। पुराने साफ्टवेयर होने की वजह से सर्वर पर अत्यधिक दबाव पड़ रहा है। जुलाई 2016 में इन्हीं कारणों से 2008 से लेकर मार्च 2016 तक आंकड़े गायब हो गए थे, जिसे बहुत ही मशक्कत के बाद रिकवर किया जा सका था। निबंधन विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार झारखंड के विभिन्न निबंधन कार्यालयों में 1947 से 1971 के बीच निबंधित हुए दस्तावेजों को डिजिटलाइज्ड करने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। अब संबंधित दस्तावेज की स्कैनिंग की जा रही है। इससे इतर 2008 के बाद के दस्तावेज उसके निबंधन के साथ ही स्कैन किए जा चुके हैं। प्रथम चरण में राज्य के निबंधन और अंचल कार्यालयों को ऑनलाइन कर चुकी सरकार अब भूमि से संबंधित हर तरह के दस्तावेज को ऑनलाइन करने की तैयारी है। इससे जहां क्रेता-बिक्रेता को एक-एक जमीन की हकीकत का पता चल सकेगा, वहीं बाहर के निवेशक देश-विदेश के किसी भी कोने में बैठकर किसी खास जमीन के बारे में पूरी जानकारी ले सकेंगे। इतना ही नहीं रजिस्ट्री के समय कोई भी निबंधक निबंधन के लिए दिए गए दस्तावेज का सत्यापन आसानी से कर सकेगा। इससे जमीन की खरीद-बिक्री में होने वाले फर्जीवाड़े पर बहुत हद तक तक अंकुश लग सकेगा।
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